सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे देवताओं को राजनीति से दूर रखें। इसने तिरुपति मंदिर के लड्डू में कथित मिलावट के संबंध में याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियाँ कीं। आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु चर्बी पाए जाने के आरोपों के बाद याचिकाएँ दायर की गई थीं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ से कहा, ‘यह आस्था का मामला है। अगर दूषित घी का इस्तेमाल किया गया है, तो यह अस्वीकार्य है।’ कोर्ट ने पूछा, ‘यह दिखाने के लिए क्या सबूत है कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था।’
जस्टिस बीआर गवई ने आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी को जवाब दिया, ‘जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं, तो आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि आप… हम उम्मीद करते हैं कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाएगा।’
अदालत ने रोहतगी से यह भी पूछा, ‘आपने एसआईटी जाँच का आदेश दिया। परिणाम आने तक प्रेस में जाने की क्या ज़रूरत है आप हमेशा से ही ऐसे मामलों में पेश होते रहे हैं… यह दूसरी बार है।’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि यह दिखाने के लिए क्या सबूत है कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था। इस पर तिरुपति मंदिर की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ को बताया कि हम जांच कर रहे हैं।
इसके बाद जस्टिस गवई ने पूछा, ‘फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या ज़रूरत थी आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की ज़रूरत है।’ जब लूथरा ने कोर्ट को बताया कि लोगों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद ठीक नहीं था, तो कोर्ट ने पूछा, ‘लड्डू, जिसका स्वाद अलग था, क्या उसे यह पता लगाने के लिए लैब भेजा गया था कि उसमें दूषित पदार्थ तो नहीं है’
जस्टिस विश्वनाथन ने तब पूछा, ‘क्या विवेक यह नहीं कहता कि आप दूसरी राय लें सामान्य परिस्थितियों में, हम दूसरी राय लेते हैं। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उक्त घी का इस्तेमाल किया गया था’। वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, राज्यसभा सांसद और टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी और इतिहासकार विक्रम संपत व आध्यात्मिक प्रवचन देने वाले दुष्यंत श्रीधर ने तीन याचिकाएँ दायर की थीं।