इस्लामाबाद
पाकिस्तान सिर्फ जमीन या आसमान के जरिए ही भारत में घुसपैठ नहीं कर रहा है बल्कि पड़ोसी मुक्स में नापाक इरादा रखने वालों ने इसके लिए नया हथकंडा अपनाया है। जी हां, भारत की रक्षा प्रणाली पर हाल के सालों में पाकिस्तान की तरफ साइबर हमलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल के दौरान इन हमलों में 39 फीसदी का इजाफा देखा गया है, जिसमें मुख्य तौर पर सरकारी एजेंसियों, रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर को निशाना बनाया गया। मई 2024 में पाकिस्तान स्थित उन्नत साइबर खतरा समूह ‘ट्रांसपेरेंट ट्राइब’ (एपीटी36) ने भारतीय सरकार, रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों पर बड़े पैमाने पर साइबर हमले किए जो भारत की सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की एक साजिश का हिस्सा थे।
पाकिस्तान की घुसपैठ का नया हथकंडा
पाकिस्तान अब नए साइबर तरीकों का इस्तेमाल करके भारत की सरकारी नेटवर्क और रक्षा प्रणाली को निशाना बना रहा है। इनमें सबसे प्रमुख तकनीक स्पीयर फिशिंग है, जिसमें खास व्यक्तियों को टारगेट बनाकर फरेबी ईमेल या मैलवेयर भेजा जाता है। इससे वे गलती से संवेदनशील सूचनाओं को उजागर कर देते हैं। जनवरी 2024 में भारतीय वायुसेना पर हुए साइबर हमले में भी यही तकनीक इस्तेमाल की गई थी, जब वायुसेना के कुछ कर्मचारियों को स्पीयर फिशिंग ईमेल के जरिए निशाना बनाया गया था। इससे पहले मार्च 2024 में अज्ञात साइबर अपराधियों ने कई भारतीय सरकारी संस्थाओं में घुसपैठ की थी। इनमें इलेक्ट्रॉनिक संचार, आईटी गवर्नेंस और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियां शामिल थीं। ये सभी हमले एक जैसे थे, जो इस बात का संकेत हैं कि पाकिस्तान समर्थित समूह लगातार भारत की साइबर सुरक्षा की कमजोरियों का फायदा उठा रहे हैं।
रक्षा क्षेत्र पर इन हमलों का असर
इन साइबर हमलों से भारत की सुरक्षा को गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। खासकर रक्षा क्षेत्र में होने वाले उल्लंघनों से कमांड और कंट्रोल सिस्टम, हथियारों की जानकारी और रक्षा उपकरणों की सुरक्षा पर बुरा असर पड़ सकता है। ये हमले भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर सकते हैं। इसलिए भारत को अपनी साइबर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना बेहद जरूरी हो गया है। फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की रक्षा प्रणाली में ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी (ओटी) का महत्वपूर्ण रोल है। यह तकनीक रक्षा संगठनों के उपकरणों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती है। ओटी सिस्टम में रोबोट और सपोर्ट उपकरण आते हैं, जो सैन्य कामों में निरंतरता बनाए रखने में मदद करते हैं। यदि ये ओटी सिस्टम असुरक्षित हो जाते हैं तो इससे न केवल रक्षा उपकरणों में रुकावट आ सकती है बल्कि सुरक्षा पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
साइबर सुरक्षा की मौजूदा चुनौतियां
आज के दौर में साइबर हमले केवल तकनीकी मुद्दे नहीं हैं, बल्कि ये एक राष्ट्र की संप्रभुता पर सीधा प्रहार बन चुके हैं। भारतीय वायुसेना पर हुए हमले में स्पीयर फिशिंग के इस्तेमाल से यह साफ हो गया है कि यह हमले और भी पेचीदा होते जा रहे हैं। आईबीएम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साइबर हमलों से सबसे बड़ी आर्थिक हानि स्पीयर फिशिंग और फिशिंग हमलों के कारण हुई, जो 2.28 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई।
कैसे निकलेगा हल
इस समस्या का हल तभी निकल सकता है जब सभी सरकारी और रक्षा संस्थाएं साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रमों पर ध्यान दें। इन कार्यक्रमों के जरिए यूजर्स को सुरक्षित ईमेल इस्तेमाल की जानकारी दी जानी चाहिए, जिससे वे फिशिंग ईमेल की पहचान कर सकें। इसके अलावा, ब्राउजर और एप्लिकेशन्स को हमेशा अपडेट रखना और संदिग्ध एक्सटेंशन्स से बचना भी जरूरी है। साइबर हमलों से निपटने के लिए पुरानी तकनीकें अब पर्याप्त नहीं हैं। अब वक्त आ गया है कि भारत एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक का इस्तेमाल करे, जो वेब ब्राउज़र और ईमेल सिस्टम से जुड़े खतरों को कम कर सके। नियमित स्कैनिंग अब काफी नहीं है, इसलिए ऐसी सुरक्षा प्रणालियों की जरूरत है जो लगातार निगरानी कर सकें और सुरक्षा में मौजूद ब्लाइंडस्पॉट्स का पता लगा सकें।
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