पिछले दस साल से मनोरमा सिंह सिर्फ वैशाली ही नहीं, बल्कि राज्यभर में मशरूम उत्पादन के लिए जानी जा रही हैं. वे खुद मशरूम उगाती हैं और आसपास के किसानों को इसकी ट्रेनिंग भी देती हैं. वह स्वयं मशरूम के बीज तैयार करती हैं और जरूरी खाद भी बनाती हैं. वहीं मुजफ्फरपुर जिला हेड क्वार्टर से करीब 17 किमी दूर कांटी प्रखंड के कोठिया गांव के 45 वर्षीय किसान लाल बहादुर बताते हैं कि आज मशरूम की खेती में पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी एक अलग पहचान बना रही हैं. लोगों को इसका उत्पादन करना फायदेमंद लग रहा है क्योंकि इसकी खेती करना बहुत आसान होता है. इसे लोग अपने घर में ही बहुत सरलता से उगा सकते हैं. इसकी खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है. मशरूम की फसल सिर्फ 25 दिनों में ही तैयार हो जाती है. लाल बहादुर बताते हैं कि शुरुआत में उनमें भी मशरूम की खेती की जानकारी का अभाव था. फिर साल 2012 में उनकी मुलाकात पूसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. दया राम से हुई. उनके साथ रहकर उन्होंने मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण लिया. उसके बाद आसपास के गांवों में मशरूम की खेती को लेकर उन्होंने किसानों को जागरूक करने का प्रयास किया.
बंदरा प्रखंड की 34 वर्षीय किसान नीलम देवी बताती हैं कि उनकी बहुत कम उम्र में ही शादी करा दी गयी क्योंकि उसके घर की हालत अच्छी नहीं थी. लेकिन वह स्वयं अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी. एक दिन उन्होंने एक एनजीओ ‘आत्मा’ के द्वारा मशरूम की खेती के प्रशिक्षण के बारे में सुना. उससे जुड़कर उन्होंने मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया और फिर अपने घर के एक कमरे में इसकी खेती शुरू कर दी. हालांकि उनके ससुराल वालों को उनका यह काम पसंद नहीं था और उन्होंने उन्हें इसकी खेती करने से मना भी किया, लेकिन नीलम फिर भी नहीं मानी और अपनी जिद पर अड़ी रहीं. वह बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें काफी दिक्कतें आईं. ससुराल वाले भी उनके इस काम से बिल्कुल खुश नहीं थे. लेकिन वह पीछे नहीं हटी और अपने घर-परिवार के खिलाफ जाकर काम शुरू कर दिया.
सब्जी के रूप में मशरूम का डिमांड हाल के वर्षों में बिहार के विभिन्न जिलों में काफी तेज़ी से बढ़ा है. होटल, रेस्टोरेंट से लेकर मांगलिक कार्यक्रमों व भोज आदि में मशरूम की सब्जी स्टेटस सिंबल बनती जा रही है. राजधानी पटना को छोड़िए, अब तो हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में सड़क किनारे लगे सब्जी के बाजारों में मशरूम आसानी से मिल जाते हैं. जैसे जैसे मशरूम का बाजार बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे इसकी डिमांड भी बढ़ती जा रही है. इसी बढ़ते डिमांड ने किसानों विशेषकर महिला किसानों के लिए खेती के नए दरवाज़े खोल दिए हैं. इससे न केवल उन्हें लाभ हो रहा है बल्कि बिहार को भी आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने में महिला किसान अपना योगदान दे रही हैं.
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