असम के नौगांव जिले में एक नाबालिग के साथ कथित गैंगरेप के आरोपी की शुक्रवार और शनिवार की मध्यरात्रि को पुलिस हिरासत में मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने कथित तौर पर “एक तालाब में कूदकर भागने की कोशिश की”।
तफज़ुल इस्लाम (24) नौगांव जिले के ढिंग इलाके में 14 वर्षीय लड़की के साथ कथित गैंगरेप के तीन आरोपियों में से एक था। वह अब तक गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में से एकमात्र था और उस पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और POCSO अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
पुलिस ने दावा किया कि आरोपी को देर रात अपराध स्थल पर ले जाया गया था। तब उसने भागने की कोशिश की और इलाके की एक झील में कूद गया। एसपी नौगांव ने कहा- “उससे पूछताछ करने के बाद उसे अपराध स्थल पर ले जाया गया। यहीं पर उसने भागने की कोशिश की और एक झील में कूद गया। हमने तुरंत इलाके की घेराबंदी की और एसडीआरएफ को बुलाया। एसडीआरएफ ने खोजबीन की तो शव बरामद हुआ। हमारे कांस्टेबल को जो हथकड़ी पकड़े हुए था, उसके हाथ में कुछ चोट आई है और उसे इलाज के लिए भेजा गया है।”
इस घटना से आक्रोश फैल गया था और धींग में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था और महिलाओं और स्थानीय संगठनों के सदस्यों सहित सैकड़ों स्थानीय लोग अपराधियों के खिलाफ सजा की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए थे। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की थी कि सरकार मामले में शामिल “किसी को भी नहीं बख्शेगी”।
जिन अपराधियों ने ढींग की एक हिंदू नाबालिका के साथ जघन्य अपराध करने का साहस किया, उन्हें कानून छोड़ेगा नहीं। लोकसभा चुनाव के बाद एक विशेष समुदाय अत्यंत सक्रिय हो रहा है। हिंदुओं को भाषाओं के आधार पर बांटने की कोशिश से सभी को सतर्क रहना चाहिए।
मेरा प्रेस वार्तालाप: pic.twitter.com/I7W7ssHaPL
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 23, 2024
भाजपा विधायक मनाब डेका का कहना है, ”समस्या यह है कि जब किसी इलाके में ‘मियां’ लोग रहते हैं और अगर उसी इलाके में कुछ असमिया घर भी हैं , फिर अपराध और अत्याचार होता है…’मियां’ लोगों और कांग्रेस के बीच भाईचारा है…धुबरी, गोलपारा, बारपेटा, नौगांव, मोरीगांव के क्षेत्रों तक केवल कांग्रेस की पहुंच है, कांग्रेस अपने वोट बैंक को संरक्षण देती है। मैं यहां कांग्रेस नेतृत्व से इन क्षेत्रों में एक सामाजिक आंदोलन शुरू करने की अपील करता हूं क्योंकि ‘मियां’ लोग केवल उनकी बात ही सुनते हैं…”
#WATCH | On the alleged gang rape of a minor girl in the Dhing area of Assam, BJP MLA Manab Deka says, “The problem is that when ‘Miya’ people are living in an area and if there are even a few Assamese houses in the same area, then there is crime and atrocities…There is a… pic.twitter.com/gjcvaSQoqQ
— ANI (@ANI) August 23, 2024
यहां यह बताना जरूरी है कि हाल ही में कोलकाता (पश्चिम बंगाल), बिहार, उत्तराखंड, यूपी में रेप और हत्या की घटनाएं हुई हैं। लेकिन उन घटनाओं में आरोपियों के मजहब या जाति की पहचान इस तरह नहीं की जा रही जिस तरह असम में की गई। असम में इसकी आड़ में ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश की जा रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 14 वर्षीय लड़की के साथ तीन लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया। नाबालिग लड़की को सड़क किनारे बेहोशी की हालत में पाया गया और स्थानीय लोगों ने उसे बचाया। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। उसे इलाज के लिए राज्य के नागांव जिले के ढिंग मेडिकल यूनिट में भर्ती कराया गया है। इस घटना के बाद इलाके के स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है। संगठनों और निवासियों ने हमलावरों की गिरफ्तारी होने तक अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र में महिलाओं के साथ दरिंदगी के मामले सामने आये हैं। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की घटना पर तो काफी ज़्यादा बवाल मचा है। कोलकाता दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टमार्टम से लेकर केस दर्ज करने के समय और पूरे क्रम पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के मामलों की सुनवाई कर रहा था।
महाराष्ट्र में पुणे के बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों से यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि जब तक जनता में आक्रोश न हो तब तक पुलिस तंत्र काम नहीं करता। इसके साथ ही इसने स्कूल अधिकारियों से घटना की समय पर रिपोर्ट न करने के लिए सवाल किया और पूछा, ‘अगर स्कूल सुरक्षित जगह नहीं है, तो शिक्षा के अधिकार के बारे में बोलने का क्या फायदा है’ बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और इसी को लेकर वह सुनवाई कर रहा था।
अदालत ने बदलापुर पुलिस से पूछा कि पीड़ितों और उनके परिवारों के बयान प्रक्रिया के अनुसार समय पर क्यों नहीं दर्ज किए गए और स्कूल अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या कथित घटना जिस स्कूल में हुई, उसके ख़िलाफ़ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किए गए थे।