ढाका
बांग्लादेश में अगस्त महीने में तख्तापलट हो गया था। इस दौरान खूनखराब हुआ तो तत्कालीन पीएम शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था और भारत आ गई थीं। तब से वह यहीं पर निर्वासित जिंदगी जी रही हैं। उनकी सत्ता से बेदखली के बाद नोबेल विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने कमान संभाल रखी है। वह भले ही अर्थशास्त्री हैं और दुनिया भर में उनका नाम है, लेकिन वह बांग्लादेश को पाकिस्तान के एजेंडे पर आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। यही वजह है कि अब बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम और उसके नायक मुजीबुर रहमान से जुड़े दिनों पर होने वाली छुट्टियों को रद्द कर दिया गया है।
माना जा रहा है कि इस तरह बांग्लादेश की सरकार का वैचारिक झुकाव पाकिस्तान की ओर बढ़ रहा है। वही पाकिस्तान जिससे अलग होकर बांग्लादेश का गठन हुआ था। बांग्ला भाषी लोगों पर अत्याचार, भेदभाव के आरोप तत्कालीन पाकिस्तान सरकार पर लगे थे। इसी के विरोध में आंदोलन भड़का था, जिसे बांग्ला मुक्त संग्राम का नाम मिला था। अंत में 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। इसमें भारत ने भी मदद की थी। मुजीबुर रहमान को उस आंदोलन का नायक माना जाता है। यही वजह थी कि उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर बांग्लादेश में छुट्टी होती रही है।
अब बांग्लादेश सरकार ने इन छुट्टियों को रद्द कर दिया है। कुल 8 राष्ट्रीय अवकाशों को मोहम्मद यूनुस सरकार ने रद्द कर दिया है। इनमें 7 मार्च और 15 अगस्त शामिल हैं, जिन्हें मुक्त संग्राम से जोड़ा जाता है। इन छुट्टियों को रद्द करने का फैसला हाल ही में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया था। इस संबंध में जल्दी ही नोटिफिकेशन भी जारी किया जाएगा। मोहम्मद यूनुस सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। खासतौर पर अवामी लीग ने इसकी निंदा की है और कहा कि यह सरकार बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के इतिहास को ही मिटा देना चाहती है। यह अच्छी बात नहीं है।
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