पिछले दो साल से, दक्षिणी दिल्ली में ग्रीन्स, रजोकरी में फार्म नंबर 22, ईडी के गुड़गांव जोनल कार्यालय के रूप में काम कर रहा है। ईडी ने जांच के दौरान इस फार्महाउस को जब्त किया था। इसकी जब्ती को उस बैंक ने चुनौती दी है, जिसके पास संपत्ति गिरवी रखी गई थी। ढाई एकड़ जमीन में फैले इस फार्महाउस में सारी सुख सुविधाएं मौजूद हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टर ने फार्महाउस के अंदर जाकर पड़ताल की। कैज़ुअल कर्मचारियों सहित, लगभग 100 का स्टाफ अंदर काम कर रहा है। फार्महाउस का विशाल केंद्रीय लॉन, जिसकी बाजार दर लोकल प्रॉपर्टी डीलरों ने 120 करोड़ रुपये आंकी है, देवदार के पेड़ों और ताड़ के पेड़ों से घिरा हुआ है। लेकिन इस लान में ईडी ने जब्त की गई कारों के लिए पार्किंग स्थल के रूप में बना रखा है। गुरुवार यानी 3 अक्टूबर को यहां लगभग 40 कारें थीं, जिनमें से कुछ की कीमत 1 करोड़ रुपये से अधिक थी।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि जब नई दिल्ली में ईडी मुख्यालय के पास जब्त की गई महंगी कारों को पार्क करने के लिए जगह की कमी होती है, तो वे उन्हें रजोकरी में इस विशाल ईडी “दफ्तर” में खड़ा कर देते हैं। जब्त कारों के लिए एक यार्ड के अलावा, एक बड़ा लिविंग रूम भी ईडी द्वारा एजेंसी के ट्रेनिंग सेंटर के रूप में काम करता है।
यह फार्महाउस मुकदमेबाजी में फंसा रहा है। पहले ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) और दिल्ली हाईकोर्ट में और अब पंचकुला में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में। जहां यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने ईडी की संपत्ति की कुर्की और जब्ती को “अपराध की आय” के रूप में चुनौती दी है। यानी ईडी इसे कथित अपराध में जब्त कर अब इसका इस्तेमाल कर रहा है। इसे चुनौती दी गई है।
असल में यह फार्महाउस एक प्रॉपर्टी डीलर अतुल बंसल का था, जो कथित तौर पर संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्य आरोपी थे। उनकी मृत्यु हो चुकी है।
उन्होंने यह संपत्ति 2004 में खरीदी थी और 2012 में उन्होंने इसे अन्य संपत्तियों के साथ बैंक के पास 111 करोड़ रुपये में गिरवी रख दी थी।
रजोकरी फार्महाउस को अतुल बंसल की कंपनी विजडम रियलटर्स ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पास गिरवी रखा था और कर्ज नहीं चुका पाने के बाद, बैंक ने 2017 में संपत्ति पर कब्जा कर लिया। विज्डम रियल्टर्स ने डीआरटी में कब्जे को चुनौती दी और स्टे ऑर्डर प्राप्त किया, जिसके खिलाफ बैंक ने फिर से ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (डीआरएटी) में अपील की।
DRAT का 2019 का आदेश पढ़ने से पता चलता है कि उस स्तर पर, विजडम रियलटर्स ने बैंक को “96 करोड़ रुपये का निपटान प्रस्ताव दिया था, जिसकी राशि के लिए एक खरीदार संपत्ति खरीदने के लिए तैयार था” लेकिन बिक्री अंततः नहीं हुई। पंचकुला में यूनियन बैंक की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि 2019 में, उन्हें फिर से पता चला कि यह ईडी ही थी जिसने पहले उनके पास गिरवी रखी गई संपत्ति को कुर्क किया और बाद में जब्त कर लिया था।
जब्ती के उस आदेश और उसकी पुष्टि को भी बैंक ने चुनौती दी है।
संपर्क करने पर, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के वकील आलोक कुमार ने बताया कि ईडी की जब्ती और उसके बाद रजोकरी फार्महाउस के इस्तेमाल को बैंक ने चुनौती इसलिए दी है कि ईडी कुर्की या जब्ती का मकसद सरकारी खजाने के बकाया की वसूली करना है। लेकिन ईडी अपने मकसद में विफल हैं। मकसद इस तथ्य से विफल है कि कुर्की या जब्ती के बावजूद, ईडी ने न तो संपत्ति बैंक को सौंपी है और न ही सार्वजनिक धन की वसूली के लिए इसकी नीलामी की है। अंत में यह संपत्ति एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) बन गई है। यहां दफ्तर खोलने से आपका पीएमएलए का मकसद ही विफल हो गया है।
नई दिल्ली में ईडी के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि रजोकरी फार्महाउस तीन ऐसी जब्त संपत्तियों में से एक है जिसमें जांच एजेंसी “दफ्तर” चला रही है। ऐसी अन्य दो रांची और मुंबई में है। जहां बैंकों की ओर से कोई चुनौती नहीं दी गई है।
अधिकारियों ने कहा कि पीएमएलए की धारा 9 के प्रावधानों के तहत, ऐसी “जब्त की गई संपत्तियां” “केंद्र सरकार के पास” रहती हैं और यह 12 सितंबर, 2023 को वित्त मंत्रालय की एक अधिसूचना थी जिसने विशेष निदेशकों को पावर दीं। ईडी को “जब्त की गई संपत्ति को प्राप्त करने, प्रबंधित करने और निपटान करने के लिए प्रशासक” के रूप में कार्य करने का अधिकार होगा…। एक शीर्ष अधिकारी ने कहा: “हालांकि अधिसूचना में यह नहीं कहा गया है कि ईडी जब्त की गई संपत्तियों को कार्यालयों के रूप में इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन संपत्तियों का इस्तेमाल और प्रबंधन विभाग की इच्छानुसार किया जा सकता है। हम फैसला होने तक इस फार्महाउस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
देखा जाए तो ईडी के गुड़गांव जोनल ऑफिस को गुड़गांव में ही होना चाहिए। लेकिन वहां ऐसे मजे करने वाली बिल्डिंग कहां मिलेगी।राजोकरी फार्महाउस के अंदर, अधिकारियों और कर्मचारियों ने निजी बेडरूम, लिविंग रूम और वॉक-इन पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि हर जगह का “रखरखाव” एक कठिन काम है। फार्महाउस में काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: “कायदे से तो ईडी का गुड़गांव जोनल दफ्तर गुड़गांव में ही होना चाहिए और अगर हमें वैकल्पिक स्थान मिलता है, तो शायद भविष्य में इस फार्महाउस का इस्तेमाल ईडी के ट्रेनिंग सेंटर के रूप में किया जाता रहेगा। इस संपत्ति का इस्तेमाल कर हम कम से कम इसे जर्जर नहीं होने दे रहे हैं।