भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने भगवान से 2019 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान ढूंढने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि अगर किसी में आस्था है तो भगवान उसका समाधान निकाल लेंगे।
सीजेआई ने कहा, ‘अक्सर हमारे पास मुद्दे होते हैं, लेकिन हम समाधान पर नहीं पहुंच पाते। अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था। मैं भगवान के सामने बैठा और उनसे कहा कि उन्हें समाधान खोजने की ज़रूरत है।’
सीजेआई खेड़ तालुका में अपने पैतृक गांव कन्हेरसर के निवासियों को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में उनका सम्मान किया गया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह नियमित रूप से प्रार्थना करते हैं, ‘मेरा विश्वास करें, यदि आपमें आस्था है, तो ईश्वर हमेशा कोई रास्ता निकाल लेंगे।’
बता दें कि 9 नवंबर 2019 को भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ़ किया था। इस फ़ैसले से एक सदी से भी अधिक पुराना विवाद सुलट गया। पीठ ने यह भी फ़ैसला सुनाया कि अयोध्या में ही वैकल्पिक पांच एकड़ के भूखंड पर मस्जिद बनाई जाएगी। मंदिर की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा इस साल 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई थी।
सीजेआई पद से सेवानिवृत्त होने के बाद गोगोई राज्यसभा चले गए थे। अयोध्या विवाद का फ़ैसला राम मंदिर के हक़ में सुनाने वाली संविधान पीठ की अध्यक्षता करने वाले रंजन गोगोई को मोदी सरकार ने मार्च 2020 में राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया। मोदी सरकार के इस फ़ैसले पर पर सियासी बवाल मच गया।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश ने इस साल जुलाई में अयोध्या में राम मंदिर का दौरा किया था और पूजा-अर्चना की थी।
इस बीच, शनिवार को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सभी को समुदायों की रक्षा में अपनी भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन न केवल समृद्ध समाजों को प्रभावित करता है, बल्कि सबसे हाशिए पर रहने वाले लोगों को भी प्रभावित करता है।