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    Home » श्रीलंका ने पहली बार भारत के साथ किया रक्षा समझौता, दूर की चीन वाली टेंशन, ऐसा कभी नहीं होने देंगे
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    श्रीलंका ने पहली बार भारत के साथ किया रक्षा समझौता, दूर की चीन वाली टेंशन, ऐसा कभी नहीं होने देंगे

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 5, 2025No Comments4 Mins Read
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    कोलंबो
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें एक ऐतिहासिक रक्षा सहयोग समझौता भी शामिल है। यह पहली बार है जब भारत और श्रीलंका ने रक्षा क्षेत्र में ऐसा कोई औपचारिक समझौता किया है।

    इस दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार अपनी धरती का इस्तेमाल कभी भी भारत की सुरक्षा हितों के खिलाफ नहीं होने देगी। यह बयान चीन के बढ़ते प्रभाव और निवेशों को लेकर भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। दोनों पक्षों ने त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। श्रीलंका के पूर्वी क्षेत्र में नई दिल्ली की बहु-क्षेत्रीय अनुदान सहायता पहुंचाने के लिए एक और समझौता किया गया। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति दिसानायके ने सामपुर सौर ऊर्जा परियोजना का भी डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया। मोदी बैंकॉक की अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद शुक्रवार शाम कोलंबो पहुंचे थे। उन्होंने बैंकॉक में बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) के शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।

    विदेश मंत्री विजीथा हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नालिंदा जयतिसा और मत्स्य मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर समेत पांच शीर्ष श्रीलंकाई मंत्रियों ने मोदी का स्वागत किया। दिसानायके के साथ वार्ता से पहले, मोदी का श्रीलंका की राजधानी के मध्य में स्थित ऐतिहासिक ‘इंडीपेंडेंस स्क्वायर’ (स्वतंत्रता चौक) पर औपचारिक स्वागत किया गया। किसी अन्य देश के नेता को यहां संभवत: पहली बार इस प्रकार सम्मानित किया गया है। दिसानायके ने ‘स्क्वायर’ पर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। ‘इंडीपेंडेंस स्क्वायर’ राष्ट्रीय दिवस समारोहों का स्थल है। इसका नाम स्वतंत्रता स्मारक सभागार से लिया गया है जिसे 1948 में ब्रिटिश शासन से श्रीलंका की आजादी के उपलक्ष्य में बनाया गया था।

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘राष्ट्रपति दिसानायके ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोलंबो के ‘इंडीपेंडेंस स्क्वायर’ पर भव्य स्वागत किया।’’ अधिकारियों ने कहा कि यह पहला मौका है जब किसी अन्य देश के नेता का ‘स्क्वायर’ पर इस तरह से स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री ने ऐसे समय में यह यात्रा की है जब श्रीलंका आर्थिक संकट से उबरने के संकेत दे रहा है। श्रीलंका तीन साल पहले बड़े आर्थिक संकट में घिर गया था और भारत ने उसे 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता दी थी।

    इसके बाद राष्ट्रपति दिसानायके ने प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘मित्र विभूषण’ प्रदान किया। मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “भारत हर कठिन समय में श्रीलंका के साथ खड़ा रहा है – चाहे 2019 का आतंकी हमला रहा हो, कोविड महामारी हो या हालिया आर्थिक संकट। हमारी मित्रता भरोसे पर टिकी है।”

    महत्वपूर्ण समझौते:
    रक्षा सहयोग समझौता:
    यह समझौता दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं और सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है।

    त्रिंकोमाली को ऊर्जा हब के रूप में विकसित करना: दोनों देशों ने इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है।

    भारत की पूर्वी श्रीलंका में बहु-क्षेत्रीय सहायता: एक और समझौते के तहत भारत श्रीलंका के पूर्वी क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास हेतु अनुदान सहायता देगा।

    संपूर सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति डिसानायके ने संयुक्त रूप से इस परियोजना की शुरुआत की, जो दोनों देशों के ऊर्जा सहयोग का प्रतीक है।

    यह दौरा भारत-श्रीलंका संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को और गहराने में जुटा है। श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने कहा कि श्रीलंका को भारत द्वारा दी गई सहायता दुनिया के किसी भी देश को दी गई भारतीय सहायता के संदर्भ में ‘‘अभूतपूर्व’’ है। झा ने कहा, ‘‘यह बहुत बड़ी सहायता थी और हम विभिन्न क्षेत्रों में सहायता प्रदान करने के लिए श्रीलंका के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसकी यहां बहुत सराहना की जाती है।’’

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