सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है। जिसमें एक अफगान महिला वीडियो में गा रही है, जिसमें उसके चेहरे का सिर्फ एक हिस्सा दिखाया गया है। यह वीडियो उस कानून के खिलाफ ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाली दर्जनों महिलाओं में से एक का है। जिसके तहत अफगान महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपनी आवाज उठाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अफगानिस्तान में ऐसा फरमान नया नहीं है। तालिबान ने जब से अफगानिस्तान की सत्ता संभाली है, तब से उन्होंने तमाम महिला विरोधी कानून पास किए हैं। महिलाओं की शिक्षा को लेकर भी कानून पास किए गए, लेकिन दुनियाभर में दबाव बनने के बाद उसमें कुछ ढील दी गई।
तालिबान अधिकारियों ने पिछले हफ्ते नए कानून की घोषणा की। जिसमें सबसे आपत्तिजनक है कि अफगान महिलाओं की आवाज घर से बाहर सुनाई नहीं पड़ना चाहिए। इसके जवाब में, अफगानिस्तान के अंदर और बाहर अफगानी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर गाते हुए वीडियो पोस्ट किए हैं, साथ ही “मेरी आवाज पाबंद नहीं है” और “नो तालिबान” जैसे हैशटैग के साथ बाकायदा अभियान भी चलाया है।
अफगानिस्तान की एक पूर्व पुलिसकर्मी ज़ला ज़ज़ई, जो वर्तमान में पोलैंड में रहती हैं, ने आर्यना सईद का एक गाना गाते हुए अपना एक वीडियो साझा किया। उन्होंने कहा कि अफगान महिलाओं पर प्रतिबंध “अस्वीकार्य” हैं। ज़ला ज़ज़ई ने कहा कि ”अफ़गानिस्तान की महिलाओं को यह समझ में आ गया है कि स्त्री विरोधी अब धर्म और संस्कृति के नाम पर हमारे मानवाधिकारों को छीन नहीं सकते हैं। हमारे अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली हमारी आवाज कभी चुप नहीं होगी।”
تو بدنم را صدایم را عورت بپندار من برای حق خودم آواز خواهم خواند.#صدای_من_عورت_نیست pic.twitter.com/oeStOvoKDU
— Zala Zazai (@zala_zazai) August 26, 2024
अफगान महिला कार्यकर्ताओं के समूहों ने कंधार से शासन करने वाले तालिबान नेता हिबतुल्ला अखुंदज़ादा की तस्वीरें फाड़ते हुए वीडियो भी पोस्ट किए हैं। तैयबा सुलेमानी दुनिया भर की सैकड़ों अफगान महिलाओं और सहयोगियों में से एक हैं जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने गायन के वीडियो अपलोड कर रही हैं। ये वीडियो पिछले हफ्ते तालिबान द्वारा पारित एक कानून का विरोध करने के लिए हैं।
चमकीले फूलों के गुलदस्ते से सजे आईने में खुद को देखते हुए, तैयबा सुलेमानी गाना शुरू करती है। फ़ारसी में यह गीत आशा का संदेश देता है – मैं एक दिन उड़ जाऊंगी, मैं एक दिन आज़ाद हो जाऊंगी।
तालिबानी फरमान के जवाब में, सुलेमानी जैसी महिलाएं यह प्रदर्शित कर रही हैं कि वे चुप रहने से इनकार करती हैं। उन्होंने कहा- “मैंने वीडियो रिकॉर्ड किया क्योंकि मैं तालिबान को बताना चाहती थी, आप मुझे नहीं बता सकते कि क्या करना है।”
2021 में तालिबान के दोबारा सत्ता में आने के बाद तीन साल पहले अफगानिस्तान से कनाडा भागी सुलेमानी को अपने परिवार को अलविदा कहने का मौका भी नहीं मिला। लेकिन, भले ही वह वर्तमान में 10,000 मील से अधिक दूरी पर रहती है, फिर भी तालिबान ने उन्हें डराने की कोशिश की। उन्होंने फोन पर चेतावनी दी कि उनका परिवार अभी भी अफगानिस्तान में है। वे कुछ भी कर सकते हैं।
लेकिन सुलेमानी डरी नहीं। बल्कि और अधिक गाने के लिए प्रेरित हुईं।
उन्होंने कहा- “इससे मुझे यकीन हो गया है कि मुझे ताकत के साथ आगे बढ़ना है, पहले से भी ज्यादा।”
अब नॉर्वे में रहने वाली एक अफ़ग़ान महिला, हुदा ख़मोश ने भी इसी भावना को दोहराया। उन्होंने कहा, “हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि एक आवाज हजारों बन सकती है, जिससे पता चलता है कि हम महिलाएं सिर्फ चंद लोग नहीं हैं जिन्हें मिटाया जा सकता है।”
अफगान महिला न्याय आंदोलन की स्थापना करने वाली हुदा खामोश ने एक क्रांतिकारी कविता गाते हुए अपना एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें कहा गया कि यदि आप हमारे लिए अपने दरवाजे बंद कर देंगे, तो हम अपनी आवाज सुनाने के लिए खिड़कियों का इस्तेमाल करेंगे।
उन्होंने कहा, “हम बंदूक लेकर नहीं बल्कि अपनी आवाज, अपनी छवि लेकर मैदान में उतरते हैं। यह विरोध एक युद्ध और संघर्ष है।”
यहां तक कि अफगानिस्तान के अंदर महिलाएं भी अब अपने गाने के वीडियो रिकॉर्ड कर रही हैं, कभी-कभी अकेले और कभी-कभी जोड़े या छोटे समूहों में। फिर भी वो हमेशा बुर्के में होती हैं जिससे उनकी पहचान छिपी रहती है। ज़हरा, अफ़गानिस्तान की एक पत्रकार, जिसने अपनी सुरक्षा के लिए केवल अपने पहले नाम से पहचाने जाने की इच्छा जताई, ने कहा कि ज़मीन पर स्थिति तेज़ी से बदल रही है। पिछले सप्ताह, बहुत सारी महिलाएँ घरों से बाहर निकलती थीं, लेकिन जब से महिलाओं के लिए अपने शरीर के साथ-साथ अपनी आवाज़ को भी ढंकना अनिवार्य करने वाला कानून पारित हुआ है, उन्होंने कहा कि सड़कें महिलाओं से खाली हो गई हैं।
अफगानिस्तान का नया कानून अब महिला की आवाज़ को अंतरंग मानता है और उन्हें सार्वजनिक रूप से कुछ भी गाने, सुनाने या पढ़ने की मनाही है। यह अन्य नियमों के अतिरिक्त आता है जो महिलाओं को अपने घरों से अकेले निकलने से रोकता है या उन्हें ऐसे पुरुषों को देखने या बात करने की अनुमति देता है जिनसे उनका ब्लड रिलेशन या विवाह जैसा कोई संबंध नहीं है।
इन प्रतिबंधों से महिलाओं का घर से बाहर निकलना अव्यावहारिक और कुछ मामलों में असंभव बना देता है। यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे चेतावनी के साथ दंडित किया जा सकता है या गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि तालिबान प्रवक्ता का कहना है कि नये कानून से समाज में “सदाचार को बढ़ावा मिलेगा और बुराई खत्म करने में बहुत मदद करेगा।”
अफगानिस्तान की पत्रकार ज़हरा ने कहा, अब, परिवार के कई पुरुष सदस्य अक्सर अपनी महिला रिश्तेदारों को घर पर रहने का निर्देश देते हैं क्योंकि वे परेशानी नहीं चाहते हैं। ज़हरा ने कहा- “कभी-कभी हमें बुरे सपने आते हैं कि तालिबान आएंगे और हमें गिरफ्तार कर लेंगे।” बहरहाल, अब कुछ महिलाएँ गायन के वीडियो के जवाब में दुनियाभर से समर्थन मिलने से मजबूत महसूस कर रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आगे आएगा और अफगान महिलाओं की सुरक्षा में मदद के लिए कुछ करेगा। तैयबा सुलेमानी ने कहा, ”कृपया हमें तालिबान के साथ अकेला न छोड़ें। हम सभी को आपके समर्थन की जरूरत है।”