सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), महाराष्ट्र राज्य और इमीग्रेशन ब्यूरो की दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शोविक और उनके पिता (सेना से रिटायर्ड अधिकारी) खिलाफ जारी लुक-आउट-सर्कुलर (एलओसी) को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा रद्द करने को चुनौती दी गई थी।
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने मौखिक रूप से कहा कि याचिका “मामूली” है और केवल इसलिए दायर की गई थी क्योंकि आरोपी “हाई-प्रोफाइल” हैं।
लाइव लॉ के मुताबिक जब सीबीआई के वकील ने मामले को खत्म करने की मांग की, तो जस्टिस गवई ने कहा, “हम चेतावनी दे रहे हैं। आप ऐसी मामूली याचिका सिर्फ इसलिए दायर कर रहे हैं क्योंकि आरोपियों में से एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति है… इस पर लागत (कॉस्ट) लगेगी। दोनों आरोपियों की समाज में गहरी जड़ें हैं।”
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अगर आप सीबीआई को लागत देने और कुछ तारीफ चाहते हैं, तो हम इसे छोड़ देंगे। लेकिन हैरानी की बात है कि आप इस सबके लिए एलओसी जारी करना चाहते हैं।
-सुप्रीम कोर्ट, 25 अक्टूबर 2024 सोर्सः लाइव लॉ
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। अगस्त 2020 में रिया, उनके भाई शोविक, उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल इंद्रजीत चक्रवर्ती और मां संध्या (जो आर्मी स्कूल में टीचर थीं) के खिलाफ एलओसी जारी किए गए थे। ऐसा तब हुआ जब एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के परिवार ने उनकी मौत की जांच की मांग करते हुए पटना में एक एफआईआर दर्ज कराई और मामला बाद में सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया। सुशांत का बहनोई हरियाणा में आईपीएस है। मामला खूब उछला। सुशांत की सुर्खियां बनीं। रिया चक्रवर्ती का मीडिया ट्रायल हुआ। बॉलीवुड को नशेड़ियों का अड्डा बताकर मशहूर एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को घसीटने की कोशिश की गई। एक टीवी चैनल पर एंकर ने तो चिल्लाते हुए ड्रग दो-मुझे ड्रग दो जैसा कहकर अपने शो को नाटकीय बनाना चाहा। बाद में दोनों मामले फर्जी निकले। अब रिया चक्रवर्ती को भी राहत मिल गई है।
लाइव लॉ के मुताबिक एलओसी को रद्द करते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई ने इसे जारी करने का कोई ‘कारण’ नहीं बताया है। इसके अलावा, दिशानिर्देशों के तहत एलओसी की समीक्षा नहीं की गई। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि चक्रवर्ती परिवार की जड़ें समाज में थीं और उन्होंने जांचकर्ताओं के साथ सहयोग किया। इसके अलावा, सिर्फ एफआईआर का सारांश देकर इसे जारी रखने का कोई आधार नहीं हो सकता है। सीबीआई को एलओसी जारी करने का अनुरोध करने के लिए उचित कारण बताने चाहिए थे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था- “एलओसी को अनिश्चित काल तक, इस मामले में साढ़े तीन साल से अधिक समय तक लंबित नहीं रखा जा सकता है, हालांकि याचिकाकर्ताओं ने जांच में सहयोग किया है, जिस तथ्य पर विवाद नहीं किया गया है… यात्रा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और उचित शर्तों के अलावा इसे कम नहीं किया जा सकता है। यह कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया है।“
निर्णय पर रोक लगाने का अनुरोध नामंजूर कर दिया गया। हालाँकि, हाईकोर्ट ने साफ किया कि यदि भविष्य में अवसर आता है तो एजेंसियां याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नई एलओसी जारी कर सकती हैं।
बता दें कि रिया चक्रवर्ती के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग तक की जांच की। क्योंकि सुशांत राजपूत के परिवार ने आरोप लगया था कि 15 करोड़ रुपये रिया के खाते में ट्रांसफर किये गये। लेकिन ये सारे आरोप साबित नहीं हो पाये। रिया के खातों की जांच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला। उसी दौरान भाजपा सांसद और एक्ट्रेस कंगना रनौत ने आरोप लगाया था कि बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद है, एक समुदाय के लोगों का बोलबाला है। कंगना रनौत के आरोपों से बॉलीवुड के तमाम एक्टर और एक्ट्रेस सहम गये थे।