महाराष्ट्र कैबिनेट ने सोमवार को धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) के लिए आवास टावर बनाने के लिए अडानी समूह को शहर के सबसे पुराने और सबसे बड़े डंपिंग ग्राउंड में से एक, देवनार डंपिंग ग्राउंड की 124 एकड़ जमीन आवंटित करने की अनुमति देने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
अडानी समूह पर लैंड पार्सल की बारिश
अडानी समूह के धारावी प्रोजेक्ट में कई लैंड पार्सल इस समूह को महाराष्ट्र सरकार ने दिये हैं। सोमवार को दिया गया लैंड पार्सल सबसे ताजा मामला है। पिछले एक माह में अडानी समूह को लैंड पार्सल का यह तीसरा आवंटन है। पिछली कैबिनेट बैठक में, 10 अक्टूबर को, राज्य ने धारावी निवासियों को फिर से बसाने के लिए लगभग 140 एकड़ भूमि आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। 30 सितंबर को पिछली कैबिनेट बैठक में, सरकार ने धारावी निवासियों के घर बनाने के लिए 255 एकड़ ईको सिस्टम के नजरिये से नाजुक नमक-पैन भूमि को पट्टे पर देने की मंजूरी दे दी थी। इसी तरह जून 2023 में, राज्य ने उक्त परियोजना के लिए कुर्ला डेयरी की लगभग 21 एकड़ भूमि सौंपने की मंजूरी दे दी थी।
धारावी के देवनार में 311 एकड़ (126 हेक्टेयर) में फैला, देवनार लैंडफिल मुंबई का सबसे पुराना डंप-यार्ड है जो 1927 से चल रहा है। कुल क्षेत्रफल में से, राज्य सरकार ने अडानी प्रोजेक्ट के लिए 124 एकड़ (50 हेक्टेयर) क्षेत्र तय किया है, जिसमें रिहायशी टावर बनेंगे। शेष 187 एकड़ जमीन बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के पास रहेगी।
वर्तमान में लैंडफिल में लगभग 20 मिलियन टन ठोस कचरा है, और बीएमसी की पर्यावरण सर्वेक्षण रिपोर्ट (ईएसआर) में कहा गया है कि दैनिक आधार पर, लगभग 500-700 मीट्रिक टन (एमटी) ठोस कचरा लैंडफिल में डंप किया जा रहा है जो मुंबई में प्रतिदिन पैदा होने वाले कुल नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) यानी कूड़े-कचरे का 10 फीसदी है। अडानी समूह यहां पर जो टावर बनायेगा, उसके आसपास बीएमसी की लैंडफिल साइट बनी रहेगी, ऐसा अभी कहा जा रहा है। कल को इन टावरों में बसने वाले लोग इस लैंडफिल साइट को ही हटाने की मांग कर सकते हैं। ऐसे में कूड़े का यह जखीरा कहां जायेगा, उसकी कोई भावी योजना नहीं बनाई गई है। अभी जो 10 फीसदी कूड़ा सरप्लस होगा, वो कहां जायेगा, इस पर कोई खाका पेश नहीं किया गया है।
बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि “लैंड पार्सल सौंपने का प्रस्ताव पिछले साल राज्य सरकार से आया था। हमें मौजूदा विरासती कचरे से उक्त हिस्से को साफ करने और फिर उसे सौंपने के लिए कहा गया था। हालाँकि, ज़मीन को ‘जैसी है’ के आधार पर सौंपा जा रहा है क्योंकि कचरे की मात्रा को वहां से हटाया नहीं जा सका है।”
124 एकड़ भूमि का इस्तेमाल पहले कचरे को डंप करने और उसका इस्तेमाव करने के लिए किया जा रहा था। इस विशेष भूमि पर डंपिंग कुछ समय के लिए रोक दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि जमीन सौंपे जाने के बाद उक्त जमीन पर मौजूद कूड़े को हटाने की जिम्मेदारी अडानी प्रोजेक्ट की कंपनी की होगी।
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हालाँकि, ज़मीन सौंपने से कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने कूड़े के ढेर पर आवासीय टावरों के निर्माण की अनुमति देने और लोगों को शहर की सबसे बड़ी लैंडफिल साइट के इतने करीब रहने की अनुमति देने पर चिंता जताई है।
मुंबई सस्टेनेबिलिटी सेंटर के डायरेक्टर ऋषि अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सरकार को डंपिंग ग्राउंड के अंदर लोगों के पुनर्वास के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि यह बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा- “लैंडफिल मीथेन गैस सहित धुएं का उत्सर्जन करने के लिए जाने जाते हैं। पुराने कचरे में अक्सर आग लग जाती है जिससे प्लास्टिक जैसे कचरा पदार्थों के जलने से कार्सिनोजेन पैदा होती है। कई अध्ययनों से पहले ही पता चला है कि मानखुर्द, गोवंडी, शिवाजी नगर जैसे इलाकों में रहने वाले लोगों की उम्र इस प्रदूषण के कारण कम हो गई है। इसलिए सरकार को अपना फैसला पलट देना चाहिए।”
धारावी बचाओ आंदोलन के संस्थापक सदस्य एडवोकेट राजू कोर्डे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि धारावी प्रोजेक्ट एक पुनर्विकास योजना है “जहां निवासियों को केवल धारावी में ही पुनर्वासित किया जाना है। हमने शुरू से ही धारावी निवासियों को देवनार में स्थानांतरित करने के कदम का विरोध किया है, यह जानते हुए कि यह बेहद खतरनाक है।
इस बीच, विपक्ष ने भी भूमि आवंटन को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की। शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने कहा- “अडानी समूह को धारावी पुनर्विकास प्रोजेक्ट में मुफ्त में अधिक जमीन मिल गई है। जमीन की कीमत लगभग ₹5,000 करोड़ है।” मुंबई कांग्रेस प्रमुख और एलएस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने इसे मुंबई की ‘मेगा लूट’ करार दिया। वर्षा ने कहा- “धारावी धारावी के लोगों का है। उन्हें देवनार के डंपिंग ग्राउंड में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है उन्हें अन्यत्र क्यों फेंका जा रहा है हम इसकी इजाजत नहीं देंगे।”