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    Home » बिहारः वक्फ पर जदयू के मुस्लिम नेता दोहरे दबाव में क्यों
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    बिहारः वक्फ पर जदयू के मुस्लिम नेता दोहरे दबाव में क्यों

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 5, 2025No Comments5 Mins Read
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    विवादस्पद वक्फ संशोधन बिल पर मुसलमान के भारी विरोध के बाद नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाला जनता दल यूनाइटेड शनिवार दोपहर बाद अपने मुस्लिम नेताओं को पार्टी के स्टैंड का बचाव करने के लिए उतार रहा है। 

    एक तरफ मुस्लिम संगठनों का जनता दल यूनाइटेड के मुसलमान नेताओं पर भारी दबाव है कि वह वक्फ संशोधन मुद्दे पर पार्टी द्वारा लिए गए स्टैंड के खिलाफ इस्तीफा दें तो दूसरी तरफ पार्टी उन पर दबाव बना रही है कि वह इस स्टैंड के समर्थन में बयान दें।

    पटना में जनता दल यूनाइटेड के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अशरफ अंसारी संवाददाता सम्मेलन बुला रहे हैं जिसमें पार्टी के वरीय नेता विधान पार्षद गुलाम गौस, विधान पार्षद आफाक अहमद खान, विधान पार्षद खालिद अनवर, पूर्व सांसद अशफाक करीम, कहकशां परवीन, पूर्व सांसद सलीम परवेज, सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद इरशादुल्लाह, शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद अफजल अब्बास, प्रदेश प्रवक्ता अंजूम आरा, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रभारी इकबाल हैदर, वरीय नेता मास्टर मुजाहिद आलम और अब्दुल कैयूम अंसारी के शामिल होने की बात कही गई है। 

    इस लिस्ट में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान का नाम हैरतअंगेज के तौर पर गायब है। याद रहे कि जमा खान बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी बदलकर जनता दल यूनाइटेड ज्वाइन कर लिया था। जमा खान ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध तो किया था लेकिन वह यह बयान भी दे रहे थे कि उनके नेता नीतीश कुमार इस बारे में कोई अच्छा फैसला लेंगे।

    इस लिस्ट में अशफाक करीम वह नाम है जिन्होंने हाल में ही इमारत-ए-शरिया पर अपने पसंद के दो मौलानाओं को पद दिलाने की कोशिश की थी। ध्यान रहे कि इमारत-ए-शरिया ने खुलकर वक्फ मुद्दे पर नीतीश कुमार के स्टैंड का विरोध किया था और उनकी इफ्तार पार्टी के बायकॉट का भी आह्वान किया था। इसलिए अशफाक करीम को इस प्रेस कांफ्रेंस ने बुलाया गया है जबकि सीनियर मुस्लिम नेता और राज्यसभा के सदस्य रहे गुलाम रसूल बलियावी का नाम इस लिस्ट में नहीं है। 

    वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद गुलाम रसूल बलियावी ने यह बयान दिया था कि संसद में वक्फ बिल के समर्थन से सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष दलों का अंतर समाप्त हो गया है। बलियावी ने जनता दल यूनाइटेड का नाम तो नहीं लिया लेकिन सबका मानना यही है कि उनका इशारा उसी की तरफ था। उन्होंने कहा था कि वह जल्द ही मुस्लिम संगठनों की बैठक बुलाएंगे और विचार करेंगे कि इस बिल को किस तरह अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

    इसी तरह विधान परिषद के सदस्य प्रोफेसर गुलाम गौस ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के जख्म पर नमक छिड़कने की तरह है। उन्होंने यह भी कहा कि कभी बाबरी-दादरी, कभी लव जिहाद, घर वापसी, तीन तलाक, सीएए, एनआरसी, 370 मॉब लिंचिंग वगैरा का कहर बरपा किया जाता रहा है और अब वक्फ की आड़ में सभी मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यहां तक कहा कि इस समाज को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। देखना यह है कि अब पार्टी के बुलावे पर वह आते हैं या नहीं और अगर आते हैं तो अब क्या स्टैंड लेते हैं।।

    राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि जनता दल यूनाइटेड के नेतृत्व में मुसलमान के भारी विरोध को देखते हुए मुस्लिम नेताओं को अपने स्टैंड के बचाव के लिए प्रेस के सामने लाने का फैसला किया है। हालांकि इनमें से शायद ही कोई ऐसा नेता होगा जिसने वक्फ बिल पास होने से पहले उसका विरोध नहीं किया हो।

    यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय में आयोजित की गई है जबकि जनता दल यूनाइटेड के कई नेताओं ने पार्टी के स्टैंड के खिलाफ इस्तीफा दे दिया है। हालांकि जदयू के नेताओं ने इस्तीफा देने वाले लोगों की सदस्यता पर ही सवाल कर दिया और उसे हल्के में खारिज कर दिया है। 

    उम्मीद की जा रही है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन नेताओं को शामिल रहने के लिए कहा गया है वह दरअसल यह बताने की कोशिश करेंगे कि नीतीश कुमार ने बतौर मुख्यमंत्री मुस्लिम समाज की भलाई के लिए कितना काम किया है। हालांकि सभी मुस्लिम नेता यह मानते हैं कि पार्टी के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने जिस तरह बिल के समर्थन में भाषण दिया वह बहुत गंदा था और जनता दल यूनाइटेड के मिजाज के मुताबिक नहीं था।

    उनका यह भी कहना है कि ललन सिंह ने नीतीश कुमार से ज्यादा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिया और ऐसा लग रहा था कि वह जनता दल यूनाइटेड के सदस्य नहीं बल्कि भाजपा के सदस्य हैं।

    उधर मुस्लिम संगठनों का मानना है कि इस समय सबसे अहम मुद्दा वक्फ है और यह बहस का मुद्दा ही नहीं कि नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए क्या किया और क्या नहीं किया। उनका कहना है कि मुसलमान ने बतौर सेक्यूलर लीडर नीतीश कुमार का हमेशा समर्थन किया लेकिन उन्होंने धर्मनिरपेक्षता भुला दी है और मुसलमानों को मुसीबत में डाल दिया है जबकि वह चाहते तो यह बिल पास नहीं होता।

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