मणिपुर में फिर से कर्फ्यू लगाने की नौबत आन पड़ी है। ताज़ा हिंसा शुरू होने और फिर विरोध-प्रदर्शन के बाद राजधानी इंफाल के दोनों जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया। इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम दोनों जिलों के प्रशासन ने कानून व्यवस्था की स्थिति बनने का हवाला देते हुए मंगलवार सुबह 11 बजे से कर्फ्यू के आदेश जारी किए।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इंफाल पश्चिम प्रशासन ने अगले आदेश तक किसी भी व्यक्ति की अपने-अपने घरों से बाहर आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। कर्फ्यू में ज़रूरी सेवाओं और मीडिया को छूट दी गई है।
मुख्यमंत्री द्वारा मणिपुर में छह महीने के अंदर शांति बहाली लाने का दावा किए जाने के एक हफ़्ते में ही राज्य फिर से हिंसा में जलने लगा है। हत्याओं की ख़बरों के बीच ड्रोन और रॉकेट से हमले की रिपोर्टें आईं और फिर शनिवार को मणिपुर के जिरीबाम जिले में शनिवार को कम से कम पांच लोगों की हत्या कर दी गई।
एक बुजुर्ग व्यक्ति की सोते समय गोली मारकर हत्या करने के बाद दो हथियारबंद समूहों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई थी। इससे एक दिन पहले ख़बर आई थी कि रॉकेट के हमले में एक बजुर्ग की जान चली गई थी। 1 सितम्बर से राज्य में जातीय हिंसा की विभिन्न घटनाओं में 11 लोग मारे जा चुके हैं। इस बीच घाटी में छात्रों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है।
सोमवार को ही थौबल में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव के बाद कम से कम 20 लोग घायल हो गए थे, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। इसके जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की।
इंफाल में प्रदर्शनकारी छात्रों ने सोमवार को राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के सरकारी आवासों में घुसने की भी कोशिश की थी।
बता दें कि क़रीब 11 दिन पहले मणिपुर में कुकी-जो आदिवासी लोगों द्वारा अलग प्रशासन की मांग को लेकर निकाली गई विरोध रैलियों के दौरान अज्ञात हमलावरों ने बीजेपी के प्रवक्ता के घर में आग लगा दी थी। आगजनी राज्य के चुराचांदपुर जिले के पेनियल गांव में की गई। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के अनुसार जिस घर को निशाना बनाया गया वह घर माइकल लामजाथांग हाओकिप के माता-पिता का था। वह भाजपा प्रवक्ता हैं और थाडौ जनजाति के नेता हैं।
जिस अलग प्रशासन की मांग को लेकर कुकी समूह प्रदर्शन कर रहे हैं उसको मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने साफ़ तौर पर खारिज कर दिया है। उन्होंने एक सप्ताह पहले यानी पिछले शुक्रवार को केंद्र की मदद से छह महीने में राज्य में पूर्ण शांति बहाल करने का वादा भी किया।
पिछले साल हिंसा शुरू होने के बाद से अब तक कम से कम 237 लोग मारे जा चुके हैं। पिछले महीने ही ख़बर आई थी कि राज्य में जारी हिंसा में 226 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसमें 20 महिलाएं और 8 बच्चे भी शामिल हैं। करीब 1500 घायल हुए हैं। वहीं 60 हजार लोग इस हिंसा के कारण राज्य के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। इसके साथ ही 13247 आवास, दुकान, समेत अन्य संरचनाएं नष्ट हो गई हैं। मारे गए लोगों के अलावा करीब 28 लोग अब भी लापता हैं जिनके बारे में माना जा रहा है कि या तो उनका अपहरण हुआ है या उनकी हत्या कर दी गई है। इसके बाद भी लगातार हिंसा और हत्याओं की ख़बरें आ ही रही हैं।