
JDU Dussehra Politics (Image Credit-Social Media)
JDU Dussehra Politics
JDU Dussehra Politics: इस बार दशहरे की रौनक रावण दहन के उत्साह के साथ ही अलग अलग मुद्दों पर संदेश देती हुई भी नजर आ रही है। आयोजक समाज के मुद्दों से जुड़ी थीम पर रावण दहन की तैयारी कर रहे हैं। रावण अब सिर्फ पंडालों की शोभा नहीं बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी नेताओं और पार्टियों का हथियार बन गया है। बात करें बिहार की तो इस समय यहां चुनावी मौसम अपने उबाल पर है। चुनावी दौर बिहार में हमेशा से अलग ही रंग लेकर आता है। यहां राजनीति और त्योहार दोनों ही जनता के दिल से जुड़े होते हैं। इस बार जब बिहार में दशहरे पर, जब चारों ओर रावण दहन की तैयारियां चल रही थीं और लोग रामलीला के मंचन में जुटे थे, तभी एक सोशल मीडिया पोस्ट ने राजनीति में बवंडर ला दिया। असल में जदयू (जनता दल यूनाइटेड) ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला, जिसमें लालू प्रसाद यादव को रावण के रूप में दिखाया गया। दस सिर वाले इस एआई वीडियो में हर सिर पर अपराध और भ्रष्टाचार के आरोप लिखे गए थे। यह वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया और त्योहार की रात में सियासी ज्वाला और तेज़ हो गई।
भ्रष्टाचार को बताया लालू यादव राज की पहचान
हर साल दशहरे पर लोग मानते हैं कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अच्छाई के आगे टिक नहीं सकती। रावण के दस सिर अहंकार और पाप का प्रतीक माने जाते हैं, जिन्हें जलाकर लोग संदेश देते हैं कि जीवन में भी नकारात्मकता को खत्म करना जरूरी है।
इसी परंपरा से प्रेरित होकर जदयू ने अपने वीडियो में लालू यादव को ‘रावण’ बनाकर दिखाया। वीडियो में लिखा था कि अपराध, लूट, हत्या, बलात्कार और भ्रष्टाचार जैसे पाप लालू राज की पहचान रहे हैं। इसमें बिहार की जनता को राम की भूमिका में दिखाया गया, जो तीर चलाकर इस ‘लालू रावण’ का वध करती है।
त्योहार और सियासत का दिख रहा संगम
त्योहारों में राजनीति घुसना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार दशहरा सीधे चुनावी संदेश का माध्यम बन गया। जब पटना, गया और भागलपुर जैसे शहरों में रावण के पुतले जलाए जा रहे थे, उसी वक्त सोशल मीडिया पर यह ‘लालू रावण’ ट्रेंड कर रहा था।
जदयू समर्थकों का कहना था कि नीतीश कुमार का शासन ‘रामराज्य’ की तरह है, जबकि लालू यादव का दौर ‘जंगलराज’ था। वहीं राजद कार्यकर्ताओं ने पलटवार किया कि यह वीडियो बिहार की जनता का अपमान है और दशहरे जैसे पवित्र त्योहार को राजनीति में घसीटना उचित नहीं।
दलों की अलग-अलग प्रतिक्रिया
राजद पार्टी नेताओं ने कहा कि नीतीश कुमार चुनावी मुद्दों पर बहस करने से बच रहे हैं और नकारात्मक प्रचार पर उतर आए हैं।
भाजपा ने वीडियो को सही ठहराते हुए कहा कि यह बिहार की सच्चाई को दिखाता है, क्योंकि लालू राज में अपराध और अपहरण आम बात थी।
कांग्रेस ने कहा कि त्योहारों का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार की तरह करना सही नहीं है। चुनाव विकास, रोजगार और शिक्षा पर लड़े जाने चाहिए।
बिहार में दशहरा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान भी है। पटना का गांधी मैदान हर साल हजारों लोगों का गवाह बनता है, जहां विशाल रावण पुतले के दहन पर लोग एकत्रित होते हैं। गया और भागलपुर के दशहरे की भी अपनी अलग ऐतिहासिक पहचान है।
इस बार इन पारंपरिक आयोजनों के बीच सोशल मीडिया पर ‘लालू रावण’ वीडियो ने लोगों का ध्यान खींच लिया। यह साफ दिखाता है कि बिहार की राजनीति अब केवल सभाओं और पोस्टरों तक सीमित नहीं, बल्कि त्योहारों और डिजिटल प्लेटफॉर्म तक भी पहुंच चुकी है।
चुनावी रणनीतियों में तकनीक का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। पहले केवल भाषण और रैलियां होती थीं, अब एआई वीडियो और सोशल मीडिया कैंपेन राजनीतिक दलों के बीच उतने ही ताक़तवर हथियार बन चुके हैं। यह वीडियो इसका एक बड़ा उदाहरण है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के संदेश जनता की भावनाओं को सीधे छूते हैं, क्योंकि इन्हें त्योहारों और परंपराओं से जोड़ दिया जाता है। लेकिन साथ ही यह भी चिंता है कि कहीं इस प्रक्रिया में त्योहारों की असल पवित्रता और सामाजिक एकता कमजोर न पड़ जाए।