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    Home » अग्नि स्नान करने वाली देवी! चमत्कारी ईडाणा माता मंदिर, आइए जाने इसका इतिहास और रहस्य
    Tourism

    अग्नि स्नान करने वाली देवी! चमत्कारी ईडाणा माता मंदिर, आइए जाने इसका इतिहास और रहस्य

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 25, 2025No Comments4 Mins Read
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    Idana Mata Mandir (Image Credit-Social Media)

    Idana Mata Mandir (Image Credit-Social Media)

    Idana Mata Mandir History: हमारे भारत देश में ऐसे कई चमत्‍कारिक मंदिर हैं जिनकी महिमा और रहस्य देखने और समझने देश विदेश से लोग आते हैं। ऐसा ही एक चमत्‍कारिक मंदिर है राजस्थान का ईडाणा माता का मंदिर। लोगों का मानना है कि इस चमत्कारिक मंदिर में खुद ही आग लग जाती है और माता अग्नि स्नान करती हैं। यह मंदिर उदयपुर शहर से 65 किमी दूर कुराबड़-बम्बोरा मार्ग पर अरावली की पहाड़ियों में स्थित है। इस मंदिर का नाम उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से मशहूर हुआ।

    इस मंदिर में अचानक आग की लपटें उठने लगती हैं जिन्हें 5 किमी दूर से देखा जा सकता है। करीब 10 से 12 फीट ऊंची उठने वाली आग की लपटें यहां अपने आप से ठंडी भी हो जाती हैं। इस मंदिर में जैसे ही माता रानी अग्नि स्नान करने लगती हैं, उनके दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। ऐसा कहा जाता है कि जब मां प्रसन्न होती हैं तब अग्नि स्नान करती हैं और माता का दरबार जयघोष से गूंज उठता है। मंदिर के चारों तरफ उत्सव का माहौल बन जाता है और आसपास के कई गांवों से लोग यहां जमा होने लगते हैं। यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार महीने में कभी भी अपने आप अग्नि प्रज्‍जवलित हो जाती है जिसे लोग माता का स्नान कहते हैं । इस अग्नि में माता के मूर्ति को छोड़ पूरा उनका पूरा श्रृंगार और वस्त्र जल जाता है।

    मंदिर के पुजारी के अनुसार जैसे हल्की आग लगनी शुरू होती है माता के आभूषण उतार दिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि भक्तों द्वारा माताजी को चढ़ाए जाने वाले चूनरी, साड़ी और श्रृंगार के सामान का भार ज्यादा होते ही माता प्रसन्न हो अग्नि स्नान कर उतारती है। फिर जब कुछ दिनों में अग्नि शांत हो जाती है तब फिर माता का श्रृंगार किया जाता है। इस परिसर में एक अखंड ज्योति हमेशा जलती है जिसके दर्शन कर श्रद्धालु अपने को धन्य मानते हैं। इस माता के मंदिर परिसर में मूर्ति के सामने कोई अगरबत्ती नहीं जलाई जाती। लोगों के अनुसार शायद अगरबत्ती की चिंगारी अग्नि में न परिवर्तित हो जाती हो इसलिए यहां अगरबत्ती जलाने की अनुमति नहीं मिलती।

    इस मंदिर में आग लगने के कारणों का पता अब तक नहीं लग पाया है, यह आग कब लगेगी यह भी पता नहीं चलता। इस आग लगने के कारण का अभी तक कोई वैज्ञानिक कारण नहीं पता चला है। इसे माता की महिमा ही कह सकते हैं। भक्तों की ऐसी मान्यता है कि इस दरबार में आने से लकवे से ग्रसित रोगी ठीक हो जाते हैं। यहां भक्त इच्छा पूर्ति होने पर माता को त्रिशूल चढ़ाते हैं। संतान प्राप्ति के लिए यहां दंपती झूला चढ़ाने आते हैं। मान्यता अनुसार इस मंदिर का प्रसाद श्रद्धालु अपने साथ घर नहीं ले जाते उस प्रसाद को मंदिर में ही बांट देते हैं।

    मंदिर का इतिहास :

    ऐसा कहा जाता है कि इस जगह अपने अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने माता की पूजा की थी। इस मंदिर परिसर में माताजी खुले में विराजमान है। माता के अग्नि स्नान के कारण इस जगह मां का चार दीवारों वाला बंद मंदिर नहीं बनाया गया है। ऐसी मान्‍यता है कि जो भक्‍त इस अग्नि के दर्शन करते हैं उनकी हर इच्‍छा पूर्ण होती है। राजस्थान स्थित एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की जयसमंद झील जिसका निर्माण राजा जयसिंह ने कराया था निर्माण के दौरान यहां आकर देवी की पूजा की थी।

    कैसे पहुंचें ?

    • हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है। टैक्सी या बस द्वारा माता के दरबार तक पहुंचा जा सकता है।
    • रेल मार्ग से यहां पहुंचने के लिए उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है जो देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा है। यहां पहुंच कर सड़क मार्ग द्वारा टैक्सी या बस से इस ईडाणा माता के मंदिर पहुंचा जा सकता है।
    • सड़क मार्ग से राजस्थान के उदयपुर पहुंच कर कुराबड-बम्बोरा मार्ग पर जाने वाले वाहनों से बम्बोरा पहुंचकर शक्तिपीठ पंहुचा जा सकता है। इसके अलावा निजी वाहनों, टैक्सी या बस के जरिए भी यहां पहुंच सकते हैं।
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