Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • युद्धविराम के बाद भी सीमा पर आबादी डर और दहशत के साये में
    • महाराष्ट्र के पुणे में पुल ढहने से 4 की मौत, 38 लोग बचाए गए
    • भारत-पाक की तरह इसराइल-ईरान के बीच समझौता कराया जाएगा: ट्रंप
    • Chandauli News: भाजपा देश व प्रदेश को विकास से कर रही मजबूत…सुशील सिंह
    • पहलगाम के बाद कार्रवाई के बावजूद समस्या तो खत्म हुई नहीं: भागवत
    • Azamgarh News: सपा जिला अध्यक्ष हवलदार यादव ने भाजपा सरकार पर लगाए आरोप, कहा- ‘जाति और धर्म के आधार पर की जा रही है नियुक्तियां’
    • विशेषज्ञों ने ख़त क्यों लिखा- अमेरिका टैरिफ़ कम न करे तो भारत डील से हट जाए?
    • क्या फ़िल्म ‘पायर’ है भारत की ‘नो मैन्स लैंड’? जानें क्यों हो रही है तुलना
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » रहस्यमयी तांत्रिक बावड़ी! जहां पानी-पीने से भाई हो जाता है दुश्मन
    Tourism

    रहस्यमयी तांत्रिक बावड़ी! जहां पानी-पीने से भाई हो जाता है दुश्मन

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 14, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Sheopur Tantrik Bawdi History and Mystery 

    Sheopur Tantrik Bawdi History and Mystery 

    Sheopur Tantrik Bawdi History: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के एक छोटे से कस्बे में स्थित हीरापुर गढ़ी का एक कोना आज भी रहस्यों से घिरा है। यह कोना है तांत्रिक बावड़ी। स्थानीय जनमान्यता है कि इस बावड़ी का पानी पीने से सगे भाई तक आपस में लड़ने लगते थे। इस अजीबोगरीब घटनाक्रम से यह बावड़ी न केवल एक रहस्य बन गई, बल्कि अपने पीछे कई ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक सवाल छोड़ गई है। आइए जानते हैं इस तांत्रिक बावड़ी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उससे जुड़ी किंवदंतियां, गिरधरपुर नगर का गौरवशाली अतीत और आज की बदहाल स्थिति के बारे में विस्तार से –

    तांत्रिक बावड़ी के रहस्य की कहानी

    श्योपुर जिले से लगभग 20 किलोमीटर दूर गिरधरपुर कस्बे में हीरापुर गढ़ी के नाम से जानी जाने वाली ऐतिहासिक धरोहर स्थित है। यही वह स्थान है, जहां आज भी तांत्रिक बावड़ी के अवशेष मौजूद हैं। यह बावड़ी कोई आम जल स्रोत नहीं थी, बल्कि इसके पानी को लेकर एक खौफ और विस्मय लोगों के मन में घर कर गया था। यहां के वयोवृद्ध स्थानीय निवासी बताते हैं कि जब वे छोटे थे, तब उनके दादा और माता-पिता ने इस बावड़ी की रहस्यमयी कहानियां सुनाई थीं। 

     उन्होंने बताया- ‘तांत्रिक बाबड़ी का पानी पीते ही सगे भाई आपस में झगड़ने लगते थे। इतना गुस्सा आता था कि हाथापाई की नौबत आ जाती थी। जब ऐसे घटनाक्रम शाही परिवार तक पहुंचे, तो राजा गिरधर सिंह ने बावड़ी को पाटने का आदेश दे दिया।’

    राजा गिरधर सिंह गौड़ और हीरापुर गढ़ी का क्या है इतिहास

    राजा गिरधर सिंह गौड़ का शासनकाल आज से लगभग 250 वर्ष पूर्व का था। उन्होंने इस क्षेत्र में आठ बावड़ियों का निर्माण करवाया था। जो न केवल जल संरक्षण का माध्यम थीं, बल्कि सामाजिक समरसता की प्रतीक भी थीं। परंतु इन्हीं में से एक बावड़ी ऐसी थी, जो अपने रहस्यात्मक प्रभाव के चलते ‘तांत्रिक बावड़ी’ के नाम से जानी जाने लगी।

    यह बावड़ी गढ़ी परिसर के भीतर सोरती बाग में स्थित है। जहां कभी आम के घने पेड़ होते थे। राजा अक्सर यहां विश्राम के लिए आते थे। शिव मंदिर के पास बनी यह बावड़ी करीब 100 वर्ग फीट क्षेत्रफल में फैली है और 10 फीट गहरी है। आज भी इस बावड़ी में पानी मौजूद है, लेकिन इसका प्रयोग कोई नहीं करता।

    जादू-टोना और तंत्र विद्या का केंद्र रहा गिरधरपुर

    समाजसेवी कैलाश पाराशर बताते हैं कि यह क्षेत्र तांत्रिकों और जादूगरों का केंद्र रहा है। यहां एक लोकप्रिय कथा प्रचलित है- ‘ एक बार दो महान जादूगरों में मुकाबला हुआ। एक ने ताड़ के पेड़ को जादू से गिरा दिया, तो दूसरे ने उसे फिर से जोड़ दिया। हालांकि पेड़ में एक सिरा थोड़ा टेढ़ा रह गया, जो पेड़ यह वर्षों तक खड़ा रहा।’ इस किस्से से यह संकेत मिलता है कि यहां तांत्रिक विद्या और अद्भुत शक्तियों का प्रभाव माना जाता था। लोगों का विश्वास है कि तांत्रिक बावड़ी का रहस्य भी इसी विद्या से जुड़ा है। एक नाराज़ तांत्रिक ने इस बावड़ी में कोई ऐसा प्रयोग किया, जिससे पानी पीते ही इंसानों के स्वभाव में हिंसक परिवर्तन आने लगा।

    क्यों कहलाता है यह गांव दो नामों से – हीरापुर और गिरधरपुर?

    गांव के बुजुर्गों के अनुसार, इस नगर का पुराना नाम हीरापुर था, लेकिन जब राजा गिरधर सिंह ने इसे बसाया और वहां गढ़ी का निर्माण कराया, तब इस नगर को गिरधरपुर भी कहा जाने लगा। यहां आज भी नैरोगेज रेलवे स्टेशन है, जिसे ‘गिरधरपुर’ नाम से जाना जाता ह। जबकि ग्रामीण इसे हीरापुर कहते हैं। यह दोहरी पहचान इस क्षेत्र के इतिहास और वर्तमान को अलग-अलग दिशाओं में दर्शाती है।

    गढ़ी का पतन- गौरवशाली अतीत से जर्जर वर्तमान तक

    वर्तमान में हीरापुर गढ़ी का दृश्य काफी पीड़ादायक है। समय के थपेड़ों और सरकारी उपेक्षा ने इस ऐतिहासिक धरोहर को जर्जर अवस्था में पहुंचा दिया है। मुख्य द्वार और उसके सामने का विशाल मैदान अतिक्रमण की चपेट में है। गढ़ी के चारों ओर झाड़ियां और कचरा जमा हो गया है।

    गढ़ी परिसर में एक शिव मंदिर है, जिसमें अब देवी प्रतिमा स्थापित कर दी गई है। वहीं, गढ़ी के भीतर एक छोटा मंदिर है जिसमें शिवलिंग और भैरव की प्रतिमा अब भी विद्यमान है। इस ऐतिहासिक महल की सुंदर छत्रियां और बावड़ियां धीरे-धीरे खंडहर में बदल रही हैं। इस गांव के बुजुर्ग पाराशर के अनुसार- ‘ गर्व की बात है कि हमारे पुरखों ने एक सुंदर नगर बसाया, लेकिन दुख इस बात का है कि आज की पीढ़ी इस पहचान को मिटाने पर तुली है।’

    क्या कहती है तांत्रिक बावड़ी की लोककथा?

    गांववालों के अनुसार, यह बावड़ी सामान्य नहीं थी। इसके जल में कोई ऐसी ‘ऊर्जा’ थी, जो मनुष्य के स्वभाव को ही बदल देती थी। अक्सर लोग इसका पानी पीते ही उग्र हो जाते और आपसी लड़ाई-झगड़े बढ़ जाते। तांत्रिक बाबड़ी के बारे में यहां सबको पता है। इसका पानी पी लेने से पड़ोसी, परिवारों और सगे भाई तक आपस में लड़ने लगते थे। राजा गिरधर सिंह ने उसी समय इस बावड़ी को पाट दिया। उसके बाद से लड़ाई-झगड़े भी खत्म हो गए।’ इस प्रकार यह बावड़ी न केवल पानी का स्रोत रही, बल्कि सामाजिक असंतुलन का कारण बन गई और अंततः इसका पटना ही इसका समाधान माना गया।

    क्या विज्ञान से हो सकता है इस रहस्य का खुलासा

    हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो संभव है कि उस जल स्रोत में कोई खनिज तत्व या रासायनिक घटक रहा हो, जो मानसिक स्थिति को प्रभावित करता हो। संभवतः उसमें मौजूद कोई विषैला पदार्थ, जैसे सल्फर या आर्सेनिक, लोगों में चिड़चिड़ापन या आक्रोश पैदा करता हो। लेकिन यह भी अनुमान मात्र है, क्योंकि आज तक किसी वैज्ञानिक अध्ययन ने इस बावड़ी के पानी का विश्लेषण नहीं किया है। यह तांत्रिक बावड़ी और हीरापुर गढ़ी दोनों ही एक ऐतिहासिक धरोहर हैं, जो न केवल स्थापत्य कला और जल संरक्षण के प्रतीक हैं। बल्कि सामाजिक और मानसिक अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। अगर सरकार या पुरातत्व विभाग इसके संरक्षण और अध्ययन की पहल करे। तो यह क्षेत्र पर्यटन और अनुसंधान दोनों का केंद्र बन सकता है। हीरापुर की तांत्रिक बावड़ी आज भी एक अदृश्य परंतु प्रखर ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। जहां जनविश्वास और इतिहास इसे रहस्य से जोड़ते हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि इस स्थल का विधिवत दस्तावेजीकरण, वैज्ञानिक परीक्षण और पुरातात्विक संरक्षण किया जाए।

    अगर तांत्रिक बावड़ी का रहस्य सुलझाया जा सके तो यह केवल श्योपुर जिले के लिए नहीं, बल्कि समूचे भारत के लिए एक गौरवशाली अध्याय साबित हो सकता है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleईरान ने कहा- ‘हम मिडिल ईस्ट में अमेरिकी ठिकानों को भी निशाना बनाएंगे’
    Next Article एयर इंडिया प्लेन क्रैशः सरकार ने बताया क्या हुआ था 12 जून को, क्यों हुआ- जवाब गायब
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    Aral Sea Dried: जान समंदर बन गया रेगिस्तान! अराल सागर की कहानी आपको हैरान कर देगी

    June 15, 2025

    क्या है गोल गुंबज का रहस्य! कैसे यह प्राचीन तकनीक बिना बिजली के देता है स्पीकर जैसा अनुभव

    June 14, 2025

    Zero Mile Stone History: एक ऐसा ऐतिहासिक पत्थर जो बना था भारत की दूरी का केंद्र बिंदु

    June 14, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.