जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री के शपथ लेने से पहले केंद्र ने रविवार को एक अधिसूचना जारी कर राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जारी एक आदेश में कहा, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 और 239 ए के साथ पठित जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) की धारा 73 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में 31 अक्टूबर, 2019 का आदेश जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति से तुरंत पहले रद्द कर दिया जाएगा।
2018 में, तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राज्यपाल शासन के तहत छह महीने पूरे होने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। कोविंद ने राज्य में केंद्रीय शासन लागू करने की घोषणा पर हस्ताक्षर किए। जून 2018 में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पतन के बाद जम्मू कश्मीर में राजनीतिक संकट बढ़ता चला गया।
1996 के बाद यह पहला मौका था जब उग्रवाद प्रभावित राज्य में केंद्रीय शासन लागू किया गया था। उस समय के गजट अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक से एक रिपोर्ट मिली थी और इस पर विचार करने के बाद, वह इस बात से संतुष्ट थे कि राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता थी।
जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में औपचारिक रूप से विभाजित करने के बाद, 31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू और कश्मीर में केंद्रीय शासन यानी उपराज्यपाल की नियुक्ति की गई।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 संसद द्वारा 5 अगस्त, 2019 को पारित किया गया था। संविधान का अनुच्छेद 370, जो पूर्ववर्ती राज्य को एक विशेष दर्जा देता था, को भी उस दिन निरस्त कर दिया गया था।
अब जबकि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में नेशनल कान्फ्रेंस-कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है, नेशनल कान्फ्रेंस ने साफ कर दिया है कि वो सबसे पहले राज्या का दर्जा बहाल किये जाने पर जोर देगी। राज्य के दर्जे के लिए केंद्र के हस्तक्षेप का आह्वान करते हुए, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जम्मू-कश्मीर “भारत का मुकुट” है और इसकी चमक देश की समग्र प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए इसका राज्य का दर्जा हर हालत में बहाल किया जाना चाहिए।
फारूक ने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि जम्मू-कश्मीर अपनी चुनौतियों से निपट सके, राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र का समर्थन महत्वपूर्ण है, जिससे क्षेत्र में सरकार प्रभावी ढंग से काम कर सके।”
नेशनल कान्फ्रेस ने जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए शनिवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सामने बहुमत का दावा पेश कर दिया है।
नेशनल कान्फ्रेंस का कहना है कि हमें जम्मू के लोगों का दिल जीतने की जरूरत है और हमें इसके लिए लगन से काम करना चाहिए। वहां के लोगों के बीच गलत प्रचार फैल गया है. यह उनकी गलती नहीं है क्योंकि उन्हें बताया गया था कि यहां पथराव शुरू होगा, आतंकवाद वापस आएगा और वे खतरे में हैं। पार्टी ने कहा कि जम्मू क्षेत्र के कुछ हिस्सों में लोगों को यह एहसास ही नहीं हुआ कि उन्होंने अपनी जमीनें और नौकरियां खो दी हैं, भारतीय जनता पार्टी के कथित प्रचार के जाल में फंसकर सब कुछ गायब हो गया।
नेशनल का लक्ष्य उनके दिलों से इस दुष्प्रचार को ख़त्म करना है और एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देना है जहाँ हर कोई खुशी से रह सके। यह क्षेत्र महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है और हमें उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए।