
Precious Gem of Uttarakhand (Image Credit-Social Media)
Precious Gem of Uttarakhand (Image Credit-Social Media)
नई दिल्ली। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित, मनोहारी फूलों की घाटी — जो एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है — ने 1 जून 2025 से पर्यटकों के लिए अपने द्वार खोल दिए हैं। हर साल केवल चार महीनों के लिए खुलने वाली यह घाटी सितंबर के अंत तक खुली रहेगी और अक्टूबर की शुरुआत में बंद कर दी जाएगी, जब बर्फबारी के कारण यह क्षेत्र असुरक्षित हो जाता है।
हिमालय की गोद में बसा फूलों का स्वर्ग
87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली यह घाटी गढ़वाल हिमालय में स्थित है और प्रकृति की अनुपम कलाकारी का जीता-जागता उदाहरण है। जून से सितंबर के बीच यह घाटी रंग-बिरंगे फूलों से सजी होती है — जिसमें हिमालयी ब्लू पॉपी, ब्रह्मकमल और कोबरा लिली जैसे दुर्लभ फूल खिलते हैं। 3,200 मीटर से लेकर 6,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह घाटी नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व का हिस्सा है, जिसे जैव विविधता और पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

फूलों के अलावा, यह घाटी वन्यजीव प्रेमियों के लिए भी किसी स्वर्ग से कम नहीं है। हिमालयी मोनाल, कस्तूरी मृग और हिम तेंदुआ जैसे दुर्लभ जीव यहां देखे जा सकते हैं। साथ ही 100 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ, जैसे हिमालयन गोल्डन ईगल, पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करती हैं। घाटी के बीच से बहती पुष्पावती नदी इसकी सुंदरता को और भी रहस्यमय बना देती है, जिससे यह ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अनमोल गंतव्य बन जाती है।
2025 में क्यों करें यात्रा?
इस वर्ष घाटी के खुलने को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है, क्योंकि हाल ही में इस नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए संरक्षण उपायों को सख्ती से लागू किया गया है। अब प्रतिदिन अधिकतम 500 पर्यटकों को ही प्रवेश की अनुमति होगी और ट्रेक पर जाने वालों के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।

इस घाटी का आध्यात्मिक महत्व भी कम नहीं है — इसके समीप स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा, एक पवित्र सिख तीर्थ स्थल है, जहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु पहुँचते हैं।
पर्यटन विभाग के अनुसार इस बार अग्रिम बुकिंग में तेजी देखी गई है, और ब्रिटेन, अमेरिका और जापान जैसे देशों से भी अंतरराष्ट्रीय पर्यटक घाटी की सैर के लिए आ रहे हैं। फूलों की घाटी केवल एक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो प्रकृति से आपको पुनः जोड़ता है।
यात्रा की योजना कैसे बनाएं?
घूमने की योजना बना रहे पर्यटकों के लिए अच्छी तैयारी जरूरी है। फूलों की घाटी की यात्रा गोविंदघाट से शुरू होती है, जहाँ से एक 13 किलोमीटर लंबा ट्रेक पार करके घाटी पहुंचा जाता है। निकटतम बड़ा शहर जोशीमठ है, जो बेस कैंप के रूप में कार्य करता है और जहाँ बजट गेस्टहाउस से लेकर मध्यम दर्जे के होटल उपलब्ध हैं।
घाटी में प्रवेश के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होती है, जो गोविंदघाट में प्राप्त की जा सकती है — भारतीय नागरिकों के लिए ₹150 और विदेशी नागरिकों के लिए ₹600 का शुल्क निर्धारित है।
प्रवेश के लिए कुछ आवश्यक सुझाव:
• मजबूत ट्रेकिंग जूते, रेनकोट, और गर्म कपड़े साथ रखें, क्योंकि मौसम कभी भी बदल सकता है।
• तापमान 10°C से 20°C के बीच रहता है।
• प्लास्टिक प्रतिबंधित है, और पर्यटकों को अपने कचरे को साथ वापस ले जाना आवश्यक है।
• जुलाई और अगस्त में जब फूल पूरे खिलते हैं, तब स्थानीय गाइड और कुली की मांग बहुत अधिक रहती है — अतः पहले से बुकिंग करें।
• यह ऊँचाई वाला ट्रेक है, अतः मध्यम स्तर की फिटनेस जरूरी है।
• उंचाई से होने वाली बीमारी (altitude sickness) से बचने के लिए जोशीमठ में एक दिन पहले से ठहरने की सलाह दी जाती है।
प्रकृति की इस कृति को स्वयं अनुभव करें

2025 के लिए फूलों की घाटी अब पूरी तरह पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार है। यह घाटी प्रकृति प्रेमियों, वनस्पति वैज्ञानिकों और आध्यात्मिक खोजकर्ताओं — सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। चाहे आप इसके दुर्लभ फूलों से मोहित हों, विविध जीवों की खोज में हों या केवल इसके शांत वातावरण का आनंद लेना चाहते हों — यह हिमालयी रत्न एक अविस्मरणीय अनुभव की गारंटी देता है।
जल्दी योजना बनाएं, पर्यावरण के प्रति सजग रहें, और दुनिया की सबसे मनोहर घाटियों में से एक को आत्मसात करने के लिए निकल पड़ें।
अधिक जानकारी, परमिट और यात्रा व्यवस्था के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या गोविंदघाट में स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करें।