मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कन्नड़ राज्योत्सव समारोह के अवसर पर कहा कि कर्नाटक सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य में बनने वाले उत्पादों पर कन्नड़ भाषा में लेबलिंग हो। यानी उन पर कन्नड़ में लिखा हो। मुख्यमंत्री ने कहा- “कर्नाटक में निजी और सरकारी क्षेत्र में जो सामान और उत्पाद बनाए जा रहे हैं, उनकी पैकेजिंग पर वर्तमान में सिर्फ अंग्रेजी भाषा लिखी होती है। लेकिन पैकेजिंग पर कन्नड़ में भी उत्पादों के नाम होने चाहिए और हम इस लक्ष्य की दिशा में प्रयास करेंगे।”
मुख्यमंत्री ने कहा- “हम कर्नाटक में कन्नड़ के लिए माहौल बनाएंगे जहां लोग भाषा सीखेंगे और रोजमर्रा की जिन्दगी में इसका इस्तेमाल करेंगे। यह वह सम्मान होगा जो हम किसी भाषा को देते हैं। ऐसा माहौल बनाना है जहां गैर-कन्नड़ भाषी कन्नड़ सीखें, कन्नड़ भाषा के विकास के लिए आवश्यक है।”
कर्नाटक सीएम ने कहा- “जब तक मैं सत्ता में रहूंगा, तो मैं कन्नड़ को अपमानित नहीं होने दूंगा। मैं 1983 में कन्नड़ कवलु समिति का अध्यक्ष था। कर्नाटक में ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां कन्नड़ की रक्षा के लिए एक समिति की आवश्यकता है। यह समिति अभी भी कन्नड़ विकास प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रही है।”
सिद्धरमैया ने कहा- “इंसानों के बीच प्यार होना चाहिए लेकिन भाषा और संस्कृति के लिए भी प्यार होना चाहिए। भले ही आप कोई दूसरी भाषा सीखें, आपको अपनी कन्नड़ मातृभाषा नहीं भूलनी चाहिए। कन्नड़ भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है।“ सिद्धारमैया ने कहा, हम सभी को कन्नड़ को वह सम्मान दिलाने में मदद करने के लिए काम करना होगा जिसकी उसे जरूरत है।
कई अन्य कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री ने कन्नड़ भाषा के दुरुपयोग और अपमान के खिलाफ चेतावनी भी जारी की। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों के बीच भाषा का अपमान करने का चलन है और कर्नाटक राज्य की भाषा और संस्कृति को अपमानित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वक्फ की जमीन से किसी को नहीं हटाया जाएगाः कर्नाटक में कथित वक्फ भूमि विवाद के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भरोसा दिया कि किसी भी किसान को उनकी जमीन से बेदखल नहीं किया जाएगा। अगर किसी भी किसान को नोटिस जारी किया गया है, तो नोटिस वापस ले लिया जाएगा।” उन्होंने विजयपुरा, यादगीर और धारवाड़ जिलों में किसानों को भेजे गए नोटिस के संबंध में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए ये टिप्पणी की। नोटिसों में दावा किया गया था कि उनकी जमीनें वक्फ बोर्ड की हैं। उन्हें खाली करना होगा।
इससे पहले कर्नाटक के तीन मंत्रियों ने कहा था कि वक्फ बोर्ड का किसानों की जमीन अधिग्रहण करने का कोई इरादा नहीं है। राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा, वक्फ मंत्री बीजेड जमीर अहमद खान और विजयपुरा जिले के प्रभारी मंत्री एमबी पाटिल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर चुनावी लाभ के लिए मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
इस बीच, कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि मामले की जांच के लिए जिला आयुक्त के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें 1964 से 1973 तक के वक्फ और राजस्व रिकॉर्ड को क्रॉस-रेफरेंस करने के निर्देश दिए गए हैं। वक्फ मंत्री ज़मीर अहमद खान ने कहा- “हमें किसानों के स्वामित्व वाली कोई जमीन नहीं चाहिए। मैं भी एक किसान का बेटा हूं। हमारा लक्ष्य केवल वक्फ भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करना है। होनावादा में सिर्फ 11 एकड़ वक्फ संपत्ति है, जबकि 1,200 एकड़ के दावे किए गए थे। इन 11 एकड़ के अलावा बाकी सारा किसानों का है।” हालांकि भाजपा ने सरकार की सफाई को मानने से इंकार कर दिया है।