बांग्लादेश के पीएम पद से इस्तीफ़ा देने और देश छोड़ने के बाद शेख हसीना ने पहली बार बयान जारी किया है। हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से उन्हें हटाने के पीछे की ताक़तों और हिंसा करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने लाखों शहीदों के खून का अपमान किया है, मैं देशवासियों से न्याय चाहती हूं।
शेख हसीना ने मांग की है कि देश में दंगाइयों को दंडित किया जाए। उन्होंने अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को नुकसान पहुँचाने के लिए भी न्याय की मांग की है, जो बांग्लादेश के संस्थापक भी थे। शेख हसीना ने अपने बेटे साजिब वाजेद के एक्स एकाउंट पर बांग्ला भाषा में बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने अवामी लीग के खिलाफ तख्तापलट को अपने पिता, बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले कई शहीदों का घोर अपमान बताया।
প্রিয় দেশবাসী
আসসালামুয়ালাইকুম
ভাই ও বোনেরা, ১৯৭৫ সালে ১৫ই আগস্ট বাংলাদেশের রাষ্ট্রপতি জাতির পিতা বঙ্গবন্ধু শেখ মুজিবুর রহমানকে নির্মমভাবে হত্যা করে। তাঁর প্রতি গভীর শ্রদ্ধা জানাই। একই সাথে আমার মা বেগম ফজিলাতুন্নেসা, আমার তিন ভাই মুক্তিযোদ্ধা ক্যাপ্টেন শেখ কামাল,…
— Sajeeb Wazed (@sajeebwazed) August 13, 2024
शेख हसीना ने 1975 में अपने पिता की हत्या के साथ शहीद हुए परिवार के सदस्यों को याद किया। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, जिनके नेतृत्व में हमने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आत्म-सम्मान प्राप्त किया, आत्म-पहचान प्राप्त की और एक स्वतंत्र देश प्राप्त किया, उनका घोर अपमान किया गया है।’
अवामी लीग प्रमुख ने बांग्लादेशी नागरिकों से शेख मुजीबुर रहमान की हत्या की सालगिरह पर 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस को उचित सम्मान और गंभीरता के साथ मनाने की अपील करती हूं। बंगबंधु भवन में पुष्प माला चढ़ाकर और प्रार्थना करके सभी आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।’
हसीना ने बांग्लादेश में जारी हिंसा और जानमाल के नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद और हिंसा के कारण छात्रों, शिक्षकों, पुलिसकर्मियों, पत्रकारों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं और निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई है। मैं उन लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं, जो मेरी तरह अपने प्रियजनों को खोने के दर्द के साथ जी रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं शोक व्यक्त करती हूं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं। मेरी संवेदनाएं मेरे जैसे उन लोगों के साथ हैं जो अपने प्रियजन को खोने के दर्द के साथ जी रहे हैं। मैं मांग करती हूं कि इन हत्याओं और बर्बरता में शामिल लोगों की उचित जांच की जाए और दोषियों की पहचान की जाए और उन्हें सजा दी जाए।’
हसीना का यह बयान अपने और छह अन्य अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होने के कुछ घंटों बाद आया है।
पीटीआई ने शिकायतकर्ता के वकील के हवाले से बताया कि बांग्लादेश की एक अदालत ने पिछले महीने छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान ढाका में एक किराना दुकान के मालिक की मौत में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भूमिका की जांच का आदेश दिया है। यह मामला आमिर हमजा और छह अन्य लोगों द्वारा दायर किया गया था। सुनवाई के बाद ढाका के मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया।
देश में हुए घातक छात्र विरोध प्रदर्शनों के बाद हसीना के खिलाफ दायर किया गया यह पहला मामला था। विरोध प्रदर्शनों में 300 लोग मारे गए थे। 5 अगस्त को देश छोड़कर भारत पहुंची हसीना तब से नई दिल्ली में शरण ले रही हैं।
बता दें कि बांग्लादेश में पहले नौकरियों में आरक्षण को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन और फिर शेख हसीना के इस्तीफ़े की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर हुए आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर भाग गईं। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने सरकारी टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम एक प्रसारण में कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और सेना एक कार्यवाहक सरकार बनाएगी।
शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद एक भीड़ ने उनके आधिकारिक आवास पर हमला किया, उसमें तोड़फोड़ की और उनके निजी सामान लूट लिए। उन्होंने बांग्लादेश के स्वतंत्रता के नायक और हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
फ़िलहाल, बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार काम संभाल रही है। इसका नेतृत्व मुख्य सलाहकार के रूप में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं। मोहम्मद यूनुस ने मंगलवार को कहा है कि अंतरिम सरकार का मुख्य लक्ष्य सभी के लिए मानवाधिकार और बोलने की आज़ादी सुनिश्चित करना है।