तेजस्वी यादव के “कार्यकर्ता आभार यात्रा“ से बिहार में राजनीतिक हलचल फिर तेज हो गयी है। तेजस्वी 10 सितंबर से राज्य के सभी 243 विधान सभा क्षेत्रों की यात्रा पर निकले हैं। सतही तौर पर ये कार्यकर्ताओं से संपर्क का अभियान लगता है। लेकिन तेजस्वी जिस तरह के बयान दे रहे हैं उससे साफ़ है कि वो एक साल बाद होने वाले विधान सभा चुनाव का एजेंडा अभी से तय करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए को घेरने की तैयारी कर रहे हैं।
यात्रा की शुरुआत में ही उन्होंने राज्य में सरकार बनने पर सबको दो सौ यूनिट बिजली मुफ़्त देने की घोषणा कर दी। मिथिला क्षेत्र में कदम रखते ही मिथिलांचल विकास प्राधिकरण बना कर क्षेत्र के विकास को तेज करने का वादा कर डाला। तेजस्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को भी नहीं छोड़ा है। एक बयान में उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक आबादी अच्छी शिक्षा, अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था, रोज़गार और विकास मांग रही है लेकिन बीजेपी धर्म की राजनीति में फँसी है।
बिहार में अपनी ताक़त बढ़ाने के लिए एक समय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता के बीच यात्रा करते थे। अब दूसरे नेताओं को भी इसका फ़ायदा समझ में आने लगा है। तेजस्वी के अलावा जन सुराज अभियान के नेता प्रशांत किशोर भी राज्य की यात्रा पर हैं और दो अक्टूबर को अपनी नयी राजनीतिक पार्टी की घोषणा करने जा रहे हैं। प्रशांत किशोर बिहार के विकास को एजेंडा बना कर एनडीए और महागठबंधन दोनों को सत्ता से बाहर करने की तैयारी में जुटे हैं।
राजनीतिक चुनौती
2021 के विधान सभा चुनावों में तेजस्वी के नेतृत्व में आरजेडी को शानदार सफलता मिली। क़रीब 80 सीटें जीत कर आरजेडी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गयी। तब नीतीश कुमार भी उनके साथ थे। दोनों की सरकार बनी और बाद में नीतीश कुमार के पाला बदल कर बीजेपी के साथ जाने के कारण सरकार गिर भी गयी।
लोक सभा चुनाव के ठीक पहले नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चले गए। 2024 में राज्य की 40 में से 12 – 12 सीटें बीजेपी और जेडीयू को और 5 एलजेपी (रामबिलास) को मिली। इस तरह एनडीए ने अपना वर्चस्व क़ायम रखा लेकिन 2019 के लोक सभा चुनाव के मुक़ाबले उसे 10 सीटों का नुक़सान हुआ। तेजस्वी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन 2019 में सिर्फ़ एक सीट (कांग्रेस) जीत पायी थी। 2024 में उन्हें 10 सीटें मिलीं जिसमें तेजस्वी के आरजेडी की 4 और कांग्रेस की 3 सीटें शामिल हैं। तेजस्वी उतना अच्छा प्रदर्शन तो नहीं कर पाए जितना अच्छा प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने किया। लेकिन लोक सभा चुनावों के नतीजों से इंडिया गठबंधन और तेजस्वी का मनोबल बढ़ा।
जाति जनगणना को लेकर शुरू हुए विवाद के चलते इंडिया गठबंधन को विधान सभा में बहुमत की उम्मीद बढ़ गयी है। तेजस्वी अपनी यात्रा के ज़रिए पार्टी संगठन को अभी से चुनाव के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।
जाति जनगणना बिहार में बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। ख़ासकर इसलिए भी कि नीतीश और तेजस्वी की सरकार ने राज्य में जाति जनगणना करा कर आरक्षण बढ़ाने का जो फ़ैसला किया था उस पर अदालत ने रोक लगा दी है। तेजस्वी इसे भी मुद्दा बना रहे हैं।
विकास की समस्या
पिछले 20/25 सालों में देश के अनेक राज्यों में प्राइवेट मेडिकल और इंजीनियरिग कॉलेजों के साथ साथ विश्व विद्यालयों की बाढ़ आ गयी है। लेकिन बिहार में पर्याप्त संख्या में कॉलेज और विश्वविद्यालय नहीं खुले। नतीजा ये है कि बिहार के छात्र आज भी दूसरे राज्यों में पढ़ने के लिए मजबूर हैं। इलाज के लिए लोगों को राज्य के बाहर भागना पड़ रहा है। राज्य में उतनी भी नौकरियां नहीं निकल रही हैं जितनी अन्य राज्यों में निकलती हैं। नतीजा ये है कि बिहारी युवक राज्य के बाहर जाने को मजबूर हैं। तेजस्वी अब इनपर फ़ोकस कर रहे हैं। नीतीश और एनडीए के लिये ये एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।