कर्नाटक भाजपा में अंदरुनी संकट फिर शुरू हो गया है। वरिष्ठ नेता रमेश जारकीहोली ने राज्य पार्टी अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र के पद पर बने रहने पर चिंता व्यक्त की है। हाल ही में आरएसएस और भाजपा नेतृत्व ने पार्टी नेताओं में मतभेदों को दूर करने और कर्नाटक में भाजपा के तमाम गुटों के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश की थी। रमेश जारकीहोली ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा- “हम उनके (विजयेंद्र) नेतृत्व को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वह एक जूनियर हैं और कर्नाटक में पार्टी को मिले ‘भ्रष्ट’ टैग के लिए जिम्मेदार हैं। हम उनके नेतृत्व के विरोधी हैं। लेकिन येदियुरप्पा के खिलाफ नहीं हैं।” उन्होंने राज्य पार्टी यूनिट को चलाने के लिए 15-20 वरिष्ठ भाजपा नेताओं का आह्वान किया।
पिछले साल नवंबर में भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के छोटे बेटे विजयेंद्र की राज्य भाजपा अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के बाद से जारकीहोली, विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और पूर्व मंत्री अरविंद लिंबावली जैसे पार्टी नेताओं के एक वर्ग ने आवाज उठाई है। उन्होंने येदियुरप्पा के एक अन्य वफादार आर अशोक को विधानसभा में विपक्ष का नेता (एलओपी) बनाए जाने पर भी आपत्ति व्यक्त की है। नाराज भाजपा नेताओं का कहना है कि सब कुछ येदियुरप्पा परिवार तय नहीं कर सकता।
पिछले गुरुवार की आरएसएस-भाजपा बैठक के विफल होने के संकेत एक दिन बाद ही सामने आए। उस बैठक के बाद यतनाल और जारकीहोली के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल थावर चंद गहलोत से मुलाकात कर कथित कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित मामले की व्यापक जांच की मांग की। लेकिन इस बैठक में प्रतिनिधिमंडल में भाजपा दूसरे गुट के लोग शामिल नहीं हुए। यतनाल ने अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि राज्यपाल के साथ गुरुवार की बैठक काफी पहले तय हो गई थी।
आरएसएस नेता मुकुंद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष की अध्यक्षता में गुरुवार की बैठक में कई नेता उपस्थित थे। पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा और यतनाल के साथ जारकीहोली ने एक गुट का प्रतिनिधित्व किया, जबकि दूसरे का प्रतिनिधित्व अशोक, विजयेंद्र और विधान परिषद में विपक्ष के नेता, चलावादी नारायणस्वामी ने किया। बैठक में प्रतिद्वंद्वी खेमों को अपने मतभेदों को किनारे रखकर आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई और उनसे राज्य इकाई के फैसलों के खिलाफ सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करने का आग्रह किया गया।
विजयेंद्र-जरकीहोली संघर्ष 2019 तक चला, जब येदियुरप्पा सीएम थे। कहा जाता है कि जारकीहोली के कथित सेक्स वीडियो के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने से पहले ही दोनों नेताओं के बीच मतभेद हो गए थे। जारकीहोली 2019 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए और बाद में उन्हें येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में जल संसाधन मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया।
दूसरी ओर, यतनाल ने पिछले कुछ वर्षों में येदियुरप्पा पर लगातार निशाना साधा है। विजयेंद्र की राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद, यतनाल ने येदियुरप्पा पर अपने बेटे के लिए पद सुरक्षित करने के लिए पार्टी आलाकमान को “ब्लैकमेल” करने का आरोप लगाया था। मंगलवार को, विजयेंद्र ने कहा कि भाजपा के हित में “सब कुछ निगलते हुए”, वह अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुमत के साथ राज्य में सत्ता में लाने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं।