Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • भारत ने उत्तर-पूर्व और विदेशों में बांग्लादेश के निर्यात पर पाबंदी क्यों लगाई?
    • LIVE: इसरो का 101वां सैटेलाइट मिशन तकनीकी ख़राबी के कारण विफल
    • Satya Hindi News Bulletin। 17 मई, दिनभर की ख़बरें
    • Shravasti News: श्रावस्ती में भाजपाइयों ने निकाली तिरंगा यात्रा, भारत पहले छेड़ता नहीं और किसी ने छेड़ा तो उसे छोड़ता नहीं
    • क्या पाकिस्तान पर हमले से भारत का कुछ नुकसान हुआ?
    • पसमांदा मुसलमानों का रुझान किस ओर? क्या बिहार में बदलेगा मुस्लिम वोटों का ट्रेंड? जानें किसको मिलेगा इनका समर्थन
    • संयुक्त राष्ट्र ने बताया- 2024 में भुखमरी से दुनिया भर में 29.5 करोड़ लोग प्रभावित
    • सलमान रुश्दी के हमलावर को 25 साल की जेल
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » परिसीमन पर स्टालिन के नेतृत्व में दक्षिण मुखर तो नायडू का रुख अलग क्यों?
    भारत

    परिसीमन पर स्टालिन के नेतृत्व में दक्षिण मुखर तो नायडू का रुख अलग क्यों?

    By March 22, 2025No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में दक्षिण भारत के राज्य लोकसभा सीटों के प्रस्तावित परिसीमन के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठा रहे हैं। स्टालिन ने इसे दक्षिणी राज्यों के हितों पर हमला बताते हुए कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर संयुक्त कार्रवाई की अपील की है। इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश की विपक्षी पार्टी वाईएसआरसीपी भी मुखर है और उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर परिसीमन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस मामले में केंद्र सरकार के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। यह विरोधाभास दक्षिण भारत की राजनीति में नई बहस को जन्म दे रहा है। आखिर चंद्रबाबू का यह रुख क्या संकेत देता है और इसका राजनीतिक असर क्या हो सकता है

    परिसीमन का मुद्दा दक्षिणी राज्यों के लिए संवेदनशील इसलिए है क्योंकि यह उनकी संसदीय सीटों और राष्ट्रीय राजनीति में प्रभाव को कम करने की आशंका से जुड़ा है। अगली जनगणना के बाद अगर लोकसभा सीटों का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर हुआ, तो उत्तर भारत के राज्यों ज्यादा सीटें मिलेंगी, जबकि दक्षिणी राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल को नुक़सान उठाना पड़ सकता है। स्टालिन का तर्क है कि दक्षिणी राज्यों ने परिवार नियोजन को प्रभावी ढंग से लागू किया, जिसके चलते उनकी जनसंख्या नियंत्रित रही। इसे लेकर वे इसे नियंत्रित जनसंख्या के लिए सजा करार दे रहे हैं। 

    आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल वाईएसआरसीपी ने भी इसी आधार पर परिसीमन का विरोध किया है। पार्टी ने पीएम को लिखे पत्र में कहा कि यह कदम दक्षिणी राज्यों के साथ अन्याय होगा और उनकी राजनीतिक ताकत को कमजोर करेगा। वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने इसे क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ाने वाला कदम बताया है।

    परिसीमन पर नायडू की राय

    दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू का रुख बिल्कुल उलट है। टीडीपी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है और चंद्रबाबू ने परिसीमन को लेकर केंद्र सरकार का समर्थन किया है। हाल ही में नायडू ने परिसीमन को लेकर अपने विचार स्पष्ट किए हैं। उनका कहना है कि परिसीमन और जनसंख्या प्रबंधन दो अलग-अलग मुद्दे हैं और इन्हें वर्तमान राजनीतिक बहस से जोड़ना ठीक नहीं है।

    नायडू ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘परिसीमन एक सतत प्रक्रिया है, जो हर 25 साल में होती है। सभी मुद्दों को एक साथ न जोड़ें। परिसीमन और जनसंख्या प्रबंधन अलग-अलग हैं। मैं राष्ट्रीय हित की बात कर रहा हूँ।’ उनका मानना है कि परिसीमन को जनसंख्या नियंत्रण या अन्य राजनीतिक विवादों से अलग रखकर देखा जाना चाहिए।

    नायडू ने दक्षिणी राज्यों की उन चिंताओं को भी दूर करने की कोशिश की जिसमें वे परिसीमन के बाद संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी की आशंका जता रहे हैं।

    तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, ‘इन सभी चीजों पर चर्चा होगी। कभी-कभी कुछ फ़ैसले अनुमानों के आधार पर लिए जाते हैं, लेकिन हर अनुमान समाज के लिए फ़ायदेमंद नहीं होता। हमें अपने विचार बदलने होंगे।’

    नायडू का कहना है कि परिसीमन एक संवैधानिक प्रक्रिया है और इसे जनसंख्या संतुलन के लिए ज़रूरी माना जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश में घटती प्रजनन दर और बढ़ती बुजुर्ग आबादी चिंता का विषय है, जिसके लिए वे लोगों से अधिक बच्चे पैदा करने की अपील कर रहे हैं। 

    चंद्रबाबू का यह रुख कई सवाल खड़े करता है। क्या वे एनडीए के साथ अपनी साझेदारी को मज़बूत करने के लिए केंद्र का समर्थन कर रहे हैं या फिर उनकी नज़र 2029 के लोकसभा चुनावों पर है, जिसमें परिसीमन के बाद आंध्र प्रदेश को फायदा मिल सकता है जानकारों का मानना है कि चंद्रबाबू का यह कदम रणनीतिक हो सकता है। लेकिन सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि कहीं उनका हाल 2029 में नवीन पटनायक की तरह न हो जाए! नवीन पटनायक की बीजेडी एनडीए में बीजेपी की सहयोगी रही थी और वह ऐसे मुद्दों पर बीजेपी का समर्थन करती रही थी। लेकिन जब ओडिशा चुनाव में नवीन पटनायक की पार्टी निपट गई और अब बीजेडी अपनी जमीन तलाशने में जुटी है।

    टीडीपी को हाल के चुनावों में एनडीए के समर्थन से बड़ी जीत मिली है और केंद्र से विशेष पैकेज की मांग भी उनकी प्राथमिकता में है। ऐसे में वे परिसीमन जैसे मुद्दे पर केंद्र से टकराव मोल लेना नहीं चाहते।

    इस पूरे घटनाक्रम का राजनीतिक असर गहरा हो सकता है। सबसे पहले, दक्षिणी राज्यों में उत्तर बनाम दक्षिण की बहस तेज हो सकती है। स्टालिन और वाईएसआरसीपी जैसे नेता इसे क्षेत्रीय असमानता का मुद्दा बनाकर जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। खासकर तमिलनाडु में डीएमके इसे 2026 के विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना सकती है। 

    दूसरी ओर, चंद्रबाबू के रुख से आंध्र प्रदेश में टीडीपी और वाईएसआरसीपी के बीच टकराव बढ़ सकता है। वाईएसआरसीपी पहले से ही चंद्रबाबू को केंद्र का ‘हितैषी’ बताकर निशाना साध रही है। अगर परिसीमन के बाद आंध्र की सीटें कम होती हैं, तो वाईएसआरसीपी इसे जनता के बीच भुनाने की कोशिश करेगी, जिससे टीडीपी की छवि को नुकसान हो सकता है।

    तीसरा, एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच यह मुद्दा एक नया राजनीतिक मोर्चा खोल सकता है। जहां स्टालिन इंडिया गठबंधन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, वहीं चंद्रबाबू एनडीए के साथ हैं। परिसीमन पर दोनों का अलग-अलग रुख 2029 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन की रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है। 

    एमके स्टालिन के नेतृत्व में दक्षिणी राज्य परिसीमन के ख़िलाफ़ एकजुट हो रहे हैं, लेकिन चंद्रबाबू नायडू का केंद्र सरकार के पक्ष में खड़ा होना इस एकजुटता में सेंध लगा रहा है। यह स्थिति दक्षिण भारत की राजनीति में नई उथल-पुथल का संकेत देती है। जहां स्टालिन और वाईएसआरसीपी इसे क्षेत्रीय अस्मिता से जोड़ रहे हैं, वहीं चंद्रबाबू की रणनीति गठबंधन और राज्य के दीर्घकालिक हितों पर टिकी दिखती है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा कितना गरमाता है और इसका असर राष्ट्रीय राजनीति पर क्या पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleबिहार के शिक्षा विभाग का नया कारनामा, मृत शिक्षकों से मांग रहा ऑनलाइन हाजिरी
    Next Article बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के पीछे विदेशी फंडिंग के बड़े लिंक सामने आए, क्रिप्टो में किया करोड़ों का निवेश

    Related Posts

    भारत ने उत्तर-पूर्व और विदेशों में बांग्लादेश के निर्यात पर पाबंदी क्यों लगाई?

    May 18, 2025

    LIVE: इसरो का 101वां सैटेलाइट मिशन तकनीकी ख़राबी के कारण विफल

    May 18, 2025

    Satya Hindi News Bulletin। 17 मई, दिनभर की ख़बरें

    May 17, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025

    सरकार की वादा-खिलाफी से जूझते सतपुड़ा के विस्थापित आदिवासी

    May 14, 2025

    दीपचंद सौर: बुंदेलखंड, वृद्ध दंपत्ति और पांच कुओं की कहानी

    May 3, 2025

    पलायन का दुश्चक्र: बुंदेलखंड की खाली स्लेट की कहानी

    April 30, 2025

    शाहबाद के जंगल में पंप्ड हायड्रो प्रोजेक्ट तोड़ सकता है चीता परियोजना की रीढ़?

    April 15, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    संयुक्त राष्ट्र ने बताया- 2024 में भुखमरी से दुनिया भर में 29.5 करोड़ लोग प्रभावित

    May 17, 2025

    बगदाद में अरब लीग का वार्षिक शिखर सम्मेलन आरंभ, ट्रंप की छाया में अरब देशों की कूटनीतिक चाल तेज

    May 17, 2025

    डोनाल्ड ट्रंप ने कहा – भारत और पाक युद्धविराम का श्रेय कभी नहीं मिल सकेगा, फिर जताया अफसोस

    May 17, 2025
    एजुकेशन

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025

    NEET UG 2025 एडमिट कार्ड जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड

    April 30, 2025

    योगी सरकार की फ्री कोचिंग में पढ़कर 13 बच्चों ने पास की UPSC की परीक्षा

    April 22, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.