मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह की मुश्किलें बढ़ती चली जा रही हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर बेहद घटिया और अपमानजनक टिप्पणी मामले ने तूल पकड़ लिया है। उनके ख़िलाफ़ भोपाल में एफआईआर हो गई है। इस कार्रवाई की ख़बर तब आई जब कुछ देर पहले ही मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए एफ़आईआर दर्ज करने का आदेश दिया। आठ बार के विधायक विजय शाह और विवाद एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। मोहन यादव सरकार में अभी उनके पास जनजातीय कार्य, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग का दायित्व है। माना जा रहा है कि मंत्री को लेकर केन्द्रीय नेतृत्व फ़ैसला कर सकता है। मध्य प्रदेश सहित देश भर की नज़र अब इस बात पर है।
विजय शाह ने सोमवार को महू विधानसभा क्षेत्र के एक सरकारी कार्यक्रम में सोफिया कुरैशी को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है। वीडियो मंगलवार को वायरल हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लेकर जिस तरह की अभद्रता शाह ने दिखाई है, उससे न केवल भारत बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में राजनीति की ख़बरें आ रही हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के आवेदन पर विजय शाह के ख़िलाफ़ एफ़आईआर हो गई है। विजय शाह फ़िलहाल अंडरग्राउंड हैं। पूरे मामले को लेकर ‘सत्य हिन्दी’ ने उन्हें कई कॉल किए, लेकिन फोन बंद आते रहे। प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
इस बीच, देश के अन्य हिस्सों के अलावा मध्य प्रदेश में भी मामले को लेकर जमकर आंदोलन-प्रदर्शन हो रहे हैं। विजय शाह की कैबिनेट से बर्खास्तगी की मांग उठ रही है। मंगलवार रात को कांग्रेस ने शाह के भोपाल स्थित सरकारी बंगले पर प्रदर्शन किया था। उनकी नाम पट्टिका पर कालिख पोती गई। ‘मुर्दाबाद’ और ‘इस्तीफा दो’ के नारे लगाए। इस बीच महिला आयोग ने भी मामले को संज्ञान में ले लिया है।
जेपी नड्डा को भेजी गई रिपोर्ट
सूत्रों ने बताया था कि केन्द्रीय नेतृत्व ने पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। वो वीडियो केन्द्रीय नेतृत्व तक पहले ही पहुंच गया था, जिसके वायरल होने पर पूरा विवाद हुआ। तलब करने पर विजय शाह मंगलवार शाम हवाई चप्पल में भाजपा के राज्य मुख्यालय पर पहुंचे थे और पूरी सफ़ाई दी थी।
पार्टी को सफाई देने के बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में उन्होंने कहा था, ‘मेरे बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया, गलत तरीके से पेश किया गया। पहलगाम हमले के आक्रोश में कुछ ऐसा बोल गए, जिससे किसी को बुरा लगा तो दस बार माफी मांगने को तैयार हैं।पुलिस वाले को थप्पड़ जड़ा थविजय शाह 1990 में पहली बार खंडवा जिले की हरसूद सीट से विधायक चुने गए थे। भाजपा की सरकार बनी थी। सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बने थे।
भोपाल में भाजपा का एक कार्यक्रम था। पुराने भोपाल के सोमवारा क्षेत्र में भाजपा का प्रदेश कार्यालय होता था। विजय शाह 28 साल के थे। जीन्स और भड़कीले रंग की टी शर्ट में पहुंचे थे। पुलिस वालों ने विजय शाह को रोका तो उन्होंने कहा, पार्टी (भाजपा) के विधायक हैं।
विधानसभा परिसर में कर दिया था ‘फायर’
1990 से 1992 के बीच विधानसभा कार्यकाल में एक मौक़े पर विजय शाह, सुरक्षा को भेदकर माउजर परिसर में ले आये थे। कुछ पत्रकार साथियों को बताया था कि नेपाल से लाये हैं। खिलौना कह देने पर, उन्होंने फायर कर दिया था। विधानसभा का सत्र चल रहा था। उस दिन सदन स्थगित था। चूँकि पत्रकार मित्र थे, लिहाजा ख़बर रिपोर्ट नहीं हुई थी और मामला रफा-दफा हो गया था।
लिंग में करंट लगाने के मामले की हुई थी गूंज
दिग्विजय सिंह सरकार में विजय शाह की पिटाई का मामला गूंजा था। क्षेत्र में प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने पिटाई की थी। पिटाई के बाद विजय शाह ने ऑन रिकॉर्ड गंभीर आरोप पुलिस पर लगाए थे। एक आरोप उनका यह भी रहा था कि पुलिस ने डिटेन कर उनके लिंग में करंट लगाया। पूरे मसले पर जमकर हंगामा मचता रहा था। जांच बैठी थी।
उमा सरकार में बने थे मंत्री
आदिवासी वर्ग से आने और पुराने विधायक होने के नाते विजय शाह को सबसे पहली बार उमा भारती सरकार में मंत्री बनने का मौक़ा मिला था। इसके बाद वे बाबूलाल गौर सरकार में मंत्री रहे। शिवराज के मुख्यमंत्रित्वकाल और भाजपा की सरकार बनते रहने पर मंत्री पद मिलते रहे।
शिवराज की पत्नी पर टिप्पणी के चलते गया था मंत्री पद
अपने विवादास्पद बयानों, अजीबो-गरीब व्यवहार और बड़बोलेपन की वजह से विजय शाह 2003 से 2005 के बीच भी कई बार गंभीर संकट में फँसते रहे हैं। साल 2013 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह को लेकर आपत्तिजनक टिप्प्णी पर उनका मंत्री पद गया था।
शर्मनाक और द्विअर्थीय टिप्प्णी के अभस्त
एक कार्यक्रम में मंत्री की हैसियत से लड़कियों को टी-शर्ट बांटते हुए विजय शाह ने कहा था, ‘इनको दो-दो दे दो, मुझे नहीं पता ये नीचे क्या पहनती हैं?’ इस पर जमकर बवाल हुआ था। जैसे-तैसे तत्कालीन सरकार और पार्टी ने मामले को रफा-दफा कराया था।