कनाडा को पिछले कुछ सालों से
भारतीय छात्रों के लिए हॉट स्पॉट माना जाता रहा है। खासकर, पंजाब, हरियाणा और गुजरात से भारी तादाद में छात्र कनाडा जा रहे थे। लेकिन अगर नये आंकड़ों की ओर
देखें तो यह ट्रेंड कुछ बदलता हुआ नज़र आ रहा है। इसका दोष भारत और कनाडा के बीच
बढ़ते कूटनीतिक मतभेदों को दें या फिर इंडियन स्टूडेंट्स के बदलते चॉइस को। कुछ तो
बदला है।
दरअसल सोमवार को लोकसभा में
जब सांसद ई.टी मोहम्मद बशीर ने सवाल उठाने पर जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य
मंत्री सुकांत मजूमदार ने पिछले तीन साल का डेटा पेश किया तो कई चौंकाने वाले
आँकड़े सामने आए। पंजाब, हरियाणा, गुजरात से कनाडा जाने वाले छात्रों के लिए पढ़ाई के अलावा कनाडा का पीआर वीजा पाना और फिर वहां जॉब तलाशना भी एक प्रमुख आकर्षण था। लेकिन इसके बावजूद गिरावट दर्ज की जा रही है।
सबसे अधिक हैरान करने वाली
बात यह थी कि भारतीय छात्रों में विदेश जाकर पढ़ने की ललक थोड़ी काम नज़र आई है। 2024
में उससे पहले वाले साल की तुलना में 15 प्रतिशत लोग पढ़ने के लिए विदेश गये। एक और जानकारी जो आपको चौंका
देगी, यह कि अब भारतीय छात्र रूस को एक अच्छे ऑप्शन की तरह देख रहे हैं।
सबसे पहले बात आंकड़ों की करें तो शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 2024 में विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 15% की कमी आई है। 2022 में जहां 7.5 लाख से ज्यादा छात्र विदेश में पढ़ रहे थे, वहीं 2024 में ये संख्या घटकर 6.5 लाख से भी कम हो गई।
सबसे बड़ी गिरावट कनाडा में
देखी गई। 2023 में
4 लाख से ज्यादा छात्र कनाडा
गए थे, लेकिन 2024
में
ये संख्या घटकर 2.5 लाख
से भी कम रह गई। यानी 41% की
भारी गिरावट!” लेकिन दूसरी ओर, रूस की कहानी बिल्कुल उलट है। 2023 में जहां 11 हजार छात्र रूस गए थे, वहीं 2024 में ये संख्या बढ़कर 33% की बढ़ोत्तरी के साथ कहीं ज्यादा हो गई। रूस अब भारतीय छात्रों की पहली पसंद
बन रहा है। अब सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों क्योंकि रूस सरकार छात्रवृत्ति बढ़ा रही है और
छात्रों को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है।”
एक वक्त जो कनाडा छात्रो का फेवरेट डेस्टीनेशन हुआ करता था आज उसी कनाडा जाने से लोग कतरा क्यों रहे हैं इस बारे में पूछने पर विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और कनाडा के बीच बढ़ता राजनीतिक तनाव, खासकर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद, छात्रों का कनाडा को लेकर रुझान बदल रहा है ।
आपको बता दें कि सिर्फ कनाडा
ही नहीं, अमेरिका और UK जाने वाले छात्रों की
संख्या में भी कमी आई है। अमेरिका में छात्रों की संख्या 2023
के 2 लाख
34 हजार से घटकर 2024
में
2 लाख रह गई , मतलब सीधा सीधे 13%
की
गिरावट। इसकी वजह अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति ट्रम्प हैं। भारतीय छात्र डोनाल्ड
ट्रम्प पर आसानी से भरोसा नहीं कर पा रहे हैं और उनकी पल-पल बदलती नीतियों की वजह
से अमेरिका जाने से हिचक रहे हैं।
वहीं अगर UK की बात करें तो UK में भी भारतीय छात्रों की संख्या 1 लाख
36 हजार से घटकर 98 हजार
छात्र रह गई है ,इसकी
वजह भी सख्त
वीजा नियम और नौकरी के अवसरों में बदलाव हो सकती है ।
लोकसभा में पेश किए गए इन
आकड़ों से ये तो साफ है कि भारतीय छात्र अब अपने विकल्पों को ध्यान में रखते हुए
फैसले ले रहे हैं । जहां एक ओर कनाडा जैसे देशों में तनाव और सख्त नियमों की वजह
से छात्र दूर हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर रूस जैसे
देश अलग-अलग छात्रवृत्ति से छात्रों को आकर्षित कर नए अवसर दे रहे हैं । ये
बदलाव सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि
भारतीय छात्रों की सोच और प्राथमिकताओं में बदलाव को भी दर्शाता है। तो क्या आपको
लगता है कि दशकों से चले आ रहे कनाडा जाकर पढ़ाई करने के ट्रेंड में सच में बदलाव
होगा साथ ही, क्या रूस जाने वालों की बढ़ती संख्या की वजह क्या भारतीयों का रूस
में बढ़ता भरोसा है
(रिपोर्टः कृति भदौरिया और संपादनः यूसुफ किरमानी)