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    Home » रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं, अपनी ही दुनिया में रहते हैं: हाई कोर्ट
    भारत

    रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं, अपनी ही दुनिया में रहते हैं: हाई कोर्ट

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 1, 2025No Comments4 Mins Read
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    “रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं। वह अपनी दुनिया में रहते हैं।“ ये शब्द दिल्ली हाईकोर्ट ने योगगुरु रामदेव के लिए तब कहे जब वह ‘रूह अफ़ज़ा’ मामले को लेकर हमदर्द के आरोपों पर सुनवाई कर रहा था। अदालत ने रामदेव को फिर फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट की अवमानना का आरोप भी लगाया है।मामला दिल्ली हाई कोर्ट में रामदेव के गुलाब शर्बत को लेकर जुड़ा हुआ था। हमदर्द कंपनी ने रामदेव पर उनके उत्पादों और ट्रेडमार्क को बदनाम करने का आरोप लगाया है। हमदर्द का आरोप है कि रामदेव उनके उत्पादों को बदनाम करके अपने उत्पाद बेचना चाहते हैं। इस पर कोर्ट ने रामदेव से पुराने वीडियो हटाने के लिए कहा था। रामदेव नये वीडियो लेकर बाजार में उतरे थे पर उसे देखकर दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ भड़क गई। जवाब में गुरुवार को रामदेव ने कोर्ट को बताया कि वह अपने नए वीडियो का वह हिस्सा हटा देंगे, जिसमें हमदर्द और उनके उत्पादों का ज़िक्र है। यह दूसरी बार है जब 10 दिनों के अंदर रामदेव को कोर्ट के आदेश के बाद वीडियो हटाने की बात सुननी पड़ी है।

    यह मामला उस समय क़ानून की नज़र में आया था जब हमदर्द ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हमदर्द ने कहा कि रामदेव ने अपने पहले वीडियो में उनके उत्पाद रूह अफ़ज़ा को “शरबत जिहाद” कहकर बदनाम किया। इस वीडियो में रामदेव ने रूह अफ़ज़ा की ओर इशारा करते हुए कहा था कि उसे बनाने वाली कंपनी के मुनाफे का इस्तेमाल मस्जिद और मदरसे बनाने में होता है। हमदर्द ने इसे ट्रेडमार्क उल्लंघन, बदनामी और सांप्रदायिक बयानबाज़ी का मामला करार दिया।

    22 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने रामदेव को ऐसे वीडियो हटाने और भविष्य में ऐसे बयान, विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट न करने की हिदायत दी थी। कोर्ट ने रामदेव से एक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा था, जिसमें उनसे वचन देने को कहा गया था कि वे फिर ऐसा नहीं करेंगे।

    हमदर्द के वकील सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी ने कोर्ट को बताया कि नया वीडियो पुराने वीडियो जैसा ही है। दोनों में हमदर्द का नाम लिया गया और कहा गया कि उनका मुनाफा मस्जिद और मदरसे बनाने में जाता है। सेठी ने कहा कि दोनों वीडियो में सांप्रदायिक बयानबाज़ी की गई और हमदर्द को एक खास समुदाय से जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि रामदेव ने कोर्ट के 22 अप्रैल के आदेश की अवमानना की और जानबूझकर ऐसा ही वीडियो फिर से पोस्ट किया।

    सेठी ने कोर्ट से कहा कि रामदेव का यह बयान सांप्रदायिक विभाजन पैदा करता है। उन्होंने कहा कि रामदेव अपने वीडियो में यह संदेश देते हैं कि हमदर्द एक खास समुदाय से है और उसका मुनाफ़ा उसी समुदाय के लिए जाता है, जबकि वह खुद दूसरे समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। सेठी ने इसे कोर्ट की गरिमा का सवाल बताया और कहा कि रामदेव ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है। गुरुवार को जस्टिस अमित बंसल ने रामदेव के वकील सीनियर एडवोकेट राजीव नायर से पूछा कि वह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि रामदेव हमदर्द या उनके उत्पादों का ज़िक्र न करें। नायर ने जवाब दिया कि रामदेव को हमेशा के लिए हमदर्द का नाम लेने से नहीं रोका जा सकता, लेकिन वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जो बदनाम करने वाला हो।

    जस्टिस बंसल ने कहा कि अगर रामदेव का यही रवैया रहा, तो कोर्ट उनके ख़िलाफ़ अवमानना नोटिस जारी करेगा। कोर्ट ने कहा कि नए वीडियो का लहजा और सामग्री पुराने वीडियो जैसी ही है। इसके बाद रामदेव के वकील राजीव नायर और जयंत मेहता ने अपने मुवक्किल से बात की और कोर्ट को बताया कि वह हमदर्द का ज़िक्र करने वाले वीडियो के हिस्से को 24 घंटे के अंदर सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अन्य मीडिया से हटा देंगे। जस्टिस बंसल ने इस बयान को दर्ज किया और रामदेव को इस आदेश का पालन करने का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    शुक्रवार को कोर्ट हमदर्द की उस याचिका पर विचार करेगा, जिसमें रामदेव के ख़िलाफ़ 22 अप्रैल के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने का आरोप लगाया गया है। हमदर्द ने अपनी याचिका में पतंजलि को उनके ट्रेडमार्क को बदनाम करने से रोकने, 2 करोड़ रुपये का हर्जाना, माफी और बयान वापस लेने की मांग की है। इसके अलावा, हमदर्द ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दूरसंचार विभाग से आपत्तिजनक सामग्री के लिंक हटाने की मांग भी की है।

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