ज्योतिष में होने वाला प्रत्येक ग्रह का गोचर या स्थिति में परिवर्तन किसी न किसी तरह से मनुष्य जीवन को प्रभावित करता है। ऐसे में, जब गोचर ग्रह के राजकुमार “बुध ग्रह” का हो, तो इसका महत्व बढ़ जाता है। बुद्धि, वाणी और तर्क के कारक ग्रह बुध अब मकर राशि में गोचर करने जा रहे हैं जिसका प्रभाव राशि चक्र की सभी 12 राशियों के जातकों के साथ-साथ देश-दुनिया पर भी दिखाई देगा। एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको बुध गोचर से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय आदि। इसके अलावा, कुंडली में बुध देव को कैसे मज़बूत करें? इसके बारे में भी हम विस्तार से बात करेंगे। चलिए अब हम बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बुध ग्रह के बारे में।

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बुध का मकर राशि में गोचर: तिथि एवं समय
बात करें बुध ग्रह की, तो बुध ग्रह को तेज़ गति से चलने वाला युवा ग्रह कहा जाता है जो कि सूर्य के सबसे निकट स्थित हैं। यह तक़रीबन 28 दिनों में एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। अब बुध देव 24 जनवरी 2025 की शाम 05 बजकर 26 मिनट पर मकर राशि में गोचर कर जाएंगे। बता दें कि बुध ग्रह का गोचर शनि देव की राशि मकर में रहा है। ऐसे में, यह कुछ राशियों को शुभ परिणाम देंगे जबकि कुछ राशियों की समस्याओं का बढ़ाने का काम कर सकते हैं। बुध गोचर का समय एवं तिथि जानने के बाद आइए अब नज़र डालते हैं बुध के महत्व पर।
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ज्योतिषीय दृष्टि से बुध ग्रह
वैदिक ज्योतिष में बुध देव को शुभाशुभ ग्रह कहा जाता है क्योंकि यह कुंडली में जिस ग्रह के साथ बैठे होते हैं, उसी के अनुसार फल देते हैं। यह कुंडली में गुरु, शुक्र और चंद्र देव के साथ विराजमान होते हैं, तो आपको सकारात्मक परिणाम देते हैं जबकि अशुभ ग्रहों जैसे मंगल, केतु, शनि, राहु और सूर्य के साथ होने पर कमज़ोर फल देते हैं। राशि चक्र में इन्हें मिथुन और कन्या राशि पर आधिपत्य प्राप्त हैं। हालांकि, कन्या राशि में बुध महाराज उच्च के होते हैं जबकि यह मीन राशि में नीच के होते हैं। बुध ग्रह सभी 27 नक्षत्रों में अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र के स्वामी हैं। यह मानव जीवन में बुद्धि, तर्क, वाणी, संवाद, और दोस्ती आदि क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं। नवग्रहों में बुध देव सूर्य और शुक्र से मित्रता का संबंध रखते हैं जबकि चंद्रमा और मंगल से इनकी शत्रुता है।
कुंडली में बुध से बनने वाले शुभ-अशुभ ग्रह
कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह जिस भाव में जिस ग्रह के साथ बैठे होते हैं, इसके आधार पर अनेक योग निर्मित होते हैं जो कि शुभ और अशुभ दोनों तरह के हो सकते हैं। चलिए अब हम बात करते हैं और जानते हैं बुध से बनने वाले योग के बारे में।
लक्ष्मीनारायण योग
लक्ष्मी नारायण योग को बेहद शुभ योग माना जाता है। यह योग किसी व्यक्ति की कुंडली में उस समय बनता है जब बुध और शुक्र ग्रह एक साथ आकर युति का निर्माण करते हैं। बुध देव बुद्धि और विवेक के कारक हैं जबकि शुक्र देव प्रेम एवं सौंदर्य के प्रमुख ग्रह हैं। ऐसे में, इन दोनों ग्रहों के मिलने से बनने वाला लक्ष्मीनारायण योग जातक के जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि करता है।
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बुधादित्य योग
कुंडली में बनने वाले शुभ योगों की बात करते हैं, तो सूर्य और बुध की युति से निर्मित होने वाले बुधादित्य योग का नाम सबसे पहले आता है। बता दें कि ज्योतिष में सूर्य देव आत्मा, सम्मान और पिता के कारक कहे गए हैं जबकि बुध ज्ञान, बुद्धि एवं व्यापार के कारक ग्रह हैं। ऐसे में, जब कुंडली के किसी भाव में सूर्य और बुध के मिलने पर बुधादित्य योग बनता है, तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग को अक्सर राजयोग भी कहा जाता है। जिन जातकों की कुंडली में बुधादित्य योग मौजूद होता है, उन्हें समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्यापार में भी सफलता हासिल करते हैं।
पंच महापुरुष योग
पांच महापुरुष योग की गिनती शुभ योगों में होती है। किसी व्यक्ति की कुंडली में पंच महापुरुष योग तब बनता है जब मंगल, गुरु, शुक्र, बुध, और शनि में से कोई भी एक ग्रह या एक से अधिक ग्रह अपनी राशि में उच्च अवस्था में केंद्र में बैठे होते हैं। इस योग को भी राजयोग के समान फलदायी माना जाता है। ऐसे जातक जिनकी कुंडली में पंच महापुरुष योग बनता है, वह बहुत अमीर होते हैं और इन्हें कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
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जड़त्व योग
बात करें अशुभ योग की, तो बुद्धि, वाणी एवं तर्क के कारक ग्रह बुध महाराज और छाया ग्रह राहु के एक साथ आने पर जड़त्व योग बनता है। किसी जातक की कुंडली में बुध और राहु के युति करने पर जड़त्व योग का निर्माण होता हैं जो कि एक अशुभ योग माना गया है। ऐसे जातक जिनकी कुंडली में यह योग मौजूद होता है, उन्हें अपने जीवन में धन हानि, अप्रत्याशित रूप से आर्थिक नुकसान, मानसिक रोग और तनाव जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।
बुध ग्रह से बनने वाले योगों के बारे में जानने के बाद अब हम आपको अवगत करवाते हैं बुध को प्रसन्न करने के उपायों से।
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अशुभ बुध को इन उपायों से करें शांत
- बुध ग्रह को हरा रंग बहुत प्रिय है इसलिए इस रंग का इस्तेमाल अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा करें।
- नियमित रूप से भगवान श्री विष्णु की पूजा करें। संभव हो, तो व्रत भी करें।
- बुधवार के दिन बुध ग्रह के लिए व्रत करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए चार मुखी या 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ रहता है। लेकिन, किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से सलाह करने के बाद ही रुद्राक्ष धारण करें।
- व्यापार को हमेशा ईमानदारी से करें और किसी के साथ छल, कपट एवं धोखा करने से बचें।
- जातक अपने सामर्थ्य के अनुसार बुधवार के दिन साबुत मूंग, पालक, हरी घास और हाथी के दांत से बनी हुई वस्तुओं का गरीबों एवं जरूरतमंदों को दान करें।
- बुध ग्रह से शुभ परिणामों की प्राप्ति के लिए पन्ना रत्न धारण करें। ऐसा आप किसी रत्न विशेषज्ञ ज्योतिषि से सलाह करने के बाद ही करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शनि देव को मकर राशि पर स्वामित्व प्राप्त है।
मकर राशि में बुध ग्रह का गोचर 24 जनवरी 2025 को होगा।
ज्योतिष में सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण होता है।
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