लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को भारत सरकार से उसके प्रस्तावित निर्णय के बारे में पूछा। कर्नाटक के भाजपा नेता द्वारा इस संबंध में पीआईएल दायर कर सीबीआई जांच की मांग की गई है। लेकिन केस की सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(2) के तहत सक्षम प्राधिकारी गृह मंत्रालय को अपनी शिकायत भेजी थी, जिसमें गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि …तो फिर हम पहले भारत सरकार का निर्णय जानना चाहेंगे। अभी राहुल गांधी की नागरिकता पर कोई बात नहीं होगी।
लाइव लॉ के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने एएसजी सूर्य भान पांडे को इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया। कोर्ट में याचिकाकर्ता एस. विग्नेश शिशिर ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर दावा किया कि उन्होंने याचिका दायर की है। गृह मंत्रालय के विदेश प्रभाग को भी विस्तृत शिकायत भेजी थी। उसने बताया कि वहां शिकायत लंबित है। कोर्ट ने इसके बाद अपना रुख साफ कर दिया।
हाईकोर्ट बेंच ने यह आदेश यह देखने के बाद पारित किया कि इसी तरह की एक जनहित याचिका (उसी याचिकाकर्ता द्वारा) पहले भी दायर की गई थी, जिसे खारिज होने के अंदेशे में वापस ले लिया गया। साथ ही याचिकाकर्ता को धारा 9(2) के तहत सक्षम प्राधिकारी (गृह मंत्रालय के विदेश विभाग) से संपर्क करने की छूट दी गई। क्योंकि नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत इसकी छूट है।
जब मामला बुधवार को अदालत के सामने सुनवाई के लिए आया, तो जनहित याचिका याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसकी पिछली याचिका (इस साल जुलाई में) खारिज होने के बाद, उसने केंद्रीय गृह मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी के साथ दो ज्ञापन दिए। 1955 अधिनियम की धारा 9 (2) के नियमों और विनियमों के साथ-साथ नागरिकता नियम 2009 के नियम 40 (2) और 2009 नियमों की अनुसूची III के अनुसार कि राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द की जाए।
यहां बताना जरूरी है कि 2009 के नियमों की धारा 40 केंद्र सरकार के यह तय करने के अधिकार से संबंधित है कि भारत के किसी नागरिक ने दूसरे देश की नागरिकता कब, कैसे या कैसे हासिल की।
जब जनहित याचिका याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता की सीबीआई जांच की मांग करने वाली अर्जी पर दबाव डाला तो खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि, इस समय, वह केवल इस बात को जानना चाहती है कि क्या केंद्रीय गृह मंत्रालय को उक्त ज्ञापन प्राप्त हुआ था और क्या कोई निर्णय/ कार्रवाई उस पर प्रस्तावित है। अदालत ने एएसजी को मामले में निर्देश लेने का निर्देश दिया और इसे सोमवार, 30 सितंबर तक सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने के लिए यह पहली याचिका नहीं है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। स्वामी इससे पहले सोनिया गांधी की नागरिकता को लेकर कोर्ट जा चुके हैं। कांग्रेस पार्टी इसे गांधी परिवार को परेशान करने के अलावा बताकर कोई तवज्जो नहीं देती है। पिछले दस वर्षों से भाजपा की सरकार केंद्र में है। मोदी सरकार के पास अगर गांधी परिवार के बारे में कोई जानकारी होती तो सरकार उस आधार पर कार्रवाई कर चुकी होती।