दिल्ली पुलिस ने मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ 2020 के दिल्ली दंगों में उनकी कथित भूमिका को लेकर एफआईआर दर्ज करने की याचिका का विरोध किया।अपने लिखित बयान में सरकारी पक्ष ने कहा कि मिश्रा को इस मामले में “फंसाया” जा रहा है क्योंकि उनकी उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों में कोई भूमिका नहीं थी।
दिल्ली पुलिस ने बुधवार को निचली अदालत में सुनवाई के दौरान ये बयान दिया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने सरकारी पक्ष के बयान को ध्यान में रखते हुए यह नोट किया कि “मिश्रा पर दोष मढ़ने की योजना” बनाई गई थी और आदेश को 24 मार्च के लिए सुरक्षित रखा। विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने तब कहा कि दंगों के पीछे बड़े साजिश के तहत मिश्रा की भूमिका की पहले ही जांच की जा चुकी है।
प्रसाद ने कहा, “डीपीएसजी (दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप) की चैट से पता चलता है कि चक्का जाम की योजना पहले से बनाई गई थी, जो 15 और 17 फरवरी 2020 को शुरू हुई। पुलिस जांच से पता चला कि मिश्रा पर दोष मढ़ने की योजना बनाई गई थी।”
दिल्ली दंगे का एक वीडियो और फोटो ऐसा भी आया था। जिनमें से बाद में एक युवक की मौत हो गई।
यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास ने मिश्रा, तत्कालीन दयालपुर के एसएचओ, बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट और पूर्व बीजेपी विधायक जगदीश प्रधान और सतपाल सहित पांच अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।
कपिल मिश्रा ने दिल्ली दंगे के एक साल बाद फरवरी 2021 में कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में मिश्रा ने कहा था, “पिछले साल 23 फ़रवरी को जो किया, ज़रूरत पड़ी तो दोबारा करूंगा।” बाद में दिल्ली दंगों की जांच को लेकर पूर्व आईपीएस अफ़सर जूलियो रिबेरो ने दिल्ली पुलिस पर कई सवाल खड़े किए थे। रिबेरो ने दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को ख़त लिखकर कहा था कि उन्होंने ‘बीजेपी के तीन बड़े नेताओं को लाइसेंस’ दिए जाने की बात का जवाब नहीं दिया है। रिबेरो ने पूछा था कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा से दिल्ली दंगों को लेकर पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है।
“I’m proud of what I did on the 23rd of Feb, and if it happens like that again, I will do that again.”
In an exclusive interview, Kapil Mishra says that Hindutva activists played no role in the Delhi Riots & defends the ‘goli maaron salon ko’ slogan. https://t.co/OY8zUwPiS5 pic.twitter.com/3rLHlK4E5P
— The Wire (@thewire_in) February 23, 2021
रिबेरो ने लिखा था, ‘दिल्ली पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है, लेकिन वह जानबूझकर नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने वालों के ख़िलाफ़ संज्ञेय अपराध दर्ज करने में विफल रही, जिससे पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़क गए।’ रिबेरो को पद्म भूषण अवार्ड भी मिल चुका है और वह रोमानिया में भारत के राजदूत रहे हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफ़राबाद समेत कुछ और इलाक़ों में सांप्रदायिक दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 53 मारे गये लोगों में 40 मुस्लिम थे और 13 हिन्दू थे। मुस्लिमों के तमाम जले हुए घर आज भी बंद हैं। कुछ घरों में लोग लौटकर ही नहीं आये।
दिल्ली दंगों के दौरान और बाद में कपिल मिश्रा के तमाम वीडियो बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इस वीडियो को बहुत पुख्ता सबूत बताया गया था। 23 फरवरी 2020 को नागरिकता विरोधी कानून (सीएए) के खिलाफ तमाम महिलाएं और पुरुष जाफराबाद में शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे। उसी दौरान कपिल मिश्रा ने लोगों को जमा किया और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ रैली निकाली। उस दौरान का एक वीडियो सामने आया था। उस वीडियो में दिख रहा था कि एक पुलिस अफ़सर के बगल में खड़े कपिल मिश्रा ने वहाँ पर धमकी दी। उस वीडियो में वह पुलिस अफ़सर को संबोधित करते हुए कहते हैं, ‘…आप सबके (समर्थक) बिहाफ़ पर यह बात कह रहा हूँ, ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे यदि रास्ते खाली नहीं हुए तो… ठीक है’
“We will be quiet till Trump departs, after that, we won’t even listen to Delhi Police.”
This open threat by Kapil Mishra, made in front of a Delhi Police officer, fueled the ongoing violence in Delhi.
But since he is a BJP leader and a sitting MLA, Delhi Police conveniently… https://t.co/TL4h8ovxW0 pic.twitter.com/2PJFVkXGX7
— Dr. Shama Mohamed (@drshamamohd) March 5, 2025
‘द इंडियन एक्सप्रेस‘ की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि वह पुलिस कमिश्नर को सलाह दें कि बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश सिंह वर्मा और कपिल मिश्रा के कथित नफ़रत वाले बयान पर एफ़आईआर दर्ज की जाए। हालाँकि, इस मामले में कार्रवाई आगे होने से पहले ही जज को रातोरात बदल दिया गया था। फिर वह मामला बाद में ख़त्म हो गया था। उन पर कोई केस नहीं हुआ था।
दंगे 23 फ़रवरी 2020 को शुरू हुए थे और 25 फ़रवरी तक तीन दिनों तक चले थे। पूर्वोत्तर दिल्ली की गलियों में लोगों ने लाठी-डंडों और हथियारों से लैस होकर वाहनों और दुकानों में आग लगा दी थी। कई मस्जिदों सहित निजी संपत्तियों में जबरदस्त तोड़फोड़ की गई थी। सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र जाफराबाद, वेलकम, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजुरी खास, गोकलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर थे। दिल्ली पुलिस ने इन दंगों में पूर्व छात्र नेता उमर खालिद, शारजील इमाम, खालिद सैफी समेत अनगिनत लोगों पर यूएपीए में केस दर्ज किये। ये लोग पांच साल से जेल में बंद हैं। अदालत से इन्हें जमानत नहीं मिल रही है।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)