एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मंत्री तानाजी सावंत का कहना है कि वो कैबिनेट मीटिंग में एनसीपी प्रमुख अजीत पवार के बगल बैठते हैं। मीटिग के बाद जब वो बाहर आते हैं तो उन्हें उल्टी करना पड़ती है। उनका कहना है कि अजीत पवार के आसपास रहने को वो बर्दाश्त करने में असमर्थ हैं। सावंत के बयान पर एक और विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि अजीत पवार और उनकी पार्टी ने इस बयान पर तवज्जो नहीं दी है। लेकिन अजीत पवार आसानी से इस बयान पर चुप नहीं बैठेंगे।
मंत्री तानाजी सावंत म्हणतात कॅबिनेट मध्ये एकत्र बसलो तरी बाहेर आल्यावर उलटी सारखे होते #tanajisawant #ajitpawar pic.twitter.com/bExIBtmocq
— Rokhthok Maharashtra News (@RokhthokNews) August 29, 2024
एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मंत्री तानाजी सावंत ने कहा- “जीवन भर मेरी कभी भी एनसीपी से नहीं बनी, हम एक-दूसरे के बगल में बैठते हैं, लेकिन जब बाहर निकलते हैं तो उल्टी करते हैं। मैं एक कट्टर शिवसैनिक हूं। मेरी जिंदगी में कभी भी कांग्रेस और एनसीपी से नहीं बनी। जब से मैं छात्र था तब से कभी साथ नहीं मिला, आज, भले ही मैं उनके (एनसीपी) के साथ कैबिनेट में बैठूं, मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता।”
इसके जवाब में, एनसीपी नेताओं ने सावंत की टिप्पणियों को बहुत महत्व नहीं दिया। एनसीपी (अजीत पवार) के एमएलसी अमोल मिटकारी ने हालात पर रोशनी डाली और सुझाव दिया कि स्वास्थ्य मंत्री को अपनी बीमारियों का कारण समझना चाहिए।
“
तानाजी सावंत को नहीं पता कि उल्टी का कारण क्या है। तानाजी सावंत स्वास्थ्य मंत्री हैं, स्वास्थ्य का इससे कुछ लेना-देना होगा। लेकिन महायुति में होने के कारण, अगर उन्हें उल्टी हो रही है, तो केवल एकनाथ शिंदे ही हमें बता सकते हैं कि इसका कारण क्या है।
-अमोल मिटकारी, एमएलसी, 29 अगस्त 2024 सोर्सः टाइम्स ऑफ इंडिया
यह पहली बार नहीं है जब सावंत ने विवाद खड़ा किया है। पिछले साल, एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह कथित तौर पर धाराशिव (उस्मानाबाद) जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर एक पुलिस इंस्पेक्टर का तबादला करने के लिए दबाव डाल रहे थे। वीडियो में, सावंत धाराशिव के पुलिस अधीक्षक अतुल कुलकर्णी से कहते हैं कि वह मुख्यमंत्री की बात भी नहीं सुनते हैं, जिसका अर्थ है कि अधिकारी को उनके आदेशों का पालन करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, सावंत इस साल की शुरुआत में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने में अपनी भागीदारी के बारे में शेखी बघारते रहे हैं।
उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने शिवसेना विधायकों के एक धड़े को विद्रोह करने को मनाने के लिए देवेन्द्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के समर्थन से कई बैठकों में भाग लिया था। सावंत ने 2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में मंत्रिमंडल से अपने बहिष्कार की ओर इशारा किया, जिसके कारण अंततः उन्हें धाराशिव जिला परिषद में भाजपा के साथ गठबंधन करना पड़ा था।
अजीत पवार और एकनाथ शिंदे सरकार व भाजपा के साथ रिश्ते धीरे-धीरे बिगड़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि शिवसेना शिंदे गुट और भाजपा दोनों ही अब अजीत पवार से छुटकारा चाहते हैं। तानाजी सावंत का बयान आए हुए कई घंटे बीत चुके हैं लेकिन एकनाथ शिंदे या फडणवीस ने एक बार भी तानाजी के बयान की निन्दा नहीं की। दो दिन पहले अजीत पवार ने छत्रपति शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना पर मौन विरोध की बात कही थी। इसके बाद महायुति में माहौल गरमाया हुआ है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखें कभी भी घोषित हो सकती हैं लेकिन अभी तक तीनों दलों में सीटों को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है।