भारत ने शनिवार को कहा कि उसने कनाडाई उच्चायोग के प्रतिनिधि को तलब किया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ ओटावा के आरोपों पर कड़ा विरोध दर्ज कराया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने कल (शुक्रवार) कनाडाई उच्चायोग के प्रतिनिधि को बुलाया था। उन्हें 29 अक्टूबर, 2024 को ओटावा में सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर स्थायी समिति की कार्यवाही के संदर्भ में एक राजनयिक नोट सौंपा गया।”
जयसवाल ने कहा, “नोट में बताया गया है कि भारत सरकार उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा समिति के सामने भारत के केंद्रीय गृह मंत्री के लिए किए गए बेतुके और आधारहीन संदर्भों का कड़े शब्दों में विरोध करती है।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना कार्रवाइयों से द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर परिणाम होंगे।”
वॉशिंगटन पोस्ट, रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह “कनाडाई धरती पर सिख अलगाववादियों को निशाना बनाने की साजिश” के पीछे थे। कनाडा के उप विदेश मामलों के मंत्री डेविड मॉरिसन ने एक संसदीय पैनल से कहा कि उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि “साजिशों के पीछे शाह का हाथ था।”
बुधवार को, अमेरिका ने शाह के खिलाफ कनाडा के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें “चिंताजनक” बताया था। यूएस विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, “कनाडा सरकार द्वारा लगाए गए आरोप चिंताजनक हैं और हम उन आरोपों के बारे में कनाडाई सरकार से परामर्श करना जारी रखेंगे।”
कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा पिछले साल जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की भूमिका का आरोप लगाने के बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध पहले से ही खराब हो गए हैं।
पिछले महीने, निज्जर की हत्या की जांच में कनाडा द्वारा राजनयिक को नामित किए जाने के बाद भारत ने अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा को वापस बुला लिया था।
भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को भी अपनी धरती से निष्कासित कर दिया था। मोदी सरकार की सारी कूटनीति फेल हो गई है। कनाडा के साथ फाइव आईज के देश भी इस मामले में उसी के साथ हैं। जिसमें यूएस और यूके भी शामिल हैं।