
PM Modi 3.0
PM Modi 3.0
PM Modi 3.0: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल को आज एक वर्ष पूरा हो गया। इसके साथ ही केंद्र में उनकी अगुवाई वाली सरकार ने 11 वर्षों का राजनीतिक सफर तय कर लिया है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले तीसरे नेता बन गए हैं। हालांकि इस बार उनकी सरकार पूर्ण बहुमत के बजाय सहयोगी दलों के समर्थन से बनी, लेकिन नेतृत्व का अंदाज और फैसलों की दृढ़ता में कोई कमी नहीं आई।
2024 में हुए आम चुनावों में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला, लेकिन एनडीए के सहयोग से मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। गठबंधन की राजनीति के बावजूद मोदी सरकार ने सख्त और निर्णायक कदम उठाने में कोई झिझक नहीं दिखाई। पहले ही साल में सरकार ने आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया, वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन किया और जातिगत जनगणना जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों पर ठोस फैसले लिए।
तीसरे कार्यकाल में बदलते समीकरण, लेकिन अडिग नेतृत्व
2014 और 2019 के विपरीत, 2024 में बनी मोदी सरकार सहयोगी दलों के समर्थन से सत्ता में आई। इस बार बीजेपी को चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू जैसे सहयोगियों की आवश्यकता पड़ी। हालांकि विपक्ष ने इसे मोदी के लिए चुनौती बताया, लेकिन प्रधानमंत्री ने पहले वर्ष में यह साबित कर दिया कि वह गठबंधन की राजनीति को भी प्रभावी ढंग से संभाल सकते हैं। टीडीपी, जेडीयू और एलजेपी जैसे दलों का वक्फ संशोधन विधेयक में समर्थन इस गठबंधन की मजबूती का प्रमाण रहा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’: आतंक पर कड़ा जवाब
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में मई 2025 में शुरू किया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आक्रामकता का प्रतीक बन गया। तीनों सेनाओं के संयुक्त अभियान में सीमा पार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर यह संदेश स्पष्ट कर दिया गया कि भारत अब हर आतंकी हरकत का करारा जवाब देगा। इस सैन्य कार्रवाई ने मोदी की छवि को एक निर्णायक और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने वाले नेता के रूप में और अधिक सुदृढ़ किया।
जातिगत जनगणना का ऐतिहासिक निर्णय
देश में लंबे समय से उठती रही जातिगत जनगणना की मांग को मोदी सरकार ने गंभीरता से लिया। आजादी के बाद पहली बार सरकार ने सभी जातियों की गणना कराने का फैसला लिया, जिससे विशेषकर ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व और योजनाओं के निर्धारण में मदद मिलेगी। यह निर्णय न केवल सामाजिक संतुलन की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, बल्कि इसके जरिए बीजेपी ने विपक्ष के हाथ से एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी छीन लिया है।
राज्य चुनावों में पुनर्स्थापित होती बीजेपी
लोकसभा में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन के बाद बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में जोरदार वापसी की। हरियाणा और महाराष्ट्र में अप्रत्याशित जीत के बाद पार्टी ने दिल्ली में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए आम आदमी पार्टी को पराजित कर सत्ता में वापसी की, जो 27 वर्षों बाद हुआ। इससे पार्टी को न केवल राजनीतिक जमीन वापस मिली बल्कि खोया हुआ आत्मविश्वास भी लौटा।
पहला साल, कई इम्तिहान और निर्णायक मोर्चेबंदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का यह पहला साल गठबंधन की नई ज़रूरतों और बदलते सियासी समीकरणों के बावजूद प्रशासनिक स्थिरता और नीति-निर्माण की दृढ़ता से भरपूर रहा। आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख, सामाजिक मुद्दों पर साहसिक निर्णय और सहयोगी दलों के साथ प्रभावशाली तालमेल ने यह संकेत दे दिया है कि यह कार्यकाल भी पहले दो की तरह निर्णायक और दूरगामी परिणाम देने वाला हो सकता है।