विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत और चीन जल्द ही लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर गश्त फिर से शुरू करेंगे। एक हफ़्ते पहले सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने घोषणा की थी कि भारत और चीन सीमा पर पीछे हटने और वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर गश्त फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते पर पहुँच गए हैं।
पूर्वी लद्दाख के गलवान में साढ़े चार साल पहले चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी और इस वजह से झड़प हुई थी। तब से एलएसी पर दोनों की पेट्रोलिंग नहीं हो पा रही है। 5 मई 2020 को चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि बाद में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। कई चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी ख़बरें आई थीं।
2020 में हुई उस झड़प के बाद दोनों देशों के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए कई दौर की वार्ता हो चुकी है। प्रत्येक पक्ष के एलएसी पर अभी करीब 50,000 से 60,000 सैनिक हैं। यही वजह है कि पूर्वी लद्दाख में 1597 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के साथ भारत और चीनी सेना के बीच एक असहज गतिरोध बना हुआ है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने हफ़्ते भर पहले कहा था कि नई दिल्ली और बीजिंग सीमा पर सैनिकों की वापसी पर सहमत हो गए हैं।
बीजिंग ने की सैनिकों की वापसी की पुष्टि
भारतीय सेना के सूत्रों द्वारा मंगलवार को देपसांग मैदानों और डेमचोक में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू होने की पुष्टि के कुछ ही समय बाद चीन ने भी इसकी पुष्टि की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने शुक्रवार को बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘सीमा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चीन और भारत द्वारा हाल ही में किए गए प्रस्तावों के अनुसार, चीनी और भारतीय सीमावर्ती सैनिक संबंधित काम में जुटे हुए हैं, जो इस समय सुचारू रूप से चल रहा है।’
रिपोर्टों में कहा गया है कि यह प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी हो जाने की संभावना है, लेकिन इन क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति और मौसम की स्थिति को देखते हुए कोई सख्त समयसीमा नहीं हो सकती।
जयशंकर ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमें उम्मीद है कि डेमचोक और देपसांग जैसे क्षेत्रों में 31 अक्टूबर 2020 से पहले की गश्त व्यवस्था फिर से शुरू हो जाएगी। इसमें कुछ समय लगेगा।’ इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार मंत्री ने कहा कि 21 अक्टूबर को हस्ताक्षरित हालिया समझौता ज्ञापन में गश्त पर प्रतिबंध हटाने की बात कही गई है। दोनों देशों के बीच 2020 की गश्त व्यवस्था पर वापस जाने के लिए एक समझौता हुआ है।
जयशंकर ने साफ़ किया, ‘अभी भी सैनिकों की वापसी और गश्त से संबंधित कुछ मुद्दे हैं।’ उन्होंने कहा कि भविष्य की चर्चा सीमा प्रबंधन और स्थिरता सुनिश्चित करने पर केंद्रित होगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को एलएसी पर गश्त पर चीन के साथ हाल ही में हुए सफल समझौते का श्रेय भारत के सैन्य बलों और कूटनीतिक प्रयासों को दिया और कहा कि सेना ने राष्ट्र की रक्षा के लिए ‘बहुत, बहुत अकल्पनीय’ परिस्थितियों में काम किया।
भारत और चीन के बीच एक अहम समझौते के बाद दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग मैदानों में दो टकराव बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है। यह समझौता केवल इन दो टकराव बिंदुओं के लिए हुआ था, और अन्य क्षेत्रों के लिए ‘बातचीत अभी भी चल रही है’।
बता दें कि क़रीब एक हफ़्ते पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के बाद भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर एक समझौता हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे पीछे हटने और 2020 में इन क्षेत्रों में उठे मुद्दों का समाधान करने की ओर वे आगे बढ़ रहे हैं।
पिछले महीने चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि चीन और भारत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को ख़त्म करने के लिए संघर्ष वाले प्वाइंटों से सैनिकों को हटाने, मतभेदों को कम करने और कुछ आम सहमति बनाने में सक्षम थे। उन्होंने कहा था कि वे समाधान के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए।