पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कथित तौर पर 15 अक्टूबर को होने वाले पंचायत चुनाव से पहले इस्तीफा दे दिया है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। भाजपा इस्तीफे का खंडन कर रही है। जाखड़ खुद कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं। उनके निजी सहायक, संजीव त्रिखा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “जाखड़ इन दिनों कम सक्रिय हैं।”
Sunil Jakhar resigns – ਸੁਨਿਲ ਜਾਖੜ ਦੇ ਅਸਤੀਫੇ ਦੀ ਸੁਣੋ ਸੱਚਾਈ । Punjab Tak #suniljakhar #bjp #punjabnews #punjab @sunilkjakhar pic.twitter.com/x4GFg5Agqt
— Punjab Tak (@PunjabTak) September 27, 2024
भाजपा आलाकमान के सूत्रों ने पुष्टि की कि जाखड़ ने राज्य पार्टी अध्यक्ष के रूप में काम करने की अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा है कि वह राज्य में स्वतंत्र रूप से काम करने में असमर्थ हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद जाखड़ ने राज्य की राजनीति में अपनी भागीदारी काफी कम कर दी थी। उनकी आखिरी सार्वजनिक उपस्थिति 3 सितंबर को चंडीगढ़ में भाजपा की राज्य बैठक में थी, जिसमें पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत हुई।
हरियाणा विधानसभा चुनाव अब अपने अंतिम चरण में पहुंचने को है, लेकिन सुनील जाखड़ एक दिन भी भाजपा के लिए प्रचार करने नहीं आये। जबकि हरियाणा में जाट समुदाय के जाखड़ों की अच्छी खासी आबादी है। उनके पिता बलराम जाखड़ का प्रभाव क्षेत्र हरियाणा और पंजाब में था। खासतौर पर हरियाणा पंजाब सीमा पर जाखड़ों के गांवों से इस परिवार का सीधा संबंध रहा है। इसके बावजूद भाजपा ने सुनील जाखड़ का इस्तेमाल नहीं किया। समझा जाता है कि हरियाणा चुनाव की वजह से भाजपा ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है, बल्कि खंडन कर दिया है।
कहा जा रहा है कि पंजाब चुनाव के बाद सुनील जाखड़ पार्टी में खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। इसके बाद हरियाणा चुनाव में भी उन्हें नहीं पूछा गया। इन वजहों से उन्होंने भाजपा से किनारा करना शुरू कर दिया है। सुनील जाखड़ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये थे।
जाखड़ ने पहले मई 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जहां उन्होंने उसी महीने बाद में भाजपा में शामिल होने से पहले राज्य अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। 4 जुलाई, 2022 तक उन्हें भाजपा के पंजाब अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। पंजाब भाजपा के भीतर इस बात को लेकर असंतोष है कि लंबे समय से पुराने लोगों को कांग्रेस से आने वाले नेताओं के मुकाबले अनदेखा किया जा रहा है। कांग्रेस से आये लोगों को प्रमुख भूमिकाएं दी जा रही हैं, इससे वे नाखुश हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”हम कांग्रेसवाद को बीजेपी में घुसपैठ नहीं करने दे सकते।”
जाखड़ और केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के साथ-साथ भाजपा नेता राणा सोढ़ी, जो 2024 में फिरोजपुर लोकसभा सीट से हार गए थे, के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बारे में अफवाहें फैल गई हैं। जाखड़ और सोढ़ी दोनों एक साथ कांग्रेस में थे। गुरुवार को चंडीगढ़ में सदस्यता अभियान पर चर्चा के लिए आयोजित भाजपा राज्य निकाय की बैठक में जाखड़ की अनुपस्थिति ने उनके इस्तीफे की अटकलें तेज कर दी हैं।
हालाँकि कई भाजपा नेता हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं, लेकिन जाखड़ वहां भी स्पष्ट रूप से अनुपस्थित रहे हैं।
भाजपा के राज्य महासचिव अनिल सरीन ने इस्तीफे की खबरों को “पूरी तरह से निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ”जाखड़ 26 सितंबर की बैठक में शामिल नहीं हुए, लेकिन उनका वहां आना जरूरी भी नहीं था। पार्टी में उनका किसी से कोई मतभेद नहीं है और सब कुछ ठीक है।’ हालाँकि, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल ने इस मामले पर टिप्पणी करने से परहेज करते हुए केवल इतना कहा, “जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।” बहरहाल, सुनील जाखड़ को लेकर पार्टी में स्थिति पसोपेश की स्थिति है।