उत्तर प्रदेश में बरेली की एक अदालत ने रेप के एक मामले में एक मुस्लिम व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई, क्योंकि उसने पाया कि उसने खुद को हिंदू बताकर और एक मंदिर में उससे शादी करके पीड़िता को धोखा दिया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने शब्द ‘लव जिहाद’ का इस्तेमाव करते हुए कहा कि मुस्लिम पुरुष प्यार का नाटक करके शादी के जरिये हिंदू महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए व्यवस्थित रूप से निशाना बना रहे हैं। कोर्ट ने कहा- “जैसा कि इस मामले में, आरोपी मो. अलीम ने पीड़िता को अपना हिंदू नाम आनंद बताया और उसे धोखा दिया, हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उससे शादी की और उसके साथ रेप किया और उसकी तस्वीरें और वीडियो भी बनाए और उसके बाद कई बार उसके साथ रेप किया।”
जज दिवाकर ने यहां तक कहा कि “लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य” एक विशेष धर्म के कुछ अराजकतावादी तत्वों द्वारा “जनसांख्यिकीय युद्ध (demographic war) और अंतर्राष्ट्रीय साजिश” के जरिये भारत पर वर्चस्व स्थापित करना है। यानी कोर्ट ने भी भारत में 80 फीसदी हिन्दू आबादी को 20 फीसदी मुस्लिम आबादी का डर दिखाया।
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कौन हैं जज दिवाकरः जज दिवाकर हाल ही में तब खबरों में थे जब हाईकोर्ट को सूचित किया गया था कि ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ मामले में आदेश पारित करने के बाद जज को सुरक्षा खतरा था। जज दिवाकर ने 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। इसी वीडियो सर्वे में ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग पाने का दावा किया गया था।
जज दिवाकर ने अपने फैसले में लिखा है- “सरल शब्दों में, लव जिहाद मुस्लिम पुरुषों द्वारा गैर-मुस्लिम समुदायों की महिलाओं को प्यार का नाटक करके और उनसे शादी करके इस्लाम में परिवर्तित करने की प्रथा है। लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण किसी धर्म विशेष के कुछ अराजक तत्वों द्वारा किया जाता है या कराया जाता है या किसी साजिश में शामिल होता है। कुछ अराजक तत्व ही उपरोक्त कृत्य को अंजाम देते हैं, लेकिन बदनामी पूरे धर्म की होती है। लव जिहाद के लिए बड़ी रकम की जरूरत होती है. इसलिए, लव जिहाद में विदेशी फंडिंग के तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है।”
जज दिवाकर ने यह भी कहा कि किसी को भी बलपूर्वक धर्म परिवर्तन का अधिकार नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा- “यदि किसी का अवैध रूप से बलपूर्वक, झूठ बोलकर, धोखाधड़ी से या बलपूर्वक या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। चाहे वह व्यक्ति कोई भी हो।”
फैसले में कहा गया है कि “लव जिहाद के माध्यम से” अवैध धर्मांतरण किसी अन्य “बड़े उद्देश्य” को पूरा करने के लिए किया जाता है और केंद्र सरकार से इस पर ध्यान देने का आह्वान किया गया है। जज साहब ने भारत सरकार को सुझाव दिया है- “अगर भारत सरकार ने समय रहते लव जिहाद के जरिए अवैध धर्मांतरण नहीं रोका तो भविष्य में देश को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।” जज साहब ने कहा, अवैध धर्मांतरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि ये देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा है।
बरेली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने फैसले में लिखा है- “गैर मुस्लिमों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के कमजोर वर्गों का ब्रेनवॉश करके एक विरोधी गिरोह यानी सिंडिकेट द्वारा लव-जिहाद के जरिए हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर उनका अवैध धर्म परिवर्तन कराने का अपराध बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। समुदायों, महिलाओं और बच्चों को उनके धर्म के बारे में गलत बोलकर, देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणियाँ करके, मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर और शादी, नौकरी आदि विभिन्न प्रकार के प्रलोभनों का लालच देकर, ताकि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे हालात भारत में भी बन सकें। इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि इस मामले में वादी/पीड़िता ओबीसी वर्ग से है और लव-जिहाद के माध्यम से उसका अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया गया है।”
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला मई 2023 का है। एक महिला ने आरोपी मोहम्मद अलीम, उसके पिता साबिर आलम और अन्य के खिलाफ उस पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालने की शिकायत दर्ज कराई थी। कोर्ट ने माना कि अलीम ने पीड़िता को धोखा देकर राधा कृष्ण मंदिर में शादी की और फिर उसके साथ रेप किया। कोर्ट ने उसे आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप का दोषी ठहराया।
अदालत ने अलीम को भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत भी दोषी ठहराया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसमें दो साल कैद की सजा सुनाई गई है।