दशकों से तमिलनाडु के राजनीतिक परिदृश्य पर दो द्रविड़ पार्टियों – डीएमके और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) का वर्चस्व रहा है। दोनों पार्टियों का गठबंधन मिलकर तमिलनाडु का लगभग तीन-चौथाई फीसदी वोट शेयर रखता है। शेष लगभग एक-चौथाई वोट शेयर पर विजय की नज़र हो सकती है।
अपने प्रशंसकों के बीच थलापति के नाम से लोकप्रिय 50 वर्षीय अभिनेता ने फरवरी में अपनी पार्टी टीवीके को लॉन्च किया था और उम्मीद है कि 2026 के विधानसभा चुनावों में वह तमिलनाडु की राजनीति में एक नया आयाम जोड़ देंगे। अभिनेता से नेता बने अभिनेता का इरादा आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी 234 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का है।
विजय की टीवीके न सिर्फ मौजूदा राजनीतिक खिलाड़ियों का विकल्प बनना चाहती है बल्कि तमिलनाडु में बदलाव के लिए बड़ी पहल करना चाहती है। राजनीति में कूदकर, विजय तमिलनाडु में एमजी रामचंद्रन (एमजीआर), जयललिता, विजयकांत और कमल हासन सहित प्रसिद्ध अभिनेताओं से राजनेता बने लोगों की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। इनमें एमजीआर और जयललिता सबसे सफल रहे हैं।
1970 के दशक से जब एआईएडीएमके के संस्थापक एमजीआर ने अपनी पार्टी को डीएमके का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बनाया, कई राजनीतिक खिलाड़ियों ने तमिलनाडु के द्विध्रुवीय राजनीतिक ढांचे को बाधित करने का प्रयास किया है। यहां तक कि भाजपा, जिसे लगभग पूरे देश में उल्लेखनीय सफलता मिली है, तमिलनाडु में अपनी पैठ बनाने में असमर्थ रही है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 2024 के आम चुनावों में 18.27 प्रतिशत वोट मिले और 39 निर्वाचन क्षेत्रों में से 12 में एआईडीएमके को दूसरे स्थान से ढकेल दिया।
‘कैप्टन’ विजयकांत ने 2005 में देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) लॉन्च किया। हालांकि, तमिलनाडु की राजनीति पर विजयकांत का प्रभाव अल्पकालिक था। 2018 में, अभिनेता कमल हासन ने ‘भ्रष्ट’ डीएमके और एआईएडीएमके के विकल्प के रूप में अपनी पार्टी मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) लॉन्च की। कमल हासन भी कोई प्रभाव छोड़ने में असफल रहे।
एमजीआर ने कांग्रेस से शुरुआत की थी और फिर अपनी पार्टी बनाने से पहले डीएमके में भी रहे। राजनेता बनने से पहले विजयकांत सामाजिक कार्यकर्ता बी थे। राजनीति में आने के लिए सिर्फ स्टारडम ही काफी नहीं है, एक विचारधारा भी होनी चाहिए। विजयकांत और कमल हासन बिना विचारधारा के राजनीति में आये थे। आज कहीं नहीं हैं। बिना विचारधारा के राजनीति कैसे हो सकती है।
विजय ने रविवार को अपनी पहली रैली की थी। पुलिस ने करीब 2 लाख की भीड़ का अनुमान लगाया था। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि भीड़ इससे कहीं ज्यादा थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये आंकड़े वोट में तब्दील होंगे या नहीं।
विजय ने ऐसे समय में राजनीति में कदम रखा है जब अन्नाद्रमुक अभी भी 2016 में पार्टी आइकन और पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत से उबर नहीं पाई है।
एमजीआर की तरह, स्टारडम विजय की यूएसपी हो सकती है। 50 की उम्र भी उनके साथ है यानी वो राजनीति के लिए पूरी तरह परिपक्व हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि उन्होंने अपने फिल्मी करियर के चरम पर राजनीतिक कदम रखा है। विजय ने रैली में कहा भी था, “मैं अपने करियर के शिखर को छोड़कर, आप पर, लोगों पर भरोसा करते हुए राजनीति में आया हूं।”
विजय के भाषण कुछ राजनीतिक संदेश लिये हुए हैं। उनका विश्लेषण अभी जारी है। उनकी किस बात का क्या मतलब है। अपनी रैली में दक्षिण के सुपरस्टार विजय ने सत्तारूढ़ डीएमके को अपनी पार्टी का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी घोषित किया, उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल का सीधे नाम लिए बिना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपनी पार्टी का वैचारिक प्रतिद्वंद्वी कहा। विजय ने डीएमके द्वारा भाजपा को फासीवादी ताकत के रूप में चित्रित करने की आलोचना करते हुए कहा कि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी मौलिक रूप से इससे अलग नहीं है। यानी वो ये कहना चाहते हैं कि अगर भाजपा फासीवादी है तो डीएमके भी उससे कम फासीवादी नहीं है।
राजनीति में प्रवेश करने का विजय का फैसला लंबे समय से उनके प्रभावशाली पिता, फिल्म निर्देशक एसए चंद्रशेखर से जुड़ा रहा है। अभिनेता के इरादे पिछले जून में स्पष्ट हो गए जब उन्होंने चेन्नई में एक छात्र रैली में भाग लिया। उन्होंने युवाओं को वोट के लिए कैश स्वीकार करने का विरोध किया। खुद को द्रविड़ आइकन ई वी रामासामी पेरियार, पूर्व मुख्यमंत्री के. कामराज और संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर जैसे नेताओं से जोड़ते हुए युवकों को इनकी शिक्षा से सीखने के लिए कहा।
विजय ने भरोसा दिलाया है कि टीवीके धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर काम करेगा। पार्टी के लक्ष्यों में लोकतंत्र, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, समानता, सामाजिक सद्भाव, महिला शिक्षा और सशक्तिकरण, तर्कसंगत मानसिकता, दो-भाषा नीति, राज्य स्वायत्तता, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, नशा मुक्त तमिलनाडु बनाना है। कुल मिलाकर विजय की पार्टी एक ऐसी विचारधारा का समर्थन करती दिख रही है जो द्रविड़ विचारों और तमिल राष्ट्रवाद का मिश्रण है।
तमिलनाडु के राजनीतिक विश्लेषक सुमंत रमण ने लिखा है- विजय ने पहले ओवर में छक्का लगाया है। इसका मतलब है कि उन्होंने अच्छी शुरुआत की है। वह शतक बना सकते हैं या फिर तीसरे ओवर में आउट हो सकते हैं। अभी उनके खेलने के अंदाज से बहुत जल्दी नतीजा नहीं निकालना चाहिए। हमें इंतजार करने और देखने की जरूरत है।
क्या विजय तमिलनाडु में DMK-AIADMK की राजनीति के बीच अपनी जमीन तलाश पायेंगे, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन रमण का कहना है कि विजय के प्रवेश ने तमिलनाडु में राजनीति को और अधिक दिलचस्प बना दिया है। और याद रखें, हिंदी पट्टी में भाजपा की तरह, तमिलनाडु में डीएमके भी एक चुनाव लड़ने वाली मशीन की तरह है। केवल एक राजनीतिक नौसिखिया ही डीएमके को कम आंकेगा। बहरहाल, विजय का यह कहना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे वैचारिक विरोधी वे हैं जो लोगों को धर्म, जाति, नस्ल, लिंग और धन के आधार पर बांटते हैं। विजय इसे कितना करके दिखा पाते हैं, वक्त इसका जवाब देगा।