Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • इसराइल के खिलाफ जंग में ईरान अकेला क्यों पड़ गया है?
    • क्या अमेरिका ईरान पर बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहा है?
    • तमिलनाडु की कीलडी सभ्यता पर केंद्र से विवाद, ASI निदेशक को क्यों हटाया गया?
    • Satya Hindi News Bulletin। 18 जून, शाम तक की ख़बरें
    • Satya Hindi News Bulletin। 18 जून, सुबह तक की ख़बरें
    • कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर लगा ब्रेक-ओला, उबर, रैपिडो को झटका…क्या अन्य राज्य भी उठा सकते हैं यही कदम
    • ईरान के खामेनेई ने किसके लिए और क्यों कहा- ‘जंग शुरू…अली खैबर में आ गए हैं’
    • Beach in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में भी है बीच का मजा! पूरनपुर का ‘मिनी गोवा’ आपको कर देगा हैरान
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » हिंदू-मुस्लिम सियासत के बीच नीतीश उर्दू सिखाने की योजना क्यों ले आए?
    भारत

    हिंदू-मुस्लिम सियासत के बीच नीतीश उर्दू सिखाने की योजना क्यों ले आए?

    By March 13, 2025No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    बिहार में धार्मिक ध्रुवीकरण और सियासी बयानबाजी के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने एक ऐसा क़दम उठाया है, जिसने सबको चौंका दिया है। नीतीश सरकार ने फ़ैसला किया है कि राज्य के सभी सरकारी और गैर-सरकारी कर्मचारियों को उर्दू भाषा सिखाई जाएगी। इस योजना के तहत हर सोमवार से गुरुवार तक दो घंटे की विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। यह निर्णय ऐसे समय में आया है, जब बिहार में हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर सियासत गरमाई हुई है। नीतीश का यह क़दम क्या सियासी चाल है या सामाजिक समरसता की कोशिश, इस पर बहस छिड़ गई है। यह सब अगले कुछ महीनों में राज्यों में होने वाले चुनाव से पहले हो रहा है।

    बिहार में पिछले कुछ समय से धार्मिक और जातिगत आधार पर सियासत तेज हो रही है। नीतीश के जदयू के सहयोगी बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दों को जोर-शोर से उठाती रही है। कुछ दिन पहले ही अमित शाह ने मिथिला में सीता माता का भव्य मंदिर बनाने की बात कही है। इसी बीच नीतीश कुमार ने उर्दू सिखाने की योजना की घोषणा कर एक नया दांव खेला है। यह योजना न केवल सरकारी कर्मचारियों बल्कि गैर-सरकारी क्षेत्र के कर्मियों को भी शामिल करती है, जिससे इसका दायरा व्यापक हो जाता है।

    सरकार का तर्क है कि उर्दू बिहार की दूसरी आधिकारिक भाषा है और इसे बढ़ावा देना राज्य की सांस्कृतिक विरासत को मज़बूत करने का प्रयास है। नीतीश सरकार ने इसे प्रशासनिक सुधार से भी जोड़ा है, ताकि उर्दू भाषी आबादी के साथ बेहतर संवाद स्थापित हो सके। बिहार में क़रीब 17% मुस्लिम आबादी है और उर्दू यहाँ व्यापक रूप से बोली और समझी जाती है। लेकिन इस फ़ैसले का समय और तरीक़ा इसे सियासी रंग दे रहा है।

    एनडीए गठबंधन में नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर तनाव रहा है। बीजेपी के कुछ नेताओं ने इस फ़ैसले पर असहजता जताई है। यह इशारा करते हुए कि उर्दू को बढ़ावा देना बीजेपी की हिंदुत्व वाली छवि से मेल नहीं खाता, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई यूजरों ने लिखा कि ‘बीजेपी के लोग सदमे में न चले जाएं।’ 

    बिहार के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कर्मी अब उर्दू सीखेंगे।

    प्रत्येक सोमवार से गुरुवार तक 2 घंटे की क्लास होगी।

    भाजपा के लोग सदमे में न चले जाए।

    — Pratik Patel (@PratikVoiceObc) March 12, 2025

    इस योजना के तहत हर जिले में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहां विशेषज्ञ शिक्षक कर्मचारियों को उर्दू पढ़ाना और लिखना सिखाएंगे। सरकार का दावा है कि इससे न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी, बल्कि उर्दू भाषी समुदाय के साथ बेहतर तालमेल बनेगा। 

    बिहार में पहले से ही उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति और स्कूलों में उर्दू पढ़ाई की व्यवस्था है, लेकिन इसे कर्मचारियों तक विस्तार देना एक नया कदम है। लेकिन सवाल है कि विधानसभा चुनाव से ऐन पहले ही ऐसा क्यों

    नीतीश का यह फ़ैसला उनकी पुरानी छवि को फिर से मजबूत करने की कोशिश माना जा रहा है, जिसमें वह सभी समुदायों को साथ लेकर चलने वाले नेता के रूप में जाने जाते थे। हाल के वर्षों में बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद उनकी यह छवि धुंधली पड़ती दिखी थी। उर्दू सिखाने की योजना को कुछ लोग मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं, खासकर 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए।

    दूसरी ओर, बीजेपी के लिए यह असहज स्थिति पैदा कर सकता है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के ‘बाँटने’ वाले हालिया बयानों के बाद नीतीश का यह कदम बीजेपी की एकसमान हिंदुत्व नीति से अलग रास्ता दिखाता है। एक्स पर एक यूजर ने व्यंग्य करते हुए लिखा, ‘ए योगी जी, आदाब अर्ज है।’

    “बिहार में सरकारी और गैर सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों को सिखाई जाएगी उर्दू” : नीतीश कुमार (जेडीयू + बीजेपी) सरकार

    “ए योगी जी आदाब अर्ज़ है” 😂

    — Sakina Malik (@sakinamalik181) March 13, 2025

    नीतीश सरकार का यह फ़ैसला साहसिक भी है और जोखिम भरा भी। अगर यह योजना सफल होती है तो यह बिहार में भाषाई समरसता और प्रशासनिक सुधार का प्रतीक बन सकती है। लेकिन अगर इसे सिर्फ सियासी चाल के तौर पर देखा गया, तो गठबंधन में तनाव बढ़ सकता है और विपक्ष को हमले का मौक़ा मिलेगा। बिहार की जनता इसे कितना स्वीकार करती है और इसका कितना लाभ उठाती है, यह आने वाला वक्त बताएगा। फिलहाल, यह कदम नीतीश की सियासी चतुराई और सामाजिक संतुलन की उनकी पुरानी कला का नमूना ज़रूर है।

    (इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleइटली के शहर नेपल्स में 4.4 तीव्रता का भूकंप आया, नुकसान देखकर लोग सड़कों पर भागे, लोगों में फैला डर
    Next Article Black Hole Ka Rahasya: ब्लैक होल, ब्रह्मांड का रहस्यमय अजगर, आइए जानते हैं इसके बारे में

    Related Posts

    इसराइल के खिलाफ जंग में ईरान अकेला क्यों पड़ गया है?

    June 18, 2025

    क्या अमेरिका ईरान पर बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहा है?

    June 18, 2025

    तमिलनाडु की कीलडी सभ्यता पर केंद्र से विवाद, ASI निदेशक को क्यों हटाया गया?

    June 18, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.