अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियों में हालिया उलटफेर ने दुनियाभर में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है। एक संघीय अदालत ने ट्रम्प के टैरिफ को अवैध करार दिया था, लेकिन फेडरल सर्किट कोर्ट ने इसे अस्थायी रूप से बहाल कर दिया। अब अपील की प्रक्रिया शुरू होने के साथ, वैश्विक व्यापार रणनीतियों पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर भारत जैसे देशों के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं के संदर्भ में।
ट्रम्प प्रशासन ने अप्रैल 2025 में भारत सहित कई देशों पर 10% का आधारभूत टैरिफ और अन्य देशों पर ऊंचे टैरिफ लागू किए थे। हालांकि, 90 दिनों की रोक के बाद, ट्रम्प ने इन टैरिफ को अस्थायी रूप से कम कर दिया, सिवाय चीन के, जहां टैरिफ को 125% तक बढ़ा दिया गया। इस बीच, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत तेज हो गई है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 500 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हासिल करना है।
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने 28 मई को ट्रम्प के “फेंटेनाइल टैरिफ” और “पारस्परिक टैरिफ” को अवैध घोषित किया, यह कहते हुए कि राष्ट्रपति ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। अगले ही दिन, फेडरल सर्किट कोर्ट ने इस फैसले पर अस्थायी स्थगन दे दिया, जिससे टैरिफ अभी लागू रहेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला जल्द ही अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है, जो ट्रम्प की व्यापार नीतियों के भविष्य को तय करेगा।
कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसॉम ने भी ट्रम्प के टैरिफ को अवैध बताते हुए एक अलग मुकदमा दायर किया है, जिससे इस नीति की वैधानिकता पर और सवाल उठ रहे हैं।
ट्रम्प प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए स्टील, एल्यूमीनियम, कार और कार के पुर्जों पर पहले से ही सेक्शन 232 के तहत टैरिफ लगाए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय का फैसला बरकरार रहता है, तो प्रशासन सेक्शन 232 जैसे प्रावधानों का उपयोग करके अन्य क्षेत्रों, जैसे सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ लागू कर सकता है।
इस बीच, जुलाई में लागू होने वाले तथाकथित पारस्परिक टैरिफ और 10% यूनिवर्सल टैरिफ के भविष्य पर अनिश्चितता बनी हुई है। यह सवाल बना हुआ है कि क्या अमेरिकी कांग्रेस ट्रम्प के समर्थन में आएगी या सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होगा। इस अनिश्चितता ने अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट की भारत जैसे देशों के साथ व्यापार समझौतों की कोशिशों को कमजोर किया है।
भारत, जो अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है, ने टैरिफ में 90 दिनों की छूट का स्वागत किया है। भारतीय व्यापार मंत्रालय और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सक्रिय रूप से अमेरिका के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं। गोयल ने हाल ही में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर और वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के साथ मुलाकात की, ताकि इस समझौते की रूपरेखा तैयार की जा सके।
भारतीय निर्यातकों, विशेष रूप से झींगा निर्यातकों, के लिए यह राहत की बात है, क्योंकि टैरिफ में कमी से उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प की नीतियों की अप्रत्याशितता के कारण भारत को सतर्क रहना होगा।
ट्रम्प की व्यापार नीतियों पर कानूनी और राजनीतिक अनिश्चितता ने वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मचा दी है। भारत जैसे देशों के लिए यह एक अवसर और चुनौती दोनों है। एक तरफ, व्यापार समझौते से दीर्घकालिक लाभ हो सकता है, वहीं दूसरी तरफ, ट्रम्प की अस्थिर नीतियां और सुप्रीम कोर्ट का आगामी फैसला वैश्विक व्यापार की दिशा तय करेगा।