मध्य प्रदेश के जनजातीय कल्याण मंत्री विजय शाह 17 दिनों बाद फिर सामने आए और नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने खंडवा में एक रेप-हत्या पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। इससे उनकी पहचान जाहिर हो गई। मंत्री ने पिछले दिनों कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन जैसे नफरत भरे शब्दों से नवाजा था। इसके लिए अदालत ने उन्हें बहुत फटकारा था।
28 मई का खंडवा का उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर अब वायरल है, जिसमें वो रेप-हत्या का शिकार लड़की के परिवार से मिल रहे हैं। पिछले विवाद के बाद इस पहली सार्वजनिक उपस्थिति के दौरान, शाह ने मीडिया से बात नहीं की। स्थानीय भाजपा सूत्रों ने बताया कि शाह ने पीड़ित परिवार के साथ दो घंटे से अधिक समय बिताया और उन्हें वित्तीय सहायता के साथ-साथ हर मदद का वादा किया। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने परिवार को 60,000 रुपये का चेक सौंपा, उनके घर के लिए टिन की छत बनाने का वादा किया।
एक भाजपा नेता ने कहा, “उन्होंने यह भी कहा कि परिवार की एक युवा लड़की, जो स्कूल छोड़ चुकी थी, उसे फिर से स्कूल में दाखिल कराया जाएगा। क्षेत्र में स्कूल ड्रॉपआउट्स पर नजर रखने के लिए मासिक निगरानी बैठकें शुरू की जाएंगी।” सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस इस मामले में बहुत साफ है कि रेप पीड़ित महिला, उसके परिवार की जानकारी कोई भी सार्वजनिक न करे। चाहे वो नेता हो या मीडिया हो। लेकिन मंत्री विजय शाह ने इन नियमों को तोड़ा।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शाह के गायब होने पर तंज कसते हुए “लापता मंत्री” अभियान शुरू किया था, जिसमें इंदौर और भोपाल में उनके फोटो के साथ पोस्टर लगाए गए, जिसमें उन्हें ढूंढने वाले के लिए 11,000 रुपये के इनाम की घोषणा की गई थी। हालांकि ये सिर्फ उनके ऊपर फब्ती थी।
इस दौरान, शाह 20 मई को ऐतिहासिक राजवाड़ा महल में क्षेत्रीय प्रतीक अहिल्याबाई होलकर की स्मृति में आयोजित विशेष कैबिनेट बैठक और मंगलवार को पचमढ़ी में जनजातीय प्रतीक और स्वतंत्रता सेनानी राजा भभूत सिंह के सम्मान में आयोजित एक अन्य विशेष कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने शाह को गिरफ्तारी से बचाने वाले अपने अंतरिम आदेश की अवधि बढ़ा दी है। साथ ही, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित स्वतः संज्ञान कार्यवाही को बंद कर दिया है, क्योंकि यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के पास है। SIT ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें फोरेंसिक साक्ष्य जैसे जांच विवरण शामिल हैं, और जांच के लिए और समय मांगा गया है।
पिछले महीने मध्य प्रदेश पुलिस ने 11 मई को महू में एक सार्वजनिक सभा में शाह के उस बयान के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों को “उनकी अपनी बहन” का इस्तेमाल करके सरकार ने सबक सिखाया। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन आरोप है कि उनका इशारा कर्नल सोफिया कुरैशी की ओर था, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया ब्रीफिंग में विंग कंमाडर व्योमिका सिंह के साथ भारत सेना के पराक्रम की जानकारी दी थी।
मंत्री अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित विशेष जांच दल (SIT) की जांच के दायरे में हैं और 28 मई तक सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे थे। लेकिन अब उन्होंने खंडवा जिले के खलवा क्षेत्र में सामूहिक बलात्कार और हत्या की शिकार एक महिला के शोकग्रस्त परिवार से मुलाकात की।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने शाह के बयान की निंदा की है, और शाह ने अपनी टिप्पणी के लिए तीन बार माफी मांगी है। लेकिन बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व अभी तक शाह के भविष्य पर कोई निर्णय नहीं ले सका है। सोशल मीडिया पर इस पर व्यापक बहस भी हुई और लोगों ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उसका हर मुद्दे को देखने का तरीका दोगला है।