वक्फ बिल पर जल्दबाजी का आरोप लगाते हुए विपक्ष तो वक्फ बिल पर संसदीय समिति के लिए और समय मांग ही रहा था, अब एक बीजेपी सांसद ने भी और समय मांगा है। आख़िर यह कैसे हो गया कि जो विपक्ष मांग कर रहा था, बीजेपी का सांसद भी वही मांग कर दे वह भी निशिकां दुबे
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के लिए और समय मांगा। पहले विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया था कि अध्यक्ष जगदंबिका पाल जल्दबाजी में 29 नवंबर की समयसीमा तक कार्यवाही बंद करना चाहते हैं।
झारखंड के गोड्डा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद दुबे ने बुधवार को संसदीय समिति की बैठक के दौरान एक प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव पर संसद में गुरुवार को चर्चा किए जाने की संभावना है। यह कदम विपक्षी सांसदों द्वारा बैठक से वॉकआउट करने के कुछ घंटों बाद उठाया गया। विपक्ष का आरोप था कि कार्यवाही मजाक बनकर रह गई है।
जब संकेत मिले कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल समिति के कार्यकाल में विस्तार की मांग कर सकते हैं, करीब एक घंटे बाद जब वाकआउट करने वाले सांसद बैठक में वापस आए। विपक्षी सांसद वक्फ संशोधन विधेयक के लिए जेपीसी के कार्यकाल में विस्तार की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि हितधारकों को अपना मामला पेश करने के लिए अधिक समय चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि समिति की अब तक केवल 25 बार बैठक हुई है।
अध्यक्ष जगदंबिका पाल की मसौदा रिपोर्ट के बावजूद विपक्षी सांसद तैयार नहीं हैं और उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से समयसीमा बढ़ाने का आग्रह किया। इससे पहले बुधवार को ही कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, डीएमके के ए राजा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने समिति के अध्यक्ष के आचरण का विरोध करते हुए समयसीमा बढ़ाने की मांग की।
विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष सही प्रक्रिया पूरी किए बिना 29 नवंबर की समयसीमा तक इसकी कार्यवाही समाप्त करने के पक्ष में थे।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दावा किया, ‘लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संकेत दिया था कि समिति को विस्तार दिया जा सकता है, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई बड़ा मंत्री पाल की कार्रवाई के लिए निर्देश दे रहा था।
वाईएसआर कांग्रेस के सांसद वी विजयसाई रेड्डी ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली सभी पार्टियाँ विस्तार नहीं चाहती थीं, लेकिन पाल ने अपना काम पूरा करने का आह्वान किया ताकि 29 नवंबर को रिपोर्ट लोकसभा में पेश की जा सके। इंडिया टुडे के अनुसार कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि पैनल का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के पहले सप्ताह तक बढ़ाया जा सकता है और अंतिम निर्णय लोकसभा द्वारा लिया जाएगा।
बता दें कि 8 अगस्त को सरकार ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया, जिसमें कहा गया कि कानून का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के काम को सुव्यवस्थित करना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन करना है। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस पर चिंता व्यक्त की। इसके बाद इसे एक संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया।