ट्रंप के ‘टैरिफ़ वार’ के बीच भारत और यूनाइटेड किंगडम ने मंगलवार को मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसे दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने की दिशा में एक अहम क़दम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते को ‘ऐतिहासिक मील का पत्थर’ क़रार दिया है और कहा कि यह भारत-यूके के व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करेगा। इस समझौते के साथ ही एक ‘डबल कॉन्ट्रीब्यूशन कन्वेंशन’ पर भी सहमति बनी है जो दोनों देशों के बीच व्यापार, नवाचार, रोजगार और गतिशीलता को बढ़ावा देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ टेलीफोन पर बातचीत के बाद इस समझौते की घोषणा की। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘मेरे मित्र पीएम कीर स्टार्मर के साथ बातचीत कर खुशी हुई। भारत और यूके ने एक महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह समझौता हमारे संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।’
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार, तकनीक, रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाएगा। उन्होंने यूके के पीएम को भारत आने का निमंत्रण भी दिया, जिसे स्टार्मर ने स्वीकार किया।
इस मुक्त व्यापार समझौते में 26 चैप्टर शामिल हैं, जो वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं। समझौते के तहत यूके अगले दस वर्षों में अपने 85% सामानों पर टैरिफ़ को चरणबद्ध तरीक़े से ख़त्म करेगा। भारत में व्हिस्की और जिन जैसे पेय पदार्थों पर टैरिफ़ को 150% से घटाकर 75% किया जाएगा, जबकि ऑटोमोबाइल पर टैरिफ़ कोटा प्रणाली के तहत 10% तक कम किया जाएगा।
दोनों देशों में 6 लाख से अधिक नौकरियों को समर्थन देने वाले निवेश को बढ़ावा मिलेगा। भारत के लिए यह समझौता नर्सों और नाविकों जैसे कुशल पेशेवरों के लिए यूके में रोजगार के अवसरों को बढ़ाएगा। व्यापार समझौते के साथ-साथ, दोनों देश सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करेंगे।
भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत जनवरी 2022 में शुरू हुई थी। मई 2021 में तत्कालीन ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन और पीएम मोदी ने ‘एन्हांस्ड ट्रेड पार्टनरशिप’ की घोषणा की थी। इसने इस समझौते की नींव रखी। कई दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों ने 2024 के भारतीय आम चुनाव और यूके के आम चुनाव के कारण रुकी वार्ताओं को नवंबर 2024 में रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान फिर से शुरू किया।
यूके के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने कहा, ‘भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और हमारा महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। यह समझौता दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा, चाहे वह भारतीय टैरिफ़ को कम करके ब्रिटिश फ़र्मों के निर्यात को बढ़ावा देना हो या निवेश को प्रोत्साहित करना हो।’
यह समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 25.5 अरब पाउंड तक बढ़ाने की क्षमता रखता है। 2019-20 में भारत और यूके के बीच व्यापार 15.4 अरब डॉलर से अधिक था, जिसे 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था। यह समझौता भारत के लिए सेब और नाशपाती जैसे कृषि उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिए यूके के बाजार में पहुँच को बढ़ाएगा।
उन्होंने रक्षा, प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर जोर दिया। यूके के पीएम स्टार्मर ने भी कहा कि यह समझौता यूके में नौकरियों और समृद्धि को समर्थन देगा। दोनों देश अब 2030 रोडमैप के तहत रक्षा, शिक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने की योजना बना रहे हैं।
भारत और यूके के बीच यह मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम है, जो न केवल आर्थिक लाभ लाएगा, बल्कि रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मज़बूत करेगा। पीएम मोदी और पीएम स्टार्मर की प्रतिबद्धता से लगता है कि दोनों देश इस साझेदारी को दीर्घकालिक और पारस्परिक रूप से लाभकारी बनाने के लिए तत्पर हैं।
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘टैरिफ़ युद्ध’ ने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी दूसरी पारी में वैश्विक व्यापार पर आक्रामक टैरिफ नीतियाँ लागू की हैं, जिन्हें ‘टैरिफ युद्ध’ के रूप में जाना जा रहा है। ट्रंप का तर्क है कि ये टैरिफ अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देंगे और व्यापार घाटे को कम करेंगे। हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि इससे वैश्विक मंदी, महंगाई बढ़ेगी और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान हो सकता है।
भारत की रणनीति
भारत ने ट्रंप के टैरिफ के जवाब में यूके, यूरोपीय संघ, और आसियान जैसे क्षेत्रों के साथ मुक्त व्यापार समझौते को प्राथमिकता दी। यह अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा है।
यह समझौता भारत और यूके के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 25.5 अरब पाउंड तक बढ़ाने की क्षमता रखता है। भारत के लिए, यह कृषि उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के निर्यात को बढ़ाएगा, जबकि यूके को भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार में लाभ मिलेगा।
भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता ट्रंप के टैरिफ़ युद्ध से पूरी तरह प्रेरित नहीं है, लेकिन कहा जा सकता है कि इस युद्ध ने इसकी गति को तेज करने और दोनों देशों को वैकल्पिक बाजारों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया। यह समझौता भारत को वैश्विक व्यापार में एक मज़बूत स्थिति प्रदान करता है, विशेष रूप से तब जब ट्रंप की नीतियाँ चीन और अन्य प्रतिस्पर्धियों पर भारी टैरिफ़ लगा रही हैं। हालाँकि, भारत को टैरिफ़ के कारण निर्यात में होने वाले नुक़सान और यूके की आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए सावधानीपूर्वक रणनीति बनानी होगी। यह समझौता भारत-यूके संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है, बशर्ते दोनों देश वैश्विक व्यापार के इस अस्थिर दौर में एकजुट रहें।