इस्लामाबाद
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद पाकिस्तान ने भारत संग व्यापार को रोक दिया था। पाकिस्तान के अंबानी कहे जाने वाले मियां मांशा से लेकर कई दिग्गज उद्योगपति तक भारत से व्यापार को फिर से शुरू करने की कई महीने से गुहार लगा रहे हैं। इसके बाद भी शहबाज सरकार अकड़ में इसे फिर से शुरू करने से बच रही है। शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के हिस्सा लेने के बाद पाकिस्तान की अकड़ अब ढीली पड़ती दिख रही है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने अमेरिका के वॉशिंगटन में रविवार को कहा कि पड़ोसियों के साथ व्यापार नहीं करना बेतुका है। उनसे क्षेत्रीय देशों खासकर भारत के साथ व्यापार बढ़ाने को लेकर सवाल पूछा गया था।
रविवार को आए भारत सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 महीने में भारत का पाकिस्तान से आयात जहां शून्य हो गया है। वहीं भारत ने पाकिस्तान को 23 करोड़ 50 लाख डॉलर का सामान खासकर चीनी और दवाएं निर्यात किया है। इस तरह से व्यापार रोककर खुद पाकिस्तान को घाटा हो रहा है। अमेरिका में पाकिस्तानी दूतावास में औरंगजेब ने कहा कि भूराजनीतिक मुद्दे क्षेत्रीय व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं लेकिन यह उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं। इसके बाद भी पाकिस्तान पहले से ही अपने पड़ोसियों के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने सार्क का उदाहरण दिया।
जयशंकर से मिले थे पाकिस्तानी विदेश मंत्री
औरंगजेब ने कहा, ‘हमने हाल ही में एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लिया है और हम ब्रिक्स गठबंधन में भी शामिल होना चाहते हैं। इसके पीछे हमारा उद्देश्य यह है कि व्यापार को बढ़ावा दिया जाए।’ बता दें कि इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयंशकर ने भी हिस्सा लिया था। करीब 10 साल बाद किसी भारतीय विदेश मंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा थी। इस दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने जयशंकर के साथ अनौपचारिक बातचीत की थी। इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने साल 2023 में दुबई के चैनल अल अरबिया से बातचीत में कहा था कि वह पीएम मोदी से अपील करते हैं कि वह उनके साथ बैठें और कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दे पर गंभीरता के साथ बातचीत करें।
शहबाज ने कहा था कि यह हम पर है कि शांति के साथ जिएं और प्रगति करें। उन्होंने यह भी कहा कि यूएई भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत फिर से शुरू करने में अहम भूमिका निभा सकता है। वहीं भारत ने साफ कह दिया था कि बातचीत और आतंकवाद दोनों साथ- साथ नहीं चल सकते हैं। अब 2024 में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाही के दौर में है और उसे चीन से लेकर आईएमएफ तक से कर्ज मांगना पड़ रहा है। वहीं पाकिस्तानी उद्योग मांग कर रहे हैं कि सरकार भारत के साथ व्यापार को शुरू करे तभी हम पटरी पर वापस लौट पाएंगे।
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