कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के बाद एक नया छात्र संगठन पश्चिम बंग छात्र समाज उभरा है जो ममता बनर्जी के इस्तीफे के लिए लगातार दबाव बना रहा है। यह छात्र संगठन मंगलवार को कोलकाता में मुख्यमंत्री कार्यालय नबन्ना तक मार्च निकाल रहा है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का सरकार को निर्देश है कि छात्रों के मार्च को रोकने के लिए बल प्रयोग न किया जाए। कभी किसी राज्यपाल ने इस तरह का बयान किसी आंदोलन के लिए नहीं दिया है। इसलिए सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर यह छात्र संगठन क्या है। सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने इस मार्च के आयोजकों के “आरएसएस कनेक्शन” का हवाला देते हुए इससे पीछे हटने की घोषणा कर दी है। पहले तमाम विपक्ष इसको समर्थन दे रहा था।
पश्चिम बंगाल पुलिस ने प्रस्तावित “नबन्ना मार्च” को “अवैध” बताया है और कहा है कि उसने मार्च के दौरान संभावित कानून-व्यवस्था के मुद्दों के बारे में चिंताओं के कारण आवश्यक एहतियाती कदम उठाए हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने रैली को सड़कों पर अराजकता पैदा करने की “साजिश” करार दिया है और पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घाटल के संदिग्ध भाजपा नेताओं के कुछ वीडियो जारी किए हैं जो कथित तौर पर इस मार्च में हिंसा भड़काने की योजना बना रहे हैं।
अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) मनोज वर्मा का कहना है कि नबन्ना एक प्रतिबंधित क्षेत्र है क्योंकि सचिवालय के पास बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू है, जो पांच या अधिक लोगों की सभा को रोकती है। उन्होंने कहा, “हमें विभिन्न स्रोतों से इनपुट मिल रहे हैं कि निहित स्वार्थ वाले उपद्रवी पुलिस को भड़काने के लिए कानून-व्यवस्था खराब करने की कोशिश करेंगे।”
नबन्ना में एडीजी (दक्षिण बंगाल) सुप्रतिम सरकार ने दावा किया कि राज्य सचिवालय तक किसी भी मार्च की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने दावा किया कि मार्च के आयोजन में शामिल एक छात्र नेता ने रविवार को कोलकाता के एक पांच सितारा होटल में एक “प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति” से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने पहचान नहीं बताई।
कोलकाता प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन में छात्र समाज के नेताओं में से एक सयान लाहिड़ी ने ऐसी किसी भी बैठक से इनकार किया। लाहिड़ी ने कहा- “यह पश्चिम बंगाल के छात्रों द्वारा किया गया एक बिल्कुल अराजनीतिक विरोध मार्च है। हमारे लिए कोई राजनीतिक संबद्धता खोजने की कोशिश न करें, यह एक शुद्ध सामाजिक आंदोलन है और हम सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं से मार्च से दूर रहने का अनुरोध कर रहे हैं। हम नहीं चाहते कि इस मार्च से किसी राजनीतिक दल को फायदा हो।”
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स्कूल टीचर शुभंकर हलदर, जो मार्च के मुख्य आयोजकों में से एक हैं, ने कहा कि हालांकि छात्र समाज का कोई राजनीतिक जुड़ाव नहीं है, लेकिन वह “आरएसएस सदस्य हैं और उन्हें इस पर गर्व है”।
लाहिड़ी ने भी कहा कि वह भाजपा का हिस्सा थे और कॉलेज में रहते हुए टीएमसी से जुड़े थे। रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के छात्र प्रबीर दास, जो अपनी मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं, ने कहा कि छात्र समाज में हर किसी का राजनीतिक जुड़ाव नहीं है। उन्होंने कहा, “हम छात्र हैं और अपनी बहन के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।”
छात्र समाज के अलावा, “संग्रामी जौथो मंच (क्रांतिकारी संयुक्त मोर्चा)” नामक एक सरकारी कर्मचारी संगठन ने कहा है कि वह मंगलवार को नबन्ना तक मार्च करेगा। लाहिड़ी ने कहा, “हमारा मार्च हावड़ा में कॉलेज स्क्वायर और संतरागाछी से शुरू होगा, जबकि संग्रामी जूथो मंच हावड़ा स्टेशन से अपना मार्च शुरू करेगा।”