महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में एक किले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण की गई मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा सोमवार को ढह गई। इस प्रतीमा का अनावरण क़रीब आठ महीने पहले ही किया गया था। इतने कम समय में प्रतीमा ढहने पर बीजेपी और पीएम मोदी विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं। उन्होंने इसके निर्माण में भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण-सामग्री का आरोप लगाया है।
मालवन में राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने की घटना सोमवार दोपहर क़रीब 1 बजे घटी। अचानक से 35 फुट ऊंची प्रतिमा गिर गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तेज हवाओं के कारण प्रतिमा गिरने का आरोप लगाया। हालाँकि, कांग्रेस ने बीजेपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा है, ‘हालात ये हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में महापुरुषों को भी नहीं बख्शा जा रहा है।’
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “सिंधुदुर्ग में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति आज ढह गई। मोदी जी ने पिछले साल दिसंबर में इसका उद्घाटन किया था। ठेकेदार कौन था क्या यह सही है कि यह काम ठाणे के ठेकेदार को दिया गया था ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी ठेकेदार ने ‘खोके सरकार’ को कितना ‘खोके’ दिया”
महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने पीटीआई से कहा, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिर गई है। यह अपमान है। क्या यह सरकार इसमें भी भ्रष्टाचार करेगी ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।’
शिवसेना (यूबीटी) विधायक वैभव नाइक ने निरीक्षण के लिए घटनास्थल का दौरा किया और आरोप लगाया कि घटिया काम के कारण मूर्ति गिरी। उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर सकती है। मूर्ति के निर्माण और स्थापना के लिए जिम्मेदार लोगों की गहन जांच होनी चाहिए।’
इसी तरह का आरोप एनसीपी (एसपी) के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री जयंत पाटिल ने लगाया और कहा, ‘राज्य सरकार इस घटना के लिए जिम्मेदार है, क्योंकि उसने उचित देखभाल नहीं की। सरकार ने काम की गुणवत्ता पर बहुत कम ध्यान दिया। इसने केवल एक कार्यक्रम आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मूर्ति का अनावरण करने के लिए आमंत्रित किया गया।’ उन्होंने कहा, ‘यह महाराष्ट्र सरकार केवल नए टेंडर जारी करती है, कमीशन स्वीकार करती है और उसी के अनुसार टेंडर देती है।’
पिछले साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रतिमा का अनावरण किया था।
एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि मूर्ति के ढहने के बाद पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी स्थिति का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे और नुकसान का आकलन किया। घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए शिंदे ने कहा, ‘हमारी भावनाएं शिवाजी महाराज से जुड़ी हुई हैं। हम उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। तेज हवाओं के कारण मूर्ति गिर गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे मंत्री वहां गए हैं और स्थिति का निरीक्षण कर रहे हैं।’
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए राज्य के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार उसी स्थान पर एक नई प्रतिमा स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को शीघ्रतापूर्वक और प्रभावी ढंग से हल किया जाएगा। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘मेरे पास घटना के बारे में सभी जानकारी नहीं हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पीडब्ल्यूडी मंत्री रवींद्र चव्हाण, जो सिंधुदुर्ग जिले के संरक्षक मंत्री भी हैं, ने कहा है कि मामले की गहन जांच की जाएगी।’