चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के ‘मैच फिक्सिंग महाराष्ट्र’ लेख में लगाए गए धांधली के आरोपों को निराधार बताया है। इसने कहा है कि राहुल के ये आरोप कानून के शासन का अपमान है। इसने राहुल के आरोपों का बिंदुवार जवाब दिया है। इसके साथ ही बीजेपी भी राहुल गांधी के आरोपों पर भड़क गई है। इसने राहुल के आरोपों को शर्मनाक और हताशा का परिणाम बताते हुए तीखा पलटवार किया है। इस मुद्दे ने देश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें विपक्ष और सत्ताधारी दल आमने-सामने हैं।
चुनाव आयोग यानी ईसीआई की ओर से यह बयान तब आया है जब राहुल गांधी का शनिवार यानी 7 जून को ‘मैच फिक्सिंग महाराष्ट्र’ शीर्षक से एक लेख भारतीय एक्सप्रेस, दैनिक जागरण और अन्य प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है। इस लेख में उन्होंने नवंबर 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चुनावी हेरफेर और मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया। राहुल ने दावा किया कि चुनाव आयोग की नियुक्ति पैनल पर कब्जा किया गया, महाराष्ट्र में मतदाता सूची में फर्जीवाड़ा किया गया, मतदान प्रतिशत बढ़ाया गया, फर्जी मतदान किया गया और धांधली के सबूतों को छिपाने की कोशिश की गई। राहुल ने अपने लेख को एक्स पर साझा करते हुए लिखा, ‘मैंने अपने लेख में चरण दर चरण विस्तार से बताया है कि कैसे चुनाव को चुराया गया।’
राहुल के सवालों पर ईसीआई का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बेतुका और निराधार बताते हुए कड़ा जवाब दिया है। एएनआई ने चुनाव आयोग के बयान को साझा किया है। इसके अनुसार ईसीआई ने अपने बयान में कहा कि ऐसे बयान न केवल लोकतांत्रिक संस्थानों की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं, बल्कि यह कानून के शासन का अपमान भी हैं।
राहुल का आरोप : महाराष्ट्र में शाम 5 बजे तक मतदान प्रतिशत 58.22 था। अंतिम मतदान प्रतिशत अगली सुबह 66.05 प्रतिशत बताया गया। यह अभूतपूर्व 7.83 प्रतिशत अंकों की वृद्धि 76 लाख मतदाताओं के बराबर है। फर्जी मतदान किया गया।
ECI का जवाब: प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदान प्रक्रिया उम्मीदवारों-राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त मतदान एजेंटों की निगरानी में हुई।
राहुल का आरोप : राज्य के 1 लाख बूथों में से 12000 बूथ 85 विधानसभा क्षेत्रों में हैं। यहाँ पाँच बजे के बाद हर बूथों पर वोट पड़ने का औसत 600 है। एक वोट डालने के लिए एक मिनट का समय भी चाहिए तो इतने मतदान के लिए 10 घंटे तक मतदान होना चाहिए।
ECI का जवाब: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान 6,40,87,588 मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केंद्रों पर वोट डाला। औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख वोट पड़े। इन औसत रुझानों के आधार पर अंतिम दो घंटों में लगभग 116 लाख मतदाता वोट डाल सकते थे। इसलिए, दो घंटों में 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे के मतदान रुझानों से काफी कम है।
राहुल का आरोप : 2019 के विधानसभा चुनावों में 8.98 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 9.29 करोड़ हो गए। इसके सिर्फ़ पाँच महीने बाद ही विधानसभा चुनावों में 9.70 करोड़ मतदाता हो गए। पाँच साल में 31 लाख मतदाता बढ़े थे, लेकिन सिर्फ़ पाँच महीने में 41 लाख मतदाता बढ़ गए। यह इतना अप्रत्याशित था कि सरकार के आँकड़ों के अनुसार ही 18 साल से ज़्यादा के 9.54 करोड़ की जनसंख्या से ज़्यादा मतदाता 9.70 करोड़ हो गए।
ECI का जवाब : भारत में मतदाता सूची जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार बनाई जाती है। क़ानून के अनुसार, चुनाव से ठीक पहले या हर साल विशेष संक्षिप्त संशोधन किया जाता है। अंतिम मतदाता सूची की एक प्रति सभी राजनीतिक दलों को सौंपी जाती है।
महाराष्ट्र चुनावों के दौरान इन मतदाता सूचियों को अंतिम रूप देने के बाद 9,77,90,752 मतदाताओं के विरुद्ध केवल 89 अपीलें प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के सामने दायर की गईं, और केवल एक अपील मुख्य चुनाव अधिकारी के सामने दायर की गई। इसलिए, यह साफ़ है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के आयोजन से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल ने कोई गंभीर आपत्ति नहीं जताई।
मतदाता सूची के संशोधन के दौरान, 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारियों द्वारा नियुक्त 97,325 बूथ स्तर अधिकारियों के साथ-साथ, सभी राजनीतिक दलों द्वारा कुल 1,03,727 बूथ स्तर एजेंट भी नियुक्त किए गए। इनमें से 27,099 कांग्रेस द्वारा नियुक्त किए गए थे। अतः, महाराष्ट्र की मतदाता सूची के विरुद्ध लगाए गए ये निराधार आरोप क़ानून के शासन के विरुद्ध हैं।
राहुल के आरोप ये भी
राहुल ने दावा किया कि इस धांधली के सबूतों को छिपाने की कोशिश की गई, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों से यह साफ़ हो गया कि धांधली बड़े पैमाने पर की गई। उन्होंने लेख में लिखा है, ‘केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से परामर्श के बाद 1961 के चुनाव संचालन नियमों की धारा 93(2)(a) में संशोधन किया ताकि सीसीटीवी फुटेज और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुँच को रोका जा सके। यह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के केवल एक महीने बाद और उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद किया गया जिसमें चुनाव आयोग को एक मतदान केंद्र के वीडियोग्राफी और सीसीटीवी फुटेज साझा करने का निर्देश दिया गया था।’
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि 2023 के चुनाव आयुक्त नियुक्ति अधिनियम के तहत चुनाव आयोग की नियुक्ति करने वाले पैनल को हथियार बनाया गया। इस पैनल में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की 2:1 बहुमत की भूमिका होती है, जिसके कारण विपक्ष के नेता की राय को दरकिनार किया जा सकता है।
बीजेपी का तीखा पलटवार
बीजेपी ने राहुल गांधी के आरोपों को शर्मनाक, हास्यास्पद और निराशा का परिणाम बताते हुए तीखा हमला बोला। पार्टी के नेताओं ने कहा कि कांग्रेस अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रही है और इसलिए बार-बार चुनाव आयोग और लोकतांत्रिक संस्थानों पर सवाल उठा रही है।
बीजेपी ने एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘राहुल गांधी को देश की संस्थाओं पर सवाल उठाना बंद करना चाहिए। चुनाव आयोग ने पहले ही उनके आरोपों का जवाब दे दिया है। यह उनकी हार की स्वीकारोक्ति है।’ बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘राहुल गांधी का लेख उनकी हताशा और विफलता को दिखाता है। वे देश की संस्थाओं पर सवाल उठाकर केवल अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘राहुल गांधी ने बिहार में अपनी हार पहले ही मान ली है। जब तक वे जमीन पर नहीं उतरेंगे और तथ्यों को नहीं समझेंगे, उनकी पार्टी हारती रहेगी।’ उन्होंने राहुल के आरोपों को नींद में बड़बड़ाने जैसा बताया।
विपक्ष का रुख
कांग्रेस ने राहुल गांधी के लेख का समर्थन करते हुए कहा कि वे केवल चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘राहुल गांधी ने तथ्यों के साथ सवाल उठाए हैं। अगर सब कुछ निष्पक्ष है, तो चुनाव आयोग को ईवीएम और मतगणना की प्रक्रिया की पूरी जांच करानी चाहिए।’
महा विकास अघाड़ी के सहयोगी दल शिवसेना यूबीटी और शरद पवार के एनसीपी गुट ने भी राहुल के आरोपों का समर्थन किया। उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता जरूरी है। अगर सवाल उठ रहे हैं, तो आयोग को जवाब देना चाहिए, न कि उन्हें खारिज करना चाहिए।’
राहुल गांधी के ‘मैच फिक्सिंग महाराष्ट्र’ लेख ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या यह विवाद और तेज होता है या फिर कोई ठोस सबूत सामने आने पर इसकी दिशा बदलती है।