
Visa Balaji Temple in Hyderabad भारत में मंदिरों की कमी नहीं है और यहां से जुड़े चमत्कारों की बात भी गलत नहीं साबित होती है। ज्यादातर धार्मिक जगह किसी न किसी अनोखी बात को लेकर चर्चित है। मतलब हर मंदिर की अपनी मान्यता होती है। कोई संतान सुख देता है, कोई धन समृद्धि का आशीर्वाद, तो कोई रोगों से छुटकारा। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी मंदिर में जाकर लोग वीज़ा मांगते हैं? सुनकर अजीब लगता है, पर यह सच है। हैदराबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर तेलंगाना के चिल्कुर गांव में एक मंदिर है चिल्कुर बालाजी मंदिर। लोग इसे वीज़ा बालाजी मंदिर भी कहते हैं। यहां हर रोज़ हजारों लोग आते हैं, खासकर वे जो विदेश जाने का सपना देखते हैं।
वीज़ा नहीं मिल रहा? तो बालाजी जाओँ
आजकल हर कोई विदेश जाना चाहता है,पढ़ाई के लिए, नौकरी के लिए या घूमने के लिए। पासपोर्ट तो मिल जाता है, लेकिन वीज़ा मिलना आसान नहीं। कभी कागज़ अधूरे रह जाते हैं, कभी इंटरव्यू में दिक्कत, तो कभी बिना वजह रिजेक्ट। ऐसे में लोग कहते हैं -जब दूतावास के चक्कर काम न आएं, तो बालाजी के चक्कर लगाओ।यहां मान्यता है कि जो भ प्रार्थना करता है और 108 परिक्रमा करता है, उसका वीज़ा कुछ ही दिनों में लग जाता है।
अनोखी आस्था
इस मंदिर की खासियत है। यहां लोग भगवान को हवाई जहाज का छोटा मॉडल या कागज का बना जहाज चढ़ाते हैं। यह मानो प्रतीक है कि वे भगवान से विदेश जाने की इजाज़त मांग रहे हैं। कई लोग तो खिलौना जहाज लेकर आते हैं और बालाजी को अर्पित करते हैं।
मंदिर की कहानी
चिल्कुर बालाजी मंदिर कोई आधुनिक मंदिर नहीं है। इसकी कहानी लगभग 500 साल पुरानी मानी जाती है। कहा जाता है कि एक साधक रोज तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन के लिए लंबी दूरी तय करता था। एक दिन बीमारी के कारण वह यात्रा नहीं कर सका। रात में उसे भगवान वेंकटेश्वर ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा – तुम्हें अब तिरुपति आने की आवश्यकता नहीं है, मैं यहीं पास में वास करता हूं। अगले दिन वह बताए गए स्थान पर पहुंचा और वहां भगवान वेंकटेश्वर की स्वयंभू मूर्ति प्रकट हुई। यहीं से मंदिर की स्थापना हुई और कालांतर में यह स्थान चिल्कुर बालाजी मंदिर के नाम से विख्यात हो गया।
नौकरी और पढ़ाई की मन्नतें भी
यहां सिर्फ वीज़ा ही नहीं, बल्कि लोग नौकरी, प्रमोशन, इंटरव्यू और पढ़ाई की सफलता के लिए भी मन्नत मांगते हैं। खासकर युवा वर्ग यहां ज्यादा आता है। इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले छात्रों का यहां गहरा विश्वास है।
मंदिर से जुड़े नियम
मंदिर में एक खास परंपरा है। पहली बार जब कोई आता है, तो वह 11 परिक्रमा लगाता है। यह शुरुआत मानी जाती है। जब उसकी इच्छा पूरी हो जाती है,जैसे वीज़ा लग गया या नौकरी मिल गई. तो वह दोबारा आकर 108 परिक्रमा करता है। इसे लोग धन्यवाद परिक्रमा कहते हैं।
इस मंदिर में न तो कोई दानपेटी है और न ही कोई वीआईपी दर्शन। यहां सबको बराबर का अधिकार है। पुजारी कहते हैं कि भगवान सबके लिए समान हैं, इसलिए किसी को भी खास ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता। मंदिर केवल लोगों की स्वैच्छिक सेवा और छोटे चढ़ावे पर चलता है।कई लोग बताते हैं कि जब महीनों तक वीज़ा नहीं मिला, तो यहां आकर प्रार्थना की और कुछ ही हफ्तों में वीज़ा मिल गया। कोई कहता है कि यहां आकर उनकी पढ़ाई का रास्ता साफ हुआ, तो किसी की नौकरी लग गई। भक्तों की ये कहानियां मंदिर की आस्था को और मजबूत बना देती हैं।
भले ही वीज़ा मिलने का कारण सिर्फ आस्था न हो, लेकिन लोगों का विश्वास यही है कि बालाजी के दरबार में जाने से राहें आसान हो जाती हैं। यही वजह है कि आज यह मंदिर देशभर के युवाओं का खास ठिकाना बन चुका है।चिल्कुर बालाजी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक जगह नहीं, बल्कि लाखों युवाओं की उम्मीदों का घर है। यहां की खास बात यह है कि भगवान के आगे सब बराबर हैं।यही वजह है कि लोग कहते हैं –वीज़ा चाहिए? तो बालाजी को याद करो, बाकी काम खुद-ब-खुद बन जाएगा।