
Bihar Voter List Controversy (PHOTO CREDIT: SOCIAL MEDIA)
Bihar Voter List Controversy
Bihar Voter List Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने आज 22 अगस्त यानी शुक्रवार को बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण (SIR) के दौरान लाखों नामों के हटा दिए जाने को लेकर रूप से चिंता व्यक्त की। अदालत ने इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर बड़ी नाराजगी जताई की और सवाल खड़े किया कि जब इतने बड़े स्तर पर मतदाताओं के नाम लिस्ट से हटा दिए जा चुके हैं, तो राजनीतिक दलों ने आपत्तियां दर्ज क्यों नहीं कराईं गयीं ?
चुनाव आयोग की टिप्पणी के बाद कोर्ट का कड़ा रुख
अदालत की यह टिप्पणी उस समय पर सामने आई जब चुनाव आयोग ने बताया कि कई तरह के सार्वजनिक आलोचनाओं के बाद भी किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल ने आधिकारिक तौर पर कोई आपत्ति या शिकायत दर्ज नहीं कराई है। आयोग ने यह भी कहा कि पुनरीक्षण प्रक्रिया के वक़्त किसी दल ने किसी भी प्रकार से सक्रियता नहीं दिखाई।
मात्र 3 दल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर आश्चर्य व्यक्त किया कि बिहार के 12 मान्यता प्राप्त दलों में से सिर्फ 3 ही इस मुद्दे पर अदालत में उपस्थित हुए हैं। अदालत ने सवाल खड़े किया कि जब BLA (बूथ लेवल एजेंट) नियुक्त किए गए हैं, तो राजनीतिक दलों ने उनका क्या इस्तेमाल किया? जनता और नेताओं के बीच की दूरी पर भी सवाल खड़े किये।
राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी पर कोर्ट ने अपनाया सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने कड़े सवाल खड़े करते हुए कहा कि हम राजनीतिक दलों की निष्क्रियता देखकर आश्चर्यचकित हैं। BLA की नियुक्ति के बाद वे कर क्या रहे हैं? दलों को लोगों की सहायता करनी चाहिए थी। ऐसे मामलों में जनता को राजनीतिक रूप से मदद की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
चुनाव आयोग की स्पष्टता
चुनाव आयोग की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत को जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी बड़ी पार्टी अदालत में आपत्ति लेकर नहीं आई है। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि जिन लोगों के नाम हटा दिए गए हैं, वे ऑनलाइन माध्यम से भी दावा कर सकते हैं और उन्हें इसके लिए बिहार आने की आवश्यकता नहीं है।
राजनीतिक प्रतिनिधियों की तमाम स्थितियां
राजद की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वे पार्टी के सांसद मनोज झा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, न कि पूर्ण दल का। वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि उनकी याचिका में 8 विपक्षी दल कार्यरत हैं। इस पर अदालत ने सवाल खड़े करते हुए पूछा कि अगर वे इतने दलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो उन्होंने कितनी आपत्तियां दर्ज कराइ हैं और कितने BLA तैनात किए गए हैं?
BLA के माध्यम से 16 लाख लोगों तक हो सकती है पहुंच
चुनाव आयोग के मुताबिक, राज्य में तकरीबन 1.6 लाख BLA हैं। अगर हर BLA रोज़ाना 10 मतदाताओं से जुड़े करे, तो यह आंकड़ा 16 लाख तक पहुंच सकता है। आयोग ने यह भी कहा कि पता बदलने या किसी की मृत्यु जैसी घटनाओं की जानकारी देना व्यक्तिगत मतदाता की बड़ी जिम्मेदारी होती है, लेकिन राजनीतिक दलों का असहयोग प्रक्रिया में गंभीर रूप से रुकावट बन रहा है।


