
BJP core group meeting: बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर BJP क्रोर ग्रुप की बैठक की शुरुआत हो गई है, जिसका इंतजार पूरे बिहार में हो रहा था। जेपी नड्डा के आवास पर गृहमंत्री अमित शाह पहुंचे। उनके साथ चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े, सह प्रभारी दीपक प्रकाश, बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी, राधामोहन सिंह, नित्यानंद राय और मंगल पांडे जैसे बड़े नेता मौजूद हैं। बैठक का मकसद एक ही- बिहार में सीटों का फार्मूला तय करना और उम्मीदवारों की सूची पर अंतिम मुहर लगाना।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में एनडीए गठबंधन की साझा रणनीति पर भी चर्चा हो रही है। खास बात यह है कि लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान भी इस बैठक में शामिल हुए हैं। उनका वहां पहुंचना इस बात का संकेत है कि एनडीए में तालमेल की कोशिशें अब अपने निर्णायक चरण में हैं।
एनडीए में सीटों का गणित
भाजपा की राज्य चुनाव समिति पहले ही संभावित उम्मीदवारों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को सौंप चुकी है। अब दिल्ली में उसे अंतिम मंजूरी दी जा रही है। माना जा रहा है कि पहली सूची 13 अक्टूबर तक जारी हो सकती है, और यह केवल भाजपा की नहीं बल्कि पूरे एनडीए गठबंधन की साझा सूची के रूप में पेश की जाएगी।
सीट बंटवारे को लेकर बातचीत संवेदनशील मोड़ पर है। लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान, जो पहले 40 सीटों की मांग पर अड़े थे, अब समझौते के मूड में दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब मेरे प्रधानमंत्री मौजूद हैं, तो मुझे चिंता की कोई बात नहीं है।” इसी तरह हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी भी इस बार अपनी पार्टी के लिए 15 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि 2020 में उन्हें सिर्फ सात सीटें मिली थीं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद फार्मूले पर सहमति बन सकती है।
6 और 11 नवंबर को होगी निर्णायक जंग
चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को होंगे, जबकि 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। यानी अब बस कुछ हफ्तों में यह तय हो जाएगा कि बिहार की सत्ता किसके हाथ में जाएगी। फिलहाल भाजपा और एनडीए के नेताओं की इस बैठक को बिहार की चुनावी दिशा तय करने वाली सबसे अहम कड़ी माना जा रहा है। क्योंकि सीटों का बंटवारा सिर्फ गठबंधन का समीकरण नहीं बदलता, बल्कि चुनावी जीत-हार का संतुलन भी तय करता है।


