इंदौर के राजा रघुवंशी की मेघालय में हत्या की सनसनीखेज साजिश ने न केवल देश को हिलाकर रख दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर फैली नस्लवादी टिप्पणियों ने पूर्वोत्तर भारत के लोगों में आक्रोश की आग भड़का दी। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने नस्लवादी घृणा फैलाने वालों से माफी की मांग की है। मेघालय के लोगों और सिविल सोसाइटी ग्रुप ने भी नस्लवादी घृणा फैलाने वालों से माफी की मांग की है। मेघालय के मंत्री अलेक्जेंडर लालू हेक ने कहा कि राजा और सोनम के परिवारों को उन टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी चाहिए, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया कि इससे राज्य और इसके लोगों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। उन्होंने यह भी कहा कि यदि वे मेघालय के लोगों से माफी नहीं मांगते, तो उनके खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया जाएगा।
मेघालय और उत्तर-पूर्वी राज्यों के ख़िलाफ़ नस्लवादी घृणा का दौर तब शुरू हुआ जब मेघालय के चेरापूंजी क्षेत्र में एक खाई में इंदौर के राजा रघुवंशी का शव मिलने और उनकी पत्नी सोनम के लापता होने की ख़बर आई। 20 मई को हनीमून मनाने पूर्वोत्तर राज्य पहुंचा यह जोड़ा आखिरी बार 23 मई को एक साथ देखा गया था।
लापता होने के 10 दिन बाद राजा रघुवंशी का शव शिलांग के पास एक खाई में मिला, जिसके सिर पर दो गहरे घाव थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उनकी हत्या एक पारंपरिक हथियार ‘दाओ’ (चाकू) से की गई थी। मेघालय पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल हथियार और राजा का मोबाइल फोन बरामद किया। शुरुआत में सोनम के लापता होने से यह आशंका जताई गई कि वह अपहरण की शिकार हो सकती हैं। हत्याकांड के बाद कई लोगों ने मेघालय की जनजातियों और पूरे पूर्वोत्तर के खिलाफ नस्लीय टिप्पणियां कीं। ऐसे लोगों ने कहा कि मेघालय की यात्रा करना असुरक्षित है।
नस्लवादी टिप्पणियों का विवाद
इस हत्याकांड के बाद सोशल मीडिया पर मेघालय और पूर्वोत्तर भारत के लोगों के खिलाफ नस्लवादी टिप्पणियों का सिलसिला शुरू हो गया। कई यूजरों ने पूर्वोत्तर के लोगों को अपराधी और असुरक्षित करार देते हुए पूरे क्षेत्र की छवि को नकारात्मक रूप से पेश किया। इन टिप्पणियों ने स्थानीय समुदायों में गहरा आक्रोश पैदा किया।
इसके अध्यक्ष रॉय कूपर सिनरेम ने परिवार की आलोचना की कि उन्होंने मेघालय सरकार और पुलिस के खिलाफ निराधार दावे किए और कहा कि उनकी टिप्पणियों ने स्थानीय समुदायों को अनुचित रूप से निशाना बनाया और उनकी बदनामी की। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘उनके बयानों ने दुख की सीमा को पार कर जानबूझकर गलत सूचना फैलाने की हद तक पहुंच गए। अब जब सच्चाई सामने आ रही है, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए – न केवल सरकार और पुलिस से, बल्कि मेघालय के प्रत्येक नागरिक से, जिनकी ग़लत रूप से बदनामी की गई।’
एक्स पर उत्तर पूर्व के एक यूज़र ने लिखा, ‘इंदौर दंपति मामला: कुछ दिन पहले, जब यह दंपति लापता हुआ तो कई लोगों ने पूर्वोत्तर और विशेष रूप से मेघालय को बदनाम किया और अपमानित किया। बाद में पति का शव मिला।’
जनसत्ता के अनुसार मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने इस मामले पर एक विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मेघालय पर्यटकों के लिए एक अनुकूल और सुरक्षित स्थान है। इस हत्याकांड में शामिल लोग बाहरी थे और मेघालय पुलिस ने इसे सुलझाने में सराहनीय कार्य किया है।’ उन्होंने सोशल मीडिया पर फैली नस्लवादी टिप्पणियों की निंदा करते हुए माफी की मांग की और कहा, ‘पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ इस तरह की नकारात्मक छवि बनाना गलत है। हम एकजुट भारत का हिस्सा हैं, और ऐसी टिप्पणियां हमारी एकता को कमजोर करती हैं।’
जाँच में आया नया मोड़
मेघालय पुलिस की विशेष जांच टीम यानी एसआईटी ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सात दिनों के भीतर हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ली। जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि कथित तौर पर सोनम रघुवंशी ने ही अपने पति की हत्या की साजिश रची थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सोनम के किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध थे, जिसके चलते उसने अपने पति की हत्या की साज़िश रची। एक स्थानीय टूरिस्ट गाइड के बयान ने इस मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गाइड ने बताया कि उसने राजा और सोनम को तीन अज्ञात व्यक्तियों के साथ देखा था, जो हिंदी में बात कर रहे थे, जिससे संकेत मिला कि वे स्थानीय लोग नहीं थे। गाइड ने यह भी बताया कि उसने दंपति को नोंग्रीयत तक ले जाने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने एक अन्य गाइड, भा वंसई, को हायर किया था।
परिवार और समुदाय की प्रतिक्रिया
राजा और सोनम के परिवारों ने शुरुआत में मेघालय पुलिस की जांच पर असंतोष जताया और केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की मांग की। राजा के भाई विपिन रघुवंशी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि इस हत्याकांड की पूरी सच्चाई सामने आए।’ सोनम के पिता देवी सिंह रघुवंशी ने दावा किया था कि उनकी बेटी बेगुनाह है और उसका अपहरण किया गया था। हालांकि, पुलिस के खुलासे के बाद ये दावे कमजोर पड़ गए।
मेघालय हनीमून हत्याकांड ने न केवल एक आपराधिक साजिश को उजागर किया, बल्कि नस्लवादी टिप्पणियों के जरिए पूर्वोत्तर भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश को भी सामने लाया। मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने इस घटना को अभूतपूर्व बताते हुए न्याय का आश्वासन दिया है और नस्लवादी टिप्पणियों के लिए माफी की मांग की है।