गौतम अडानी पर अमेरिकी अभियोग के मामले में अब जगन मोहन रेड्डी विरोधियों के आरोपों से घिरते जा रहे हैं। तेलुगू देशम पार्टी यानी टीडीपी ने मांग की है कि उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान गौतम अडानी के साथ बैठक में क्या-क्या हुआ था, उसको सार्वजनिक किया जाए। जगन की बहन और आंध्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष शर्मिला ने भी जगन रेड्डी पर कई आरोप लगाए हैं।
बहरहाल, टीडीपी के प्रवक्ता अनम वेंकटरमण रेड्डी ने मांग की है कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी उद्योगपति गौतम अडानी के साथ अपनी बैठकों का ब्योरा सार्वजनिक करें। उन्होंने दावा किया कि सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी एसईसीआई के माध्यम से अडानी समूह से बिजली खरीदने से संबंधित फ़ाइलों पर पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने विभिन्न विभागों के विरोध के बावजूद गुप्त रूप से हस्ताक्षर किए और उन्हें आगे बढ़ाया। उन्होंने मांग की कि जगन अमेरिकी अदालत में गौतम अडानी के ख़िलाफ़ अभियोग में लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोपों पर सफाई दें।
शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार अमेरिका में गौतम अडानी पर आरोप लगा कि उन्होंने भारत में एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 2000 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की योजना बनाई। द गार्डियन की रिपोर्ट में कहा गया कि या तो घूस की यह रक़म भुगतान की जा रही है या फिर यह देना तय हुआ है। न्यूयॉर्क में उनपर यह आरोप इसलिए लगा है कि 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने की इस योजना को अमेरिकी निवेशकों से छिपाया गया।
यह मामला अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म के बीच भारत सरकार को 12 गीगावाट सौर ऊर्जा बेचने के लिए हुए समझौते से जुड़ा है। अमेरिकी अभियोग में उन पर पिछले पांच वर्षों में वॉल स्ट्रीट निवेशकों से परियोजना में कई बिलियन डॉलर निवेश करवाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है।
आरोप है कि भारत में यह अनुबंधों को पाने में मदद करने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दे रहा था या देने की योजना बना रहा था। सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन यानी एसईसी ने गौतम अडानी और सागर अडानी, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारियों और एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के एक अधिकारी सिरिल कैबनेस पर बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी योजना का आरोप लगाया था।
अडानी समूह ने अपने अध्यक्ष गौतम अडानी और अन्य प्रमुख अधिकारियों के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए रिश्वतखोरी और प्रतिभूति धोखाधड़ी की योजना के आरोपों को खारिज किया है और इसे आधारहीन बताया है।
इसने कहा है कि वह क़ानूनी रास्ते तलाश रहा है। इस मामले में अडानी समूह ने बुधवार को बयान जारी कर कहा है कि समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन पर एफसीपीए के तहत आरोप नहीं लगाया गया है।
बहरहाल, टीडीपी के सूत्रों के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी है कि 1750 करोड़ रुपये की रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर पार्टी के कई नेता असमंजस में हैं और उनका मानना है कि टीडीपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को बिजली खरीद समझौतों की जाँच शुरू करनी चाहिए और जगन को जवाबदेह ठहराना चाहिए।
मंगलवार को राज्य के दो मंत्रियों ने कहा था कि अडानी समूह से बिजली खरीदने के लिए जगन सरकार द्वारा सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ किए गए बिजली खरीद समझौते जांच के दायरे में हैं। शुक्रवार को विधानसभा में सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा था, ‘मेरे पास अमेरिका में दायर अभियोग की सभी रिपोर्ट हैं। हम उनका अध्ययन करेंगे और उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे। हम बताएंगे कि हम क्या कार्रवाई करेंगे।’ जगन के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाले कुछ एनडीए सदस्यों के जवाब में नायडू ने कहा था कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के ख़िलाफ़ आरोपों ने आंध्र प्रदेश की ब्रांड छवि को नुक़सान पहुँचाया है।
अमेरिकी अदालत के अभियोग के अनुसार, अडानी ने एसईसीआई और आंध्र प्रदेश की राज्य बिजली वितरण कंपनियों के बीच पीएसए यानी बिजली आपूर्ति समझौतों को आगे बढ़ाने के लिए आंध्र प्रदेश में फोरेन ऑफिशियल1 से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की, जिसमें 7 अगस्त, 2021 को या उसके आसपास, 12 सितंबर, 2021 को या उसके आसपास और 20 नवंबर, 2021 को या उसके आसपास मुलाकात शामिल है। अभियोग के अनुसार, फोरेन ऑफिशियल1 ने मई 2019 से जून 2024 तक आंध्र प्रदेश के एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी के रूप में काम किया था।
हालाँकि अभियोग में फोरेन ऑफिशियल1 का नाम नहीं है, लेकिन सुरक्षा विनिमय आयोग की फाइलिंग में कहा गया है कि अगस्त 2021 में अडानी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की…। मई 2019 से जून 2024 के बीच जगन मुख्यमंत्री थे।
शर्मिला ने की जेपीसी जांच की मांग
वाईएस शर्मिला ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर को पत्र लिखकर राज्य सरकार और अडानी समूह के बीच बिजली खरीद समझौतों में प्राप्त 1750 करोड़ रुपये की रिश्वत की जांच का आदेश देने की मांग की है। आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष ने राज्यपाल को 27 नवंबर को लिखे पत्र में लिखा है: ‘अडानी रिश्वत मामला न केवल राज्य के लोगों के हितों के लिए हानिकारक है, बल्कि इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य की छवि भी खराब की है।’
राज्यपाल को लिखे शर्मिला के पत्र के अनुसार, कथित रिश्वत कांड ने आंध्र प्रदेश को राजनीतिक और प्रशासनिक दलदल में धकेल दिया है। उन्होंने राज्य सरकार और अडानी समूह के बीच सौर ऊर्जा सौदे की संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से जांच कराने की मांग की। शर्मिला ने आरोप लगाया कि यह सौदा एक बड़ा घोटाला है और राज्य सरकार ने अन्य राज्यों की तुलना में अधिक दर पर सौर ऊर्जा खरीदी है।